मोहब्बतें वाली प्रीति झंगियानी ने साउथ से सीखा प्रोफेशनलिज्म, बोलीं- वहां सब समय के पाबंद हैं

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मोहब्बतें वाली प्रीति झंगियानी ने साउथ से सीखा प्रोफेशनलिज्म, बोलीं- वहां सब समय के पाबंद हैं

मोहब्बतें वाली प्रीति झंगियानी ने साउथ से सीखा प्रोफेशनलिज्म, बोलीं- वहां सब समय के पाबंद हैं

‘मोहब्बतें’ फिल्म से बॉलीवुड में करियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस प्रीति झंगियानी ने ‘आवारा पागल दीवाना’, ‘वाह तेरा क्या कहना’, ‘चांद के पार चलो’ जैसी कई फिल्मों में काम किया है। इस अभिनेत्री ने ना सिर्फ हिंदी बल्कि तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और पंजाबी जैसी कई भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया है। जल्द ही वे एक वेब सीरीज और आगामी फिल्म ‘महापौर’ में दिलचस्प भूमिका में नजर आएंगी। इस खास बातचीत में प्रीति अपने करियर, परिवार और मदरहुड पर बात करती हैं।

अपनी आने वाली सीरीज के बारे में वे कहती हैं, ‘मेरी आगामी सीरीज को साहिल सांघा डायरेक्ट कर रहे हैं। इस शो की शूटिंग पूरी हो चुकी है लेकिन इस शो के बारे में मैं ज्यादा बता नहीं सकती, जब तक ये तय ना हो जाए कि ये कौन-से प्लेटफॉर्म पर आएगी। मगर इतना जरूर बता सकती हूं कि मेरा रोल दिलचस्प है। दर्शक मुझे एक नए अवतार में देखेंगे।’

मैं अपने दर्शकों को अच्छे किरदार में ही दिखना चाहती हूं


कम फिल्में करने के मुद्दे पर कहती हैं, ‘मुझसे ये सवाल सभी करते हैं, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैंने फिल्मों से ब्रेक लिया है, क्योंकि मैं लगातार काम कर रही हूं। मैं शो, इवेंट और कई भाषाओं में फिल्में कर रही हूं, फिर चाहे वो पंजाबी हो, बंगाली हो, तमिल हो, तेलुगु हो, कन्नड़ हो या फिर राजस्थानी हो। राजस्थानी फिल्म तावड़ो द सनलाइट, जिसके लिए मुझे राजस्थान फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था। मेरे काफी शो और इवेंट चल रहे हैं और मेरी कंपनी है स्पेन एंटरटेनमेंट जो फिल्में और विज्ञापन प्रोडयूस करती हैं। हमारी डिजिटल वेबसाइट भी है। तो इन सब चीजों से मैं लगातार कनेक्टेड हूं। मैं इतनी व्यस्त हूं और इंडस्ट्री से ही कनेक्टेड हूं, तो मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि मै दूर हूं इंडस्ट्री से। इसकी एक वजह ये भी हैं कि मैं नहीं चाहती थी कि ऑडिएंस मुझे एक ऐसे रोल में देखे, जिससे वो संतुष्ट ना हों। मुझे लगता है किसी भी किरदार को करके कलाकार का संतोष होना जरूरी होता है।

