मौसम की फिरकी; कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार | turn of the weather; Be ready for the bitter cold in 2022-23 | Patrika News

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मौसम की फिरकी; कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार | turn of the weather; Be ready for the bitter cold in 2022-23 | Patrika News

मौसम की फिरकी; कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार | turn of the weather; Be ready for the bitter cold in 2022-23 | Patrika News

इस बार प्रदेश में कड़ाके की सर्दी पडऩे के आसार हैं। वातावरण में नमी है। तापमान कम है। ऐसे में अक्टूबर के पहले-दूसरे हफ्ते को छोड़कर बाकी दिनों में पारा ज्यादा नहीं रहेगा। पश्चिमी विक्षोभ के असर से उत्तर भारत की सर्द हवाओं का असर भी हमारे यहां होगा। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इस बार जैसे प्रदेश में मानसूनी सीजन के 122 दिनों में 22 साल की रेकॉर्ड 46.15 इंच बारिश (सामान्य से 24 फीसदी ज्यादा) हुई है, वैसे ही अब 100 से ज्यादा दिन सर्दी पडऩे के आसार हैं। एक अनुमान के मुताबिक, सर्दी के इस सीजन में डेढ़ महीने रात का तापमान 10 डिग्री के आसपास रह सकता है।

एक तथ्य यह भी है कि चैत्र में प्रचंड गर्मी से लेकर भाद्रों तक तेज बारिश से राज्य में जान-माल का भी काफी नुकसान हुआ। गर्मी में प्रदेश में 38 दिन से ज्यादा हीट वेव चली। सब्जी की फसलों को नुकसान पहुंचा। दाम आसमान पर पहुंचे। मानसूनी सीजन में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 162 लोगों की मौत हुई। 6,646 कच्चे-पक्के घर क्षतिग्रस्त हुए। 997 पशु-पक्षी मरे। अतिवृष्टि से 2 लाख 2 हजार हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई।

1. मार्च से ही तमतमा गया था सूरज
इस बारिश पूरे देश में रेकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ी। मार्च में ही सूरज तमतमा गया। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरनमेंट के अनुसार, देश के पांच राज्यों के लोगों को 54 प्रतिशत लू से प्रभावित दिन सहने पड़े। दरअसल, देश की 54 फीसदी हीट वेव इन पांच राज्यों में ही चली। राजस्थान में सर्वाधिक 39 दिन से ज्यादा हीट वेव चली। मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 38 दिन रहा। हिमाचल प्रदेश में 27 तो गुजरात में 25 दिन तीव्र गर्म हवाओं ने सताया।

2. प्रदेश में 1.91 लाख किसान प्रभावित
गृह मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष देश के ३९९ जिले बारिश से प्रभावित रहे। वर्षाजनित हादसों में कुल 1,983 लोगों की मौत हुई। 26 लोग लापता हुए। 114 नागरिक जख्मी हुए। 3,31,841 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए। 84,836 को आंशिक नुकसान पहुंचा। मध्यप्रदेश के 26 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। 19 जिलों में अतिवृष्टि ने तबाही मचाई। 1.91 लाख से ज्यादा किसान प्रभावित हुए।

मध्यप्रदेश में मौतें
पानी में डूबने से 104
बिजली गिरने से 162
अन्य हादसों में 18

3. सर्दी: पहाड़ों पर बर्फबारी का दौर शुरू
प्रदेश में लगातार बारिश से वातावरण अपेक्षाकृत रूप से ठंडा है। नवरात्र के दौरान राज्य में मौसम साफ रहा। अब मौसम विभाग ने एक-दो दिन में कहीं-कहीं बारिश की संभावना जताई है। उसके बाद तापमान में गिरावट आने के आसार हैं। मौसम विभाग की अस्सिटेंट डायरेक्टर ममता यादव के अनुसार, सर्दियों का लिंक हवा की दिशा के परिवर्तन से होता है। मानसून में दक्षिणी-पश्चिमी हवाएं चलती हैं। इनकी दिशा जब उत्तरी और उत्तरी-पूर्वी हो जाती है तो सर्दी का आगाज हो जाता है। सूर्य की गति में बदलाव से दिन की लंबाई कम हो जाती है और रात लंबाई बढ़ जाती है। मौसम विज्ञानी एसएन साहू के अनुसार, सर्दी के दिन ज्यादा रहेंगे। पहले फरवरी तक सर्दी पड़ती है। अब पैटर्न बदला है। मार्च तक ठंड पड़ती है। इस बार पहाड़ों पर बर्फबारी जल्दी शुरू हो गई है। हवा का रुख बदलने से मौसम में परिवर्तन आएगा।

ये कारक करेंगे प्रभावित
1. अक्टूबर से पश्चिमी विक्षोभ का सिलसिला शुरू होगा, जो फरवरी तक चलेगा। उत्तरी भारत के जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल, पंजाब, उत्तराखंड एरिया में बारिश और बर्फबारी होती है। इससे भी ठंडक मैदानी इलाकों में आती है।
2. सूर्य की सीधी किरणें जो जुलाई-अगस्त-सितम्बर में मध्य भारत पर पड़ती हैं, ये अक्टूबर से धीरे-धीरे दक्षिण दिशा में शिफ्ट होने लगती हैं। इनके असर से हीटिंग कम होती है और वातावरण ठंडा होने लगता है।



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