मौत के मुंह में धकेल रहा नसों में जा रहा नशीला जहर, गांजे का नशा भी ढा रहा कहर | The intoxicating poison going into the veins | Patrika News
आंकड़े चिंताजनक हैं। लगता है जबलपुर शहर में ‘नशीली हवा बह रही है। जिले में बीते कुछ माह में तकरीबन 10 क्विंटल गांजा तस्करों से पुलिस ने पकड़ा है। आंकड़े बता रहे हैं कि सूखे नशे के रूप में उड़ीसा से गांजे की तस्करी बेधड़क हो रही है। भांग भी कई क्विंटल दुकानों से बिक जाती है। नशे का ज्यादा खतरनाक रूप नशीले इंजेक्शन के रूप में सामने आया है। नशीले इंजेक्शन बेचने वाले तीन से चार तस्करों को पुलिस हर महीने पकड़ती है। विक्टोरिया के ओरल सबस्टीट्यूशन थैरेपी केंद्र में पंजीकृत कई युवाओं में एड्स के लक्षण मिल रहे हैं। इसके अलावा जिले की 143 शराब दुकानों से हर महीने करीब पांच लाख प्रूफ लीटर देशी-विदेशी शराब की बिक्री होती है। तीन लाख प्रूफ लीटर के करीब तस्करी वाली शराब भी जिले में खप रही है।
नशे में झूमने का खतरनाक परिणाम
शहर के हजारों युवा शराब तो पी ही रहे हैं। नया शौक नशीले इंजेक्शन का भी पाल रहे हैं। इस नशे का खतरनाक परिणाम सामने आने लगा है। विक्टोरिया अस्पताल के ओरल सबस्टीट्यूशन थैरेपी केंद्र में तमाम ऐसे नशेड़ी पहुचे रहे हैं, जिनमें एचआइवी एड्स के लक्षण दिख रहे हैं। पता चला कि एक ही इंजेक्शन से कई युवक एक साथ नसों में नशे की डोज इंजेक्ट करते हैं, तो वे गम्भीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। विक्टोरिया के केंद्र में इलाजरत और काउंसलिंग लेने वाले 21 वर्षीय छात्र ने बताया कि उसने अपने दोस्त को देखकर नस में नशे का इंजेक्शन लगा लिया था। कुछ दिन बाद वह इंजेक्शन से ड्रग लेने का आदी हो गया। एक व्यक्ति ने बताया कि वह लम्बे समय से इंजेक्शन के जरिए नशा ले रहा था। हालत यह हो गई कि हाथों, पैरों से मवाद निकलने लगा। इंजेक्शन लगाने की जगह नहीं बची, तो गांजा पीने लगा।
दवाओं की आड़
शहर में कच्ची शराब खूब बनती है। इसलिए आसानी से उपलब्ध भी हो जाती है। लेकिन, इंजेक्शन का नशा करने वालों को यह जहर कुछ दवा दुकानों से मिलता है। ऐसे इंजेक्शन की कालाबाजारी होती है, जिनका इस्तेमाल नशे के रूप में होता है। पुलिस का कहना है कि नशे के इंजेक्शन बेचने वालों की पहचान मुश्किल से हो पाती है। फिर भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई होती है। पुलिस का यह भी कहना है कि दुकानदारों को बिना डॉक्टर की पर्ची के विशेष फार्मूले वाले इंजेक्शन कतई नहीं देना चाहिए।
सबसे पहले खुलती हैं शराब की दुकानें
शहर में रोजमर्रा की जरूरतों की दुकानें भले ही 10 बजे खुलें। लेकिन, शराब की दुकानें सुबह सात से आठ बजे की बीच ही खुल जाती हैं। काउंटर शायद ही किसी दुकान का रात 11 बजे तक खाली मिले। शाम को तो सभी दुकानों पर मेले जैसा माहौल रहता है। महीने भर में सिर्फ दुकानों से खरीदकर पांच लाख लीटर शराब लोग गटक जाते हैं। कच्ची शराब की जब्ती का आंकड़ा बताता है कि तीन लाख लीटर शराब जिले में बिक रही है। शहर के कई क्षेत्रों में कच्ची शराब बनाई जाती है। आस-पास के कस्बों में तस्करी की जाती है। गली-कूचों के अहातों में परोसी भी जाती है।
वर्जन
नशे की शुरुआत आमतौर पर शौकिया होती है। आस-पास के लोगों और दोस्तों की सोहबत भी मायने रखती है। अच्छी बातों का असर भले नहीं हो, लेकिन गलत बातें लोग पकड़ लेते हैं। परिजन को भी बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। ध्यान देना चाहिए कि कहीं गलत दोस्तों के साथ में पड़कर नशे के गिरफ्त में तो नहीं जा रहे। इस मामले पुलिस या प्रशासन तो बाद में काम करता है। सबसे पहले परिजन को ही जागरूक होना होगा।
डॉ. सुमित पासी, मनोवैज्ञानिक
इंजेक्शन से नशा करने वालों की यहां काउंसिलिंग की जाती है। इंजेक्शन से नशा लेने के कारण कई गम्भीर संक्रमण का खतरा रहता है। ड्रग एडिक्ट को केंद्र में दवाएं दी जाती हैं। काउंसिलिंग से नशे की लत से छुटकारा दिलाने की कोशिश की जाती है।
