मुलायम सिंह यादव को पद्म पुरस्कार देने वाली मोदी सरकार बाल ठाकरे और सावरकर को भूली, सामना संपादकीय में तंज

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मुलायम सिंह यादव को पद्म पुरस्कार देने वाली मोदी सरकार बाल ठाकरे और सावरकर को भूली, सामना संपादकीय में तंज

मुलायम सिंह यादव को पद्म पुरस्कार देने वाली मोदी सरकार बाल ठाकरे और सावरकर को भूली, सामना संपादकीय में तंज


मुंबई: हाल में मोदी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को पद्म पुरस्कार से नवाजा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया दिवंगत मुलायम सिंह यादव समेत कई लोगों को मरणोपरांत यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया है। हालांकि, अब मुलायम सिंह को दिए गए इस सम्मान पर उद्धव ठाकरे गुट के मुखपत्र सामना में सवाल उठाए गए हैं। सामना ने लिखा है कि मुलायम सिंह यादव का सम्मान करने वाली मोदी सरकार दो हिंदू हृदय सम्राटों वीर सावरकर और बालासाहेब ठाकरे को भूल गई लेकिन लोगों को इस घटना को याद रखना चाहिए। सामना ने लिखा है कि स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को भी पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया है, इसे आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा। जीवित रहते कारसेवकों के हत्यारे के तौर पर उनकी अवहेलना करने वाली बीजेपी सरकार को मुलायम को मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की जरूरत पड़ी, यह महत्वपूर्ण है। सामना ने लिखा है कि अयोध्या में अब राम मंदिर बन रहा है और उसी राम मंदिर के नाम पर हर चुनाव में वोट मांगे गए। हालांकि, 1990 में हुए अयोध्या आंदोलन के दौरान उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर अंधाधुंध फायरिंग करवाई थी। जिसमें सैकड़ों साधु-संत और कारसेवक मारे गए थे। कई लाशों को सरयू नदी में फेंक दिया गया था। तब कारसेवकों के खून से सरयू नदी लाल हो गई थी।

इस हत्याकांड के बाद बीजेपी और संघ परिवार ने मुलायम सिंह को ‘मौलाना मुलायम’ कहना शुरू कर दिया था। उसके बाद मुलायम सिंह ने यह भी कहा कि ‘बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए अगर और हिंदुओं को गोली मारनी पड़ती तो भी वो आगे पीछे नहीं देखते। मुलायम के इस बयान के बाद बीजेपी और उनके परिवार ने मुलायम सिंह पर हिंदुओं की गैर इरादतन हत्या का अपराध दर्ज करने की मांग की। अब उसी मुलायम को प्रखर हिंदुत्ववादी आदि कहलाने वाली मोदी सरकार ने पद्म विभूषण दूसरे क्रमांक का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है।

हिंदू समाज के दुश्मन बन गए थे मुलायम
सामना ने लिखा है कि मुलायम सिंह यादव समाजवादी आंदोलन के बड़े नेता थे। सामाजिक और राजनीतिक कार्य में उनका योगदान भी बड़ा है लेकिन अयोध्या आंदोलन में उन्होंने कारसेवकों पर गोलियां चलाकर जो खून खराबा किया। उससे वे देशभर के हिंदू समाज के हमेशा के लिए दुश्मन बन जाए। अगर मुलायम सिंह ने गोलीबारी नहीं की होती तो हिंदू गुस्से में आकर सड़कों पर नहीं उतरता और जवाब में बीजेपी को राजनीतिक फायदा नहीं होता। उसका कर्ज चुकाने के लिए ही तो कहीं मुलायम सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित नहीं किया गया है?

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