आगामी ‘महापौर’ में ग्रे किरदार में हूं

अपनी आने वाली फिल्म ‘महापौर’ के बारे में वे कहती हैं, ‘इस समय मैं लखनऊ में महापौर की शूटिंग कर रही हूं। महापौर मेरे लिए एक बहुत ही अलग किस्म की कहानी होगी, बहुत ही अलग किस्म का किरदार होगा जो ना मैंने कभी अपने लिए सोचा था और ना दर्शकों ने मुझे ऐसे किरदार में देखा होगा। महापौर में मैं लखनऊ की मेयर के तौर पर नजर आऊंगी। जब फिल्म शुरू होती है, तो लोग देखते हैं की वो एक नो नॉनसेंस औरत है। लोग उससे डरते हैं। इस मुकाम तक वो कैसे पहुंची? कैसे वो लखनऊ जैसे शहर में समाज में महिलाओं के दर्जे को ऊंचा उठाती है? इस सफर में क्या वो अपने सिद्धांतों के साथ जी पाई है? क्या वो सही चीजें कर रही है या पैसों के लिए भ्रष्ट राजनेताओं की लाइन में आ गई है अथवा अपने सिद्धांतों पर चल कर भी इस मकाम तक पहुंच पाई है। तो बहुत ही ग्रे किस्म का किरदार है। जैसे असल जिंदगी में एक इंसान होता है वैसे ही ये किरदार है।’

मैंने प्रोफेशनल होना साउथ से सीखा


अलग-अलग भाषों में काम कर चुकीं प्रीति कहती हैं, ‘एक एक्टर के तौर पर तो आप चाहेंगे ही कि आप एक ऐसी भाषा में काम करें, जिसमें आपको आसानी रहे, लेकिन आज कल ऐसा कोई बंधन नहीं है। तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम करने का जो कायदा है या अच्छी चीज है कि आपको भारत का अलग रूप देखने को मिलता है। ज्यादातर फिल्मों में मैंने देखा है कि वे अपनी हिरोइनों को बहुत सुंदर तरीके से पेश करते हैं। मैं कहूंगी मैंने प्रोफेशनलिज्म साउथ से सीखा। जब मैं साउथ में काम कर रही थी, तब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री मे इतनी प्रोफेशनलिज्म नहीं था। मैं साउथ में गई तो मैंने देखा की अगर 5 बजे तक समय है, तो लोग 5 बजे पहुंच जाते थे। कितने ही बड़े हीरो क्यों ना हों, हमेशा वक्त पर ही आते थे। मुझे याद है अधिपति के लिए हम स्विट्जरलैंड में शूट कर रहे थे मोहन बाबू के साथ और वो समय के इतने पाबंद हैं। यदि कॉल टाइम 5 बजे है, तो 5 बजे वो वहां पर होंगे और ऐसा नहीं है कि वो अपना किरदार करके चले जाते थे। वो बाकी चीजों में भी साथ देते थे।’

गोविंदा जी की बराबरी करना बहुत मुश्किल है

चैलेंजिंग किरदारों के बारे में बात करते हुए प्रीति कहती हैं, ‘मेरे लिए कॉमेडी काफी मुश्किल रही। जब मैंने ‘वाह तेरा क्या कहना’ में गोविंदा जी के साथ काम किया, तो चाह रहे थे कि हम पूरा कॉमिक सीन एक टेक में करें। हम सब जानते हैं कि गोविंदा जी कमाल के कलाकार है। उनकी बराबरी करना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया और हमनें दो कॉमिक सीन एक ही टेक में किए जो मेरे लिए बहुत बड़ी अचीवमेंट थी।’

एक्टर पति होने की वजह से चीजें समझानी नहीं पड़ती

अपने एक्टर पति प्रवीन दबास के बारे में वे कहती हैं, ‘दो एक्टर जब साथ में रहते हैं, तो ये होता है कि काम की एक समझ होती है। वो मेरे काम को समझते हैं और मैं उनके काम को समझती हूं। मुझे ये जरूर लगता है कि अगर कोई इंसान बॉलीवुड से ना हो, वो एक एक्ट्रेस की जिंदगी कभी समझ ही नहीं पाएगा। एक एक्टर को खुद पर और अपनी लाइफस्टाइल पर बहुत ध्यान देना पड़ता है। मुझे मेरे पति की तरफ से सपोर्ट मिलता है, क्योंकि उनको पता है कि एक एक्टर कैसे काम करता है? मुझे लगता है, समझ ही है, जो आपके रिश्ते में प्यार लाती है और अगर बात करें कि आम तौर पर हम क्या बातें करते हैं, तो ऐसा नहीं है कि हम हर वक्त सिर्फ फिल्मों की बात करते रहें। लेकिन ज्यादातर वक्त हम फिल्मों की बात इसलिए करते हैं, क्योंकि हमारा काम एक ही तरह का है। एक्टर के शादी करना प्लस पॉइंट ही है, क्योंकि इसका कोई नुकसान तो है नहीं।’

