मुफ्त का पैड नहीं, मुझे इन समस्याओं का समाधान चाहिए’ जानिए क्यों IAS अधिकारी से भिड़ गई रिया… जानकर आप भी कहेंगे वाह रिया वाह! ‘
रिया कहती हैं कि मेरी समस्या का समाधान और मेरे सवालों का जवाब अब भी मुझे नहीं मिला है। रिया ने कहा, मैं तो पैड खरीद सकती हूं। मेरे परिवार के लोग भी इतना सक्षम हैं। मेरे भाई कुली हैं और वो मेरी जरूरतों को भी समझते हैं। मेरी जरूरत पर वो पैड लाकर भी दे देते हैं। रिया ने इस बात पर जोर देकर कहा कि मेरे कमला नेहरू के स्लम में ऐसे हजारों बच्चियां हैं।
पटना : रिया इन दिनों चर्चा में है। उसने सार्वजनिक मंच पर गरीब बच्चियों के हक और अधिकार की बात कही है। रिया ने महिला एवं बाल विकास IAS अधिकारी से सार्वजनिक मंच से सैनिटरी पैड की। इस मांग की सरहना भी हुई। पूरे देश भर की मीडिया का ध्यान बिहार की इस स्लम बस्ती की लड़की पर गया। रिया ने जो हक अधिकार की मशाल उठाई उससे प्रभावित होकर एक सेनेट्री पैड बनाने वाली कंपनी ने उसे एक साल का मुफ्त सेनेट्री पैड देने की बात कही, पढ़ाई का खर्चा उठाने का वादा किया और विज्ञापन के जरिए पैड गर्ल बनने का ऑफर भी दिया। मगर रिया अब भी खुश नहीं है।
मुफ्त में मिले पैड से भी खुश नहीं रिया
रिया का कहना है कि उसे एक साल का सेनेट्री पैड दिया गया। मगर उसके स्लम में हजारों और बिहार में लाखों लड़कियां हैं। जिसे सेनेट्री पैड की जरूरत हर महीने पड़ती है। मगर वो उसका खर्च नहीं उठा सकती हैं, न वो अपने लिए सेनेट्री पैड की डिमांड घर वालों से कर सकती हैं। रिया कहती है कंपनी ने मुझे सेनेट्री पैड दिया मगर मेरा सवाल अब भी सवाल ही है। उसने NBT से कहा कि मेरी समस्या का समाधान तो अब भी नहीं हुआ है। मैंने तो अपनी बस्ती की लड़कियों के लिए मुफ्त सेनेट्री पैड की मांग की थी। इन लड़कियों के जरिए बिहार की लड़कियों की जरूरत पर ध्यान दिलाने की कोशिश की थी। लेकिन सेनेट्री पैड बनाने वाली कंपनी ने मुझे एक साल का का पैड दे दिया।
मैं पैड खरीद सकती हूं… मैंने अपने लिए नहीं मांगा था
रिया कहती हैं कि मेरी समस्या का समाधान और मेरे सवालों का जवाब अब भी मुझे नहीं मिला है। रिया ने कहा, मैं तो पैड खरीद सकती हूं। मेरे परिवार के लोग भी इतना सक्षम हैं। मेरे भाई कुली हैं और वो मेरी जरूरतों को भी समझते हैं। मेरी जरूरत पर वो पैड लाकर भी दे देते हैं। रिया ने इस बात पर जोर देकर कहा कि मेरे कमला नेहरू के स्लम में ऐसे हजारों बच्चियां हैं। जिन्हें सेनेट्री पैड की जानकारी है बावजूद वो कपड़ा लेने को मजबूर हैं। रिया बताती हैं कि वो जिस सरकारी स्कूल में पढ़ती थी वहां ऐसे लड़कियां हैं। जो अपने घर में ये भी नहीं बता पतीं हैं कि ‘उसे क्या परेशानी है’। रिया कहती हैं, कि शुरुआत के दिनों में ज्यादा फ्लो होने की वजह से काफी परेशानी होती है। बार बार बदलना पड़ता है। जिससे ऐसे दिनों में और भी ज्यादा दिक्कत होती है।
‘कंडोम भी चाहिए?’ लड़कियों के सेनेटरी पैड के सवाल पर बिहार के IAS अधिकारी का अजीबोगरीब जवाब
जरूरत मंदों में बांट दूंगी सारे पैड्स
रिया ने कहा कि कंपनी की ओर से अभी कहा गया है कि वो एक साल का सेनेट्री नैपकिन देंगे। अभी आया नहीं है, मगर आया तो मैं उन लड़कियों को बांट दूंगी जिन्हें इनकी जरूरत मुझसे ज्यादा है। ये मेरा संदेश होगा कि सरकार ऐसी लड़कियों के लिए व्यवस्था करे। रिया कहती हैं कि मैं खरीद सकती हूं लेकिन हमारे ही यहां बहुत बच्चियां ऐसी हैं। जिनके घर की स्थिति ऐसी नहीं कि वो अपनी बात घर में बता भी पाएं। रिया ने बताया कि कमला नेहरू स्लम बहुत बड़ा है। इसमें रिक्शा चलाने वाले, ठेला खींचने वाले, दुकानों पर प्लेट धोने वाले से लेकर मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं। जिन्हें हायजीन क्या होती है ये पता ही नहीं। ऐसे परिवारों की बच्चियों की समस्या उनके अभिभावक समझ ही नहीं सकते हैं। रिया ने कहा कि मैं लकी हूं कि मेरा परिवार मेरे भाई इन सब चीजों को समझते हैं लेकिन इसी बस्ती की लड़कियों को मुश्किल दिनों की उन परेशानियों में देखा है। जहां वो अपनी परेशानी परिवार को बता भी नहीं सकती हैं।