डॉ. रत्नेश कुररिया, जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मनोरोग चिकित्सक
आंकड़े चिंताजनक हैं। लगता है जबलपुर शहर में ‘नशीली हवा बह रही है। जिले में बीते कुछ माह में तकरीबन 10 क्विंटल गांजा तस्करों से पुलिस ने पकड़ा है। आंकड़े बता रहे हैं कि सूखे नशे के रूप में उड़ीसा से गांजे की तस्करी बेधड़क हो रही है। भांग भी कई क्विंटल दुकानों से बिक जाती है। नशे का ज्यादा खतरनाक रूप नशीले इंजेक्शन के रूप में सामने आया है। नशीले इंजेक्शन बेचने वाले तीन से चार तस्करों को पुलिस हर महीने पकड़ती है। विक्टोरिया के ओरल सबस्टीट्यूशन थैरेपी केंद्र में पंजीकृत कई युवाओं में एड्स के लक्षण मिल रहे हैं। इसके अलावा जिले की 143 शराब दुकानों से हर महीने करीब पांच लाख प्रूफ लीटर देशी-विदेशी शराब की बिक्री होती है। तीन लाख प्रूफ लीटर के करीब तस्करी वाली शराब भी जिले में खप रही है।
नशे में झूमने का खतरनाक परिणाम
शहर के हजारों युवा शराब तो पी ही रहे हैं। नया शौक नशीले इंजेक्शन का भी पाल रहे हैं। इस नशे का खतरनाक परिणाम सामने आने लगा है। विक्टोरिया अस्पताल के ओरल सबस्टीट्यूशन थैरेपी केंद्र में तमाम ऐसे नशेड़ी पहुचे रहे हैं, जिनमें एचआइवी एड्स के लक्षण दिख रहे हैं। पता चला कि एक ही इंजेक्शन से कई युवक एक साथ नसों में नशे की डोज इंजेक्ट करते हैं, तो वे गम्भीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। विक्टोरिया के केंद्र में इलाजरत और काउंसलिंग लेने वाले 21 वर्षीय छात्र ने बताया कि उसने अपने दोस्त को देखकर नस में नशे का इंजेक्शन लगा लिया था। कुछ दिन बाद वह इंजेक्शन से ड्रग लेने का आदी हो गया। एक व्यक्ति ने बताया कि वह लम्बे समय से इंजेक्शन के जरिए नशा ले रहा था। हालत यह हो गई कि हाथों, पैरों से मवाद निकलने लगा। इंजेक्शन लगाने की जगह नहीं बची, तो गांजा पीने लगा।
दवाओं की आड़
शहर में कच्ची शराब खूब बनती है। इसलिए आसानी से उपलब्ध भी हो जाती है। लेकिन, इंजेक्शन का नशा करने वालों को यह जहर कुछ दवा दुकानों से मिलता है। ऐसे इंजेक्शन की कालाबाजारी होती है, जिनका इस्तेमाल नशे के रूप में होता है। पुलिस का कहना है कि नशे के इंजेक्शन बेचने वालों की पहचान मुश्किल से हो पाती है। फिर भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई होती है। पुलिस का यह भी कहना है कि दुकानदारों को बिना डॉक्टर की पर्ची के विशेष फार्मूले वाले इंजेक्शन कतई नहीं देना चाहिए।
सबसे पहले खुलती हैं शराब की दुकानें
शहर में रोजमर्रा की जरूरतों की दुकानें भले ही 10 बजे खुलें। लेकिन, शराब की दुकानें सुबह सात से आठ बजे की बीच ही खुल जाती हैं। काउंटर शायद ही किसी दुकान का रात 11 बजे तक खाली मिले। शाम को तो सभी दुकानों पर मेले जैसा माहौल रहता है। महीने भर में सिर्फ दुकानों से खरीदकर पांच लाख लीटर शराब लोग गटक जाते हैं। कच्ची शराब की जब्ती का आंकड़ा बताता है कि तीन लाख लीटर शराब जिले में बिक रही है। शहर के कई क्षेत्रों में कच्ची शराब बनाई जाती है। आस-पास के कस्बों में तस्करी की जाती है। गली-कूचों के अहातों में परोसी भी जाती है।
वर्जन
नशे की शुरुआत आमतौर पर शौकिया होती है। आस-पास के लोगों और दोस्तों की सोहबत भी मायने रखती है। अच्छी बातों का असर भले नहीं हो, लेकिन गलत बातें लोग पकड़ लेते हैं। परिजन को भी बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। ध्यान देना चाहिए कि कहीं गलत दोस्तों के साथ में पड़कर नशे के गिरफ्त में तो नहीं जा रहे। इस मामले पुलिस या प्रशासन तो बाद में काम करता है। सबसे पहले परिजन को ही जागरूक होना होगा।
डॉ. सुमित पासी, मनोवैज्ञानिक
इंजेक्शन से नशा करने वालों की यहां काउंसिलिंग की जाती है। इंजेक्शन से नशा लेने के कारण कई गम्भीर संक्रमण का खतरा रहता है। ड्रग एडिक्ट को केंद्र में दवाएं दी जाती हैं। काउंसिलिंग से नशे की लत से छुटकारा दिलाने की कोशिश की जाती है।
डॉ. रत्नेश कुररिया, जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मनोरोग चिकित्सक