मुकेश और अनिल अंबानी कभी एक-दूसरे पर छिड़कते थे जान, इस वजह से रिश्तों में आ गई दरार, ये एक गलती पड़ी भारी
नई दिल्ली:रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के संस्थापक धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने कड़ी मेहनत और लगन से कारोबार को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। धीरूभाई ने रिलायंस का साम्राज्य बढ़ाने के साथ परिवार के रिश्तों को भी संभाल कर रखा। धीरूभाई रिश्तों को बहुत अहमियत देते थे। धीरूभाई अंबानी ने अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के खराब समय में उनकी काफी मदद की थी। धीरूभाई हमेशा आगे का सोचकर काम करते थे। हालांकि धीरूभाई अपने निधन से पहले एक काम नहीं कर पाए थे। इस वजह से उनके निधन के बाद दोनों भाईयों के बीच रिश्तों में कड़वाहट आना शुरू हो गई थी।
ये गलती पड़ी भारी
दरअसल वसीयत नहीं करने की धीरूभाई अंबानी की एक गलती की वजह से मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और अनिल अंबानी (Anil Ambani) के रिश्ते आगे चलकर बिगड़ने लगे। दोनों भाईयों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। साल 2002 से दोनों भाईयों के रिश्ते खराब होने लगे थे। इसके बाद रिलायंस ग्रुप (Reliance Group) का साल 2005 में बंटवारा हो गया। लेकिन इस समय तक दोनों भाईयों के रिश्ते काफी खराब हो चुके थे।
रिलायंस पर कब्जे की छिड़ी जंग
साल 2002 में धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani Death) दुनिया से चल बसे। धीरूभाई ने कोई वसीयत नहीं की थी। इसके चलते दोनों भाईयों के बीच रिलायंस पर कब्जा पाने की जंग छिड़ गई। धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बने। वहीं अनिल अंबानी वाइस चेयरमैन बने। लेकिन साल 2004 में दोनों भाईयों के बीच विवाद काफी बढ़ गया। इसके बाद साल 2005 में मां कोकिलाबेन ने दोनों भाईयों के बीच कारोबारी साम्राज्य को बांटने का ऐलान किया।
कंपनियों का इस तरह हुआ बंटवारा
दोनों भाईयों के बीच साल 2005 में बंटवारा हो गया। इसके बाद मुकेश अंबानी के हिस्से में पेट्रोकेमिकल्स सहित तेल और गैस, रिफाइनिंग और टेक्सटाइल्स आए। वहीं, अनिल अंबानी के पास फाइनेंशियल सर्विसेज, पावर, एंटरटेनमेंट और टेलीकॉम कारोबार आ गए। इस बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी ने कारोबार को तेजी से आगे बढ़ाया। मुकेश लगातार अमीर होते चले गए, जबकि अनिल अंबानी अपनी नेटवर्थ गंवाते चले गए। साल 2020 में अनिल अंबानी ने अपनी नेटवर्थ जीरो होने का ऐलान किया। दोनों भाईयों की नेटवर्थ में इस समय जमीन आसमान का अंतर है।
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ये गलती पड़ी भारी
दरअसल वसीयत नहीं करने की धीरूभाई अंबानी की एक गलती की वजह से मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और अनिल अंबानी (Anil Ambani) के रिश्ते आगे चलकर बिगड़ने लगे। दोनों भाईयों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। साल 2002 से दोनों भाईयों के रिश्ते खराब होने लगे थे। इसके बाद रिलायंस ग्रुप (Reliance Group) का साल 2005 में बंटवारा हो गया। लेकिन इस समय तक दोनों भाईयों के रिश्ते काफी खराब हो चुके थे।
रिलायंस पर कब्जे की छिड़ी जंग
साल 2002 में धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani Death) दुनिया से चल बसे। धीरूभाई ने कोई वसीयत नहीं की थी। इसके चलते दोनों भाईयों के बीच रिलायंस पर कब्जा पाने की जंग छिड़ गई। धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बने। वहीं अनिल अंबानी वाइस चेयरमैन बने। लेकिन साल 2004 में दोनों भाईयों के बीच विवाद काफी बढ़ गया। इसके बाद साल 2005 में मां कोकिलाबेन ने दोनों भाईयों के बीच कारोबारी साम्राज्य को बांटने का ऐलान किया।
कंपनियों का इस तरह हुआ बंटवारा
दोनों भाईयों के बीच साल 2005 में बंटवारा हो गया। इसके बाद मुकेश अंबानी के हिस्से में पेट्रोकेमिकल्स सहित तेल और गैस, रिफाइनिंग और टेक्सटाइल्स आए। वहीं, अनिल अंबानी के पास फाइनेंशियल सर्विसेज, पावर, एंटरटेनमेंट और टेलीकॉम कारोबार आ गए। इस बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी ने कारोबार को तेजी से आगे बढ़ाया। मुकेश लगातार अमीर होते चले गए, जबकि अनिल अंबानी अपनी नेटवर्थ गंवाते चले गए। साल 2020 में अनिल अंबानी ने अपनी नेटवर्थ जीरो होने का ऐलान किया। दोनों भाईयों की नेटवर्थ में इस समय जमीन आसमान का अंतर है।
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