मैं कैंसर पेशेंट हूं, अब मैं कहां जाऊंगी… तुगलकाबाद में 1000 घरों पर बुलडोजर चलने वाला है
सड़कों पर रहने को हो जाएंगे मजबूर
घरों में काम करने वाली आशा सक्सेना ने तुगलकाबाद इलाके के चुरिया गांव में एक डीलर से 5 लाख रुपये में जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा खरीदने के लिए अपनी जीवन भर की बचत का इस्तेमाल किया और अपने गहने बेचे। उनके पति विजय कारों की सफाई करने का काम करते हैं, उन्होंने पूरे जीवन की कमाई लगाकर प्लाट पर दो कमरों का घर बनवाया और 2014 से वहां रह रहे हैं। तीन दिन पहले उन्हें पता चला कि उनके घर को एक संरक्षित क्षेत्र में अवैध रूप से बनाया गया था। सक्सेना ने रोते हुए कहा, ‘हमारे पास बिजली और गैस कनेक्शन हैं, लेकिन अब हमें बताया जा रहा है कि यह एक अवैध निर्माण है। प्रॉपर्टी डीलर गायब हो गया है।’ अगर एएसआई अपनी जमीन पर बने मकानों को गिराने की दिशा में आगे बढ़ता है तो सक्सेना दंपत्ति के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं होगी।
मैं कैंसर रोगी हूं, कहां जाऊं…?
दिल्ली का चुरिया कोई बहुत सुंदर इलाका नहीं है। यहां आवारा पशुओं और कीचड़ भरी ऊबड़-खाबड़ सड़कें हैं। लेकिन यहां के निवासियों के लिए यही इकलौती ऐसी जगह है जिसे वे घर कह सकते हैं। 48 साल की शांतना साहा ने दुखी होकर कहा, ‘मैं एक कैंसर रोगी हूं। लेकिन घर पर आराम करने के बजाय मुझे अपने परिवार की मदद करने के लिए घरों में काम करना पड़ता है। अगर अधिकारी मेरे घर को गिरा देंगे, तो हम कहां जाएंगे?’
‘बच्चों को छोड़नी होगी पढ़ाई’
सड़क के किनारे दुकान लगाने वाले और उत्तर प्रदेश के मूल निवासी महानंद ने कहा, “हम करीब पांच साल पहले यहां आए थे, लेकिन मैं अभी भी उस कर्ज का ब्याज चुका रहा हूं जो मैंने जमीन खरीदने और घर बनाने के लिए लिया था।’ महानंद तुगलकाबाद एक्सटेंशन में करीब 30 साल से किराए के मकान में रहते थे। ऑटोरिक्शा चालक मोहम्मद आजाद ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘एक डीलर ने करीब सात साल पहले मुझे दो कमरे का घर 10 लाख रुपये में बेचा और उसने मुझे बेवकूफ बनाया क्योंकि मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं। मैं बस अपने बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य चाहता था। अब अगर हमें अपने घर से निकाला गया, तो मेरे तीन बच्चों को अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’
‘घर को दुकान तोड़ना चाहते हैं अधिकारी…’
तुगलकाबाद इलाके के ज्यादातर लोगों ने दावा किया कि अगर उन्होंने अपना घर खाली कर दिया तो उनकी आमदनी का जरिया भी खत्म हो जाएगा। स्कूल जाने वाले तीन बच्चों के पिता शामल बराल ने कहा, ‘मैं 1997 में छत्तीसगढ़ से दिल्ली आया और 2015 में अपना घर पाने के लिए कड़ी मेहनत की। मैंने तीन साल पहले अपने घर से किराने की दुकान चलाना शुरू किया और अब अधिकारी मेरा घर और दुकान तोड़ना चाहते हैं।’
15 दिनों के भीतर घर खाली करने का नोटिस
एएसआई ने हाल ही में चुरिया में घरों की दीवारों पर 1,000 से अधिक नोटिस चिपकाए हैं, जो दक्षिण दिल्ली में संरक्षित तुगलकाबाद किला परिसर के अंतर्गत आता है। तुगलक वंश के पहले शासक घियास-उद-दीन तुगलक ने 14वीं शताब्दी में किले का निर्माण कराया था। नोटिस में निवासियों को 15 दिनों के भीतर जगह खाली करने या विध्वंस का सामना करने के लिए कहा गया है। गुरुवार से इलाके में सीआरपीएफ, एसएसबी और गोविंदपुरी थाने के पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई तब शुरू हुई जब दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 24 नवंबर को तुगलकाबाद किले में अतिक्रमण हटाने के लिए एएसआई को छह सप्ताह का समय दिया। अदालत ने किले की सुरक्षा, रखरखाव और संरक्षण की मांग वाली जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 16 जनवरी के लिए सूचीबद्ध की थी। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने किले को संरक्षित स्मारक घोषित किया था।