मैं अपनी राजनीति काल में कभी भी Nitish के साथ नहीं जाऊंगा, कसमें वादे प्यार वफ़ा सब…

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मैं अपनी राजनीति काल में कभी भी Nitish के साथ नहीं जाऊंगा, कसमें वादे प्यार वफ़ा सब…

मैं अपनी राजनीति काल में कभी भी Nitish के साथ नहीं जाऊंगा, कसमें वादे प्यार वफ़ा सब…


पटना : ‘मैं अपनी राजनीति काल में कभी भी नीतीश कुमार के साथ नहीं जाऊंगा।’
कसमें वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या
कोई किसी का नहीं ये झूठे, नाते हैं नातों का क्या
कसमें वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या

1967 में रिलीज फिल्म ‘उपकार’ के इस गाने में जीवन के सच और मानवमन को गीतकार ने शब्दों को पिरोया है। मगर कई लोग कैमरे पर इस गीत को झुठलाने की कोशिश करते हैं। काश! इसे झुठला पाते। काश! 56 साल बाद गीतकार इंदीवर के ये शब्द झुठे साबित हो जाते। मगर, अब तक किसी ने ऐसी हिम्मत नहीं दिखाई। बिहार की राजनीति को लेकर जब मुस्कुराने का मन करे तो इस गाने को गुनगुना सकते हैं।

नीतीश कुमार से तीसरी बार दिल तोड़ चुके उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर कसम खाई है। बिहार के औरंगाबाद में उन्होंने कहा कि ‘मैं अपनी राजनीति काल में कभी भी नीतीश कुमार के साथ नहीं जाऊंगा’ वैसे, अपने मुंहबोले बड़े भाई (नीतीश कुमार) के लिए उपेंद्र कुशवाहा कब कसम को ताक पर रख दें, कहना मुश्किल है। कहा तो यहां तक जाता है कि सियासत में कसम तो तोड़ने के लिए ही खाई जाती है। आम लोग भले ही इस कसम को सीरियसली लें, मगर नेताओं के सामने इसकी हैसियत ‘ज़ीरो’ है। कवियों की नजर दूर तक होती है तो उनकी पारखी नजरों से बच नहीं पाया।

अकेले उपेंद्र कुशवाहा कसम खाने और तोड़नेवालों में नहीं हैं। देश की राजनीति ऐसे अनगिनत उदाहरण भरे पड़े हैं। मगर यहां बात नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा की हो रही है तो इनके कसमें-वादों को देख लेते हैं।

2007 से 2023 तक उपेंद्र कुशवाहा ने आठ बार अपनी कसम को तोड़ा है। नौवीं बार फिर से कसम खा रहे हैं। जिनमें तीन बार तो सीधे-सीधे इसका वास्ता नीतीश कुमार से ही है।

  • साल 2007 में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से बगावत कर दी। पार्टी से बाहर निकाले जाने के बाद राष्ट्रीय समता पार्टी बनाई। 2009 लोकसभा चुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार से मिल गए। नीतीश ने राज्यसभा सांसद बना दिया।
  • 2013 में कुशवाहा ने नीतीश को झटका दिया और खुद की नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनाई। 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया।
  • 2022 में जब नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बनाई तो एक बार फिर कुशवाहा ने अलग रास्ता चुना। पहले की तरह एक बार फिर नई पार्टी बनाई। लोगों के बीच वही पुराना कसम खाने का सिलसिला एक बार फिर से जारी है।

वैसे, उपेंद्र कुशवाहा के मुंहबोले बड़े भैया यानी नीतीश कुमार भी अपने कसम को तोड़ने में कम एक्सपर्ट नहीं है। जरा उनके कसमें-वादों को भी देख लेते हैं।

  • साल 1994 में नीतीश कुमार ने अपने मुंहबोले बड़े भैया यानी लालू यादव का साथ छोड़ा। समता पार्टी के जरिए 1995 बिहार विधानसभा चुनावों में उतरे। हार के बाद 1996 में बीजेपी से हाथ मिला लिए। समता पार्टी 2003 में जनता दल यूनाइटेड बन गई।
  • बिहार में 17 सालों तक बीजेपी के साथ नीतीश का गठबंधन चला। साल 2013 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 के लिए जब नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया तो नीतीश ने गठबंधन तोड़ दिया।
  • लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी से मात खा चुके नीतीश कुमार ने साल 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया। सत्ता बरकरार रही।
  • अप्रैल 2017 में सत्ताधारी महागठबंधन से नीतीश कुमार बाहर आ गए। बीजेपी के समर्थन से एक बार फिर सीएम बने। 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में जीत मिली। नीतीश कुमार ने राजकाज संभाला। अगस्त 2022 में नीतीश ने अचानक पलटी मारी और बीजेपी से अलग हो गए। अब आरजेडी और कांग्रेस के साथ सत्ता सुख ले रहे हैं।
  • 2013 से 2022 तक नीतीश कुमार ने जब-जब पाला बदला तो कोई न कोई कसम जरूर खाया। जिसमें सबसे फेमस रहा ‘मिट्टी में मिल जाएंगे, लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे।’ इसके होर्डिंग्स भी पटना की सड़कों पर दिखी। मगर अब तो मरने तक की कसम नीतीश खा चुके हैं। इस बार उन्होंने कहा कि ‘हमें तो मर जाना कबूल है उनके साथ जाना कबूल नहीं है।’

मगर, इन नेताओं के कसमें-वादों के तोड़ने की आदत से आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप अपने कसमें-वादे को निभाते रहिए। कसम तोड़नेवालों के झांसे में मत आइए। स्वार्थ और नि:स्वार्थ में सदियों से मुकाबला होते आया है। भाइयों के बीच बंटवारे और अलगाव की बैकग्राउंड पर ‘उपकार’ फिल्म के ‘कसमें वादे प्यार वफ़ा…’ गीत को फिल्माया गया है। सियासत की बदलती दुनिया में ज्यादातर कसमें-वादे सिर्फ कोरे वादे ही होते हैं। असल जिंदगी में उनका कोई वास्ता नहीं है। यू-ट्यूब पर ‘कसमें वादे…’ गाने को एक बार फिर से सुन लीजिए और खुद को फिलॉसफियाना फील कीजिए।

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