मिस्त्र और भारत के गहरे संबंध में बॉलीवुड की भी अहम भूमिका, 93 साल पुराना है ये रिश्ता

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मिस्त्र और भारत के गहरे संबंध में बॉलीवुड की भी अहम भूमिका, 93 साल पुराना है ये रिश्ता

मिस्त्र और भारत के गहरे संबंध में बॉलीवुड की भी अहम भूमिका, 93 साल पुराना है ये रिश्ता

देश के 74वें गणतंत्र दिवस पर एक बार दुनिया ने हिंदुस्‍तान का दम देखा। कर्तव्‍य पथ पर इस साल 26 जनवरी, 2023 को मिस्र के राष्‍ट्रपति अब्‍देल फत्ताह अल-सिसी मुख्‍य अतिथ‍ि के तौर पर मौजूद थे। अगले कुछ दिनों में, भारत-मिस्र संबंध कई द्विपक्षीय समझौतों के साथ और प्रगाढ़ होने वाले हैं। यह हिंदुस्‍तान और मिस्र की राजनयिक दोस्‍ती में अहम मौका था। लेकिन दिलचस्‍प है कि दोनों देशों में सांस्कृतिक संबंध इससे कहीं अध‍िक गहरे भी हैं और पुराने भी। इस सांस्‍कृतिक संबंध में सबसे अहम भूमिका बॉलीवुड फिल्‍मों की भी रही है। मिस्र के लोग हमेशा से हिंदी फिल्मों के दीवाने रहे हैं। इतना ही नहीं, फिल्‍मों के साथ ही बॉलीवुड के फिल्‍मी सितारों से भी उनका एक अपना पर्सनल बॉन्‍ड बनता रहा है। फिर चाहे दिलीप कुमार की फिल्‍म ‘आन’ हो या अमिताभ बच्‍चन की ‘मर्द’, मिस्र में हिंदी सिनेमा फैन्‍स ने फिल्‍मों को खूब बढ़-चढ़कर देखा है। काहिरा में शाहरुख खान की फिल्‍म ‘माई नेम इज खान’ के लिए तो सिनेमाघरों के बाहर हद से ज्‍यादा लंबी कतार देखने को मिली थी।

सिर्फ मिस्र की जनता ही नहीं, वहां के राष्ट्रपतियों ने भी हिंदी सिनेमा को खूब पसंद किया है। कम ही लोग जानते हैं कि मिस्र के तत्कालीन राष्ट्रपति जमाल अब्देल नासिर ने 1960 में बॉम्बे (अब मुंबई) में 7वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में हिस्‍सा लिया था।

एकतरफा नहीं है झुकाव

फिल्मफेयर अवॉर्ड में प्रेसिडेंट नासेर

संस्‍कृति और सिनेमा को लेकर यह आकर्षण या झुकाव एकतरफा नहीं है। बॉलीवुड को भी मिस्र की खूबसूरती, वहां के स्मारकों, खासकर पिरामिडों से विशेष लगाव रहा है। ‘द ग्रेट गैंबलर’ (1976) फिल्‍म में अमिताभ बच्चन से लेकर ‘सिंह इज किंग’ (2008) में अक्षय कुमार तक – हिंदी सिनेमा के सुपरस्‍टार्स को हमने मिस्र में कभी एक्‍ट्रेसेस के साथ डांस करते हुए देखा है या फिर विलन को पीटते हुए।

दोनों ही सभ्यताएं प्राचीन हैं