मेरे कोई स्ट्रगल वाले दिन नहीं रहे


अपने लंबे सफर के बारे में प्रीति कहती हैं, ‘मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि मैं कभी एक्टर नहीं बनना चाहती थी। मेरे परिवार में भी कोई फिल्मों से कनेक्टेड नहीं था। मैंने सोचा नहीं था कि मैं एक्टर बनूंगी और आज जब देखती हूं कि इतने अच्छे, बड़े एक्टर्स और डायरेक्टर्स के साथ काम कर चुकी हूं, तो बहुत ही अच्छा लगता है। मेरा कोई स्ट्रगलिंग पीरियड नहीं रहा है। कोई ऐसा समय नहीं था, जिसको मैं कहूं कि मैंने स्ट्रगल किया। सब कुछ मुझे आसानी से मिल गया। मैं हमेशा से मुंबई में ही थी, मेरा घर था यहां पर। मुझे कोई रेंट नहीं देना होता था। मैं बहुत लकी हूं कि काम मिला और अच्छा काम मिला। इसके लिए मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी।’

दो लड़कों की मां होना बहुत चैलेंजिंग है

अपने मदरहुड के बारे में वे कहती हैं, ‘मां होना मेरी जिंदगी का सबसे चैलेंजिंग भाग रहा है। उससे भी ज्यादा चैलेंजिंग था दो लड़कों की मां होना। हमारे देश में 2 बेटों का पालन-पोषण और उन्हे अच्छी चीजें सिखाना अपने आप में एक जिम्मेदारी का काम है। उन्हें सिखाना कि औरत की इज्जत करना है या यूं कहें कि इंसानों की इज्जत करना चाहिए। दरअसल अच्छा इंसान बनना ज्यादा जरूरी है ना कि पैसा कमाना। हमारी लाइफ में लोग पैसे कमाने को ज्यादा अहमियत देते हैं और ये भूल जाते हैं कि खुशी उससे ज्यादा जरूरी है, तो मैं ये चीजें हैं, जो मैं अपने बच्चों को सिखाती हूं।’

‘मोहब्बतें’ मेरे लिए सबसे यादगार लम्हा है

अपने करियर के सबसे यादगार मोमेंट के बारे में उनका कहना है, ‘जब मोहब्बतें आई तो बहुत ही उत्सुकता थी। हमको पहले पता नहीं था कि अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय और शाहरुख खान के साथ काम करने को मिलेगा। जब ये नाम हमने सुने, तो खुशी का ठिकाना नहीं था और वो मोमेंट बहुत ही एक्साइटिंग था हमारे लिए। उसके बाद जब मोहब्बतें रिलीज हुई, तो वो अलग ही जर्नी थी। हमने फिल्म में बहुत मेहनत की थी। हमारी पूरी जिंदगी यशराज ऑफिस के ही इर्द-गिर्द ही घूमती रहती थी। 8-9 महीने हम वहीं थे और आज तक मैं उस फिल्म से जानी जाती हूं, तो इससे ज्यादा यादगार और क्या हो सकता है मेरे लिए।’

परिवार के सपोर्ट के कारण रिजेक्शन झेल गई

रिजेक्शन के बारे में वे कहती हैं, ‘एक वक्त था, जब मैंने फिल्म साइन कर ली थी, लेकिन बाद में पता चला कि वो फिल्म कोई और कर रहा था। मगर मुझे लगता है, मेरे लिए हमेशा परिवार का इतना सपोर्ट रहा है और यही वजह है कि किसी भी रिजेक्शन और नाकामी का इतना फर्क नहीं पड़ता है।’

प्रस्तुति: तनु शुक्ला