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रिया कहती हैं कि मेरी समस्या का समाधान और मेरे सवालों का जवाब अब भी मुझे नहीं मिला है। रिया ने कहा, मैं तो पैड खरीद सकती हूं। मेरे परिवार के लोग भी इतना सक्षम हैं। मेरे भाई कुली हैं और वो मेरी जरूरतों को भी समझते हैं। मेरी जरूरत पर वो पैड लाकर भी दे देते हैं। रिया ने इस बात पर जोर देकर कहा कि मेरे कमला नेहरू के स्लम में ऐसे हजारों बच्चियां हैं।
रिया का कहना है कि उसे एक साल का सेनेट्री पैड दिया गया। मगर उसके स्लम में हजारों और बिहार में लाखों लड़कियां हैं। जिसे सेनेट्री पैड की जरूरत हर महीने पड़ती है। मगर वो उसका खर्च नहीं उठा सकती हैं, न वो अपने लिए सेनेट्री पैड की डिमांड घर वालों से कर सकती हैं। रिया कहती है कंपनी ने मुझे सेनेट्री पैड दिया मगर मेरा सवाल अब भी सवाल ही है। उसने NBT से कहा कि मेरी समस्या का समाधान तो अब भी नहीं हुआ है। मैंने तो अपनी बस्ती की लड़कियों के लिए मुफ्त सेनेट्री पैड की मांग की थी। इन लड़कियों के जरिए बिहार की लड़कियों की जरूरत पर ध्यान दिलाने की कोशिश की थी। लेकिन सेनेट्री पैड बनाने वाली कंपनी ने मुझे एक साल का का पैड दे दिया।
मैं पैड खरीद सकती हूं… मैंने अपने लिए नहीं मांगा था
रिया कहती हैं कि मेरी समस्या का समाधान और मेरे सवालों का जवाब अब भी मुझे नहीं मिला है। रिया ने कहा, मैं तो पैड खरीद सकती हूं। मेरे परिवार के लोग भी इतना सक्षम हैं। मेरे भाई कुली हैं और वो मेरी जरूरतों को भी समझते हैं। मेरी जरूरत पर वो पैड लाकर भी दे देते हैं। रिया ने इस बात पर जोर देकर कहा कि मेरे कमला नेहरू के स्लम में ऐसे हजारों बच्चियां हैं। जिन्हें सेनेट्री पैड की जानकारी है बावजूद वो कपड़ा लेने को मजबूर हैं। रिया बताती हैं कि वो जिस सरकारी स्कूल में पढ़ती थी वहां ऐसे लड़कियां हैं। जो अपने घर में ये भी नहीं बता पतीं हैं कि ‘उसे क्या परेशानी है’। रिया कहती हैं, कि शुरुआत के दिनों में ज्यादा फ्लो होने की वजह से काफी परेशानी होती है। बार बार बदलना पड़ता है। जिससे ऐसे दिनों में और भी ज्यादा दिक्कत होती है।
‘कंडोम भी चाहिए?’ लड़कियों के सेनेटरी पैड के सवाल पर बिहार के IAS अधिकारी का अजीबोगरीब जवाब
जरूरत मंदों में बांट दूंगी सारे पैड्स
रिया ने कहा कि कंपनी की ओर से अभी कहा गया है कि वो एक साल का सेनेट्री नैपकिन देंगे। अभी आया नहीं है, मगर आया तो मैं उन लड़कियों को बांट दूंगी जिन्हें इनकी जरूरत मुझसे ज्यादा है। ये मेरा संदेश होगा कि सरकार ऐसी लड़कियों के लिए व्यवस्था करे। रिया कहती हैं कि मैं खरीद सकती हूं लेकिन हमारे ही यहां बहुत बच्चियां ऐसी हैं। जिनके घर की स्थिति ऐसी नहीं कि वो अपनी बात घर में बता भी पाएं। रिया ने बताया कि कमला नेहरू स्लम बहुत बड़ा है। इसमें रिक्शा चलाने वाले, ठेला खींचने वाले, दुकानों पर प्लेट धोने वाले से लेकर मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं। जिन्हें हायजीन क्या होती है ये पता ही नहीं। ऐसे परिवारों की बच्चियों की समस्या उनके अभिभावक समझ ही नहीं सकते हैं। रिया ने कहा कि मैं लकी हूं कि मेरा परिवार मेरे भाई इन सब चीजों को समझते हैं लेकिन इसी बस्ती की लड़कियों को मुश्किल दिनों की उन परेशानियों में देखा है। जहां वो अपनी परेशानी परिवार को बता भी नहीं सकती हैं।
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