मैनपुरी, रामपुर में कौन सा गेम खेल रहे ओम प्रकाश राजभर, कार्यकर्ताओं को दे दी खुली छूट

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मैनपुरी, रामपुर में कौन सा गेम खेल रहे ओम प्रकाश राजभर, कार्यकर्ताओं को दे दी खुली छूट

मैनपुरी, रामपुर में कौन सा गेम खेल रहे ओम प्रकाश राजभर, कार्यकर्ताओं को दे दी खुली छूट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इन दिनों उप चुनावों ने राजनीतिक माहौल को गरमाया हुआ है। तमाम राजनीतिक दल अपनी स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। हालांकि, चुनावी मैदान में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच ही मुख्य मुकाबला हो रहा है। चुनावी मैदान में बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टियां नहीं हैं। इसके बाद भी पार्टी की ओर से अपने समर्थकों को लेकर कोई बात नहीं की गई है। समर्थक अपने स्तर पर निर्णय लेने के लिए एक प्रकार से स्वतंत्र कर दिए गए हैं। लेकिन, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के तेवर बदले हुए हैं। वे अलग ही राजनीति कर रहे हैं। कह रहे हैं, कार्यकर्ता जिसे चाहें उसे वोट दे सकते हैं।

सुभासपा अध्यक्ष मंगलवार को गाजीपु में थे। इस दौरान उन्होंने दोहराया कि उप चुनाव हमेशा सत्ता पक्ष के पाले में जाता दिखता है। कभी-कभी ही विपक्ष चुनाव जीत पाता है। यह भी तब होता है, जब प्रत्याशी का क्षेत्र में काफी ज्यादा क्रेज हो। उन्होंने सवाल किया कि यूपी चुनाव के बाद आजमगढ़, रामपुर और गोला गोकर्णनाथ में चुनाव हुए, कौन जीता? सत्ता पक्ष के उम्मीदवारों की जीत हुई। यही सत्य है और इसे स्वीकार करना होगा। उन्होंने साफ किया है कि मैनपुरी में उनकी पार्टी किसी के साथ नहीं है। दरअसल, सुभासपा ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारा था। नामांकन रद्द हो गया। इस स्थिति पर उनका बयान सामने आया है।

ओपी राजभर ने कहा कि हम किसी के साथ नहीं हैं। कैंडिडेट का नॉमिनेशन रद्द होने के बाद हमारे लोग स्वतंत्र हैं। वह जहां चाहे जा सकते हैं। राजभर ने पलटी मारने के सवाल पर कहा, बहुजन समाज पार्टी भी यही काम करती रही है। मायावती की पार्टी कभी भाजपा, कभी सपा, तो कभी कांग्रेस के साथ खड़ी दिखती है। सपा का भी यही हाल रहा तो उनके ऊपर कोई आंच नहीं आती। आंच सिर्फ ओपी राजभर को ही आती है। यूपी चुनाव में हार के लिए वे अखिलेश यादव के अपरिपक्वता को जिम्मेदार ठहराते हैं। ऐसे में सवाल यहां उठ रहा है कि आखिर राजभर किस प्रकार की राजनीति कर रहे हैं?

ओपी राजभर कभी अखिलेश यादव की तारीफ करते नहीं थक रहे थे। अब मैनपुरी में कार्यकर्ताओं को लेकर इस प्रकार का बयान दे रहे हैं। वहीं, आजम खान को लगातार दोस्त बताने वाले राजभर रामपुर में भी इसी प्रकार की स्थिति की बात करते दिख रहे हैं। इसका अर्थ यह लगाया जा रहा है कि वे किसी भी पक्ष में दिखना नहीं चाहते हैं। अगर आगे आने वाले चुनावों में स्थिति बदली और वे किसी पाले में गए तो उन्हें अपने पुराने पक्ष को लेकर किसी प्रकार के सवाल का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसलिए, राजभर सेफ गेम खेलता दिख रहे हैं।

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