मुस्लिमों को उर्दू में मन की बात समझाएगी भाजपा, 2024 से पहले कट्टर हिंदू पार्टी की इमेज बदलने की कोशिश!

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मुस्लिमों को उर्दू में मन की बात समझाएगी भाजपा, 2024 से पहले कट्टर हिंदू पार्टी की इमेज बदलने की कोशिश!

मुस्लिमों को उर्दू में मन की बात समझाएगी भाजपा, 2024 से पहले कट्टर हिंदू पार्टी की इमेज बदलने की कोशिश!


लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी के प्रति मुस्लिमों का मन ‘बदलने’ में जुटी भाजपा उन्हें उर्दू जुबान में ‘मन की बात’ समझाने की तैयारी में जुट गई है। पीएम नरेंद्र मोदी की हर महीने के आखिरी रविवार होने वाली ‘मन की बात’ का उर्दू संस्करण मुस्लिम बहुल इलाकों में बांटा जाएगा। पार्टी की इस कवायद को राजनीतिक पूंजी को और समृद्ध करने के लिए उठाए गए हालिया कदमों का विस्तार माना जा रहा है। हिंदुत्व के कोर अजेंडे और विपक्ष पर ‘तुष्टीकरण’ की राजनीति को चुनावी हथियार बनाने वाली भाजपा की रणनीति में पिछले कुछ समय से बदलाव देखने को मिल रहा है।

साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ ही ‘सबका विश्वास’ की कड़ी को अल्पसंख्यकों तक विस्तृत करने का इशारा नरेंद्र मोदी ने किया था। तीन तलाक के बहाने मुस्लिम महिलाओं की चिंता को उन्होंने खासतौर पर साझा किया था। इसके बाद से लगातार मुस्लिमों खासकर पिछड़ों-गरीब तबकों में पैठ बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने सक्रियता बढ़ाई है। पसमांदा सम्मेलन, भाईचारा रैलियों जैसी राजनीतिक मंचों के साथ ही सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों की भागीदारी के नियमित तौर पर रखे जाने वाले आंकड़े इसका ही हिस्सा हैं। इसी कड़ी में अब ‘भाषाई संवाद’ का भी नाता जोड़ने की तैयारी है।

एक साल के संवाद का हुआ संकलन

सूत्रों के अनुसार भाजपा के प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा ने पिछले एक वर्ष के मोदी के ‘मन की बात’ का उर्दू अनुवाद कराकर उसे किताब की शक्ल दी है। यह कमोबेश वही दौर है, जब भाजपा ने अल्पसंख्यकों में पैठ बनाने की कवायद भी तेज की है। 130 से भी अधिक पेजों वाली इस किताब में मन की बात के 12 संस्करण को शामिल किया गया है। अल्पसंख्यक मोर्चा मुस्लिम बहुल इलाकों खास तौर पर उन क्षेत्रों में जहां भाजपा की जड़ें कमजोर हैं वहां इनका वितरण करेगा। इन्हें मदरसों, बुद्धजीवियों, युवाओं तक विशेष तौर पर पहुंचाया जाएगा, जिससे इनका ‘इम्पैक्ट फैक्टर’ और बेहतर किया जा सके। ‘मन की बात’ सरकार की नीतियों व उपलब्धियों को नीचे तक पहुंचाने का एक कारगर माध्यम रहा है।

उम्मीदें इसलिए भी हैं…
2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों के नतीजे भाजपा के लिए दिल्ली की सत्ता का रुख तय करेंगे। 2019 में हुए सपा-बसपा गठबंधन ने मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा के लिए मुश्किल पैदा की थीं। फिलहाल अभी विपक्ष में बिखराव हैं लेकिन कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों के प्रभावी असर का सवाल अभी भी मौजूं है। इसलिए भाजपा बर्फ पिघलाने में लगी है। आजमगढ़ व रामपुर लोकसभा उपचुनाव व रामपुर विधानसभा उपचुनाव की जीत ने उम्मीदों को हवा भी दी है, इसलिए प्रयास और तेज हैं।

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