मुलायम की यादों के सहारे मैनपुरी को साधने की तैयारी, हर मंच पर जीवंत होंगे नेताजी… अखिलेश की बड़ी रणनीति

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मुलायम की यादों के सहारे मैनपुरी को साधने की तैयारी, हर मंच पर जीवंत होंगे नेताजी… अखिलेश की बड़ी रणनीति

मुलायम की यादों के सहारे मैनपुरी को साधने की तैयारी, हर मंच पर जीवंत होंगे नेताजी… अखिलेश की बड़ी रणनीति

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव के नामांकन के बाद कहा ‘नेताजी की यादें अभी ताजा हैं, लोग उनके किस्से-अनुभव की चर्चा करते हैं। उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि मैनपुरी का पूरा वोट डिंपल को मिले।’ दरअसल, मुलायम की गैर-मौजूदगी में हो रहे मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव के केंद्र में सपा मुलायम को ही रखने की तैयारी में है। डिंपल को मुलायम के प्रतिनिधि के तौर पर पेश कर सहानुभूति साधने पर पार्टी की नजर है। मैनपुरी की विरासत व ‘सैफई परिवार’ की एका की डोर मुलायम की यादों से जोड़ अखिलेश भी उन सवालों का जवाब देने में लगे हैं, जो सियासी फिजा में तैर रहे हैं। मैनपुरी का उपचुनाव सपा की साख और भविष्य दोनों से जुड़ा है। यहां कोई भी झटका लगा तो मुलायम की विरासत ही नहीं सपा की उम्मीदों की जमीन भी खिसक जाएगी। अखिलेश भी इस खतरे से पूरी तरह वाकिफ हैं। इसलिए, वह भी चाहते हैं कि यह चुनाव परंपरागत समीकरणों पर कसे जाने की जगह सहानुभूति की उस लहर में बहे, जो सभी दीवारों को ढहा देती है।

हर मंच से ‘जीवंत’ होंगे मुलायम
मैनपुरी से कई दावेदारों की चर्चा के बीच डिंपल के नाम पर मुहर की जमीन पहले ही तैयार की गई थी। मुलायम के निधन के बाद संवेदना का पक्ष हो या रस्म अदायगी, परिवार के महिला सदस्यों में डिंपल की सक्रियता सर्वाधिक थी। सोमवार को नामांकन के पहले अखिलेश और डिंपल पहले मुलायम सिंह यादव के समाधि स्थल गए और उन्हें नमन किया। मुलायम की बहू के तौर पर अखिलेश ने डिंपल को नेताजी के प्रति आस्था से जोड़ा। उन्होंने कहा कि सपा प्रत्याशी के रूप में दरअसल नेताजी की समाजवादी आस्था का ही नामांकन हो रहा है।

अखिलेश ने दावा किया कि जिस प्रकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के लोगों और जनमानस ने सैफई जाकर नेताजी को श्रद्धांजलि दी है, उसका सच्चा परिणाम यह होगा कि सपा प्रत्याशी की ऐतिहासिक जीत होगी। सूत्रों का कहना है कि सपा के पूरे चुनाव अभियान में हर मंच पर मुलायम ‘जीवंत’ रहेंगे, जिससे उनके नाम-काम से जातीय गणित और मतभेद की बाधाओं को दूर किया जा सके।

एका के दावों के बीच अनुपस्थित शिवपाल
सैफई परिवार में सियासी महत्वाकांक्षाओं के विस्तार का अभियान मैनपुरी की राह संकुचित न कर दे, इसका भी ध्यान अखिलेश ने नामांकन के दौरान रखने की कोशिश की। रामगोपाल यादव नामांकन में साथ रहे तो टिकट के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे तेजप्रताप यादव भी डिंपल के प्रस्तावकों में शामिल थे। शाक्य वोटों की अहमियत को देखते हुए पिछले हफ्ते जिलाध्यक्ष बनाए गए आलोक शाक्य भी डिंपल के प्रस्तावक बने, लेकिन अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही। रामगोपाल ने दावा किया कि डिंपल का नाम शिवपाल की सहमति से तय हुआ है, लेकिन शिवपाल ने सार्वजनिक मंचों से डिंपल की उम्मीदवारी के सवाल पर अब तक हामी नहीं भरी है।

हालांकि, अखिलेश ने शिवपाल की गैर-मौजूदगी का जवाब यह कहकर दिया, ‘नेताजी के न रहने के दुख के चलते नामांकन सादगी से करने का फैसला किया गया था और केवल प्रस्तावक व कुछ समर्थक ही मौजूद थे। बाकी पूरा परिवार साथ है और सबकी सहमति से उम्मीदवार तय हुआ है।’ फिलहाल शिवपाल समेत अपनों की भूमिका को लेकर संशय के चलते अखिलेश ने मैनपुरी में प्रचार व रणनीति की कमान अपने हाथ लेकर उपचुनाव से दूरी की रवायत को तोड़ने का फैसला किया है।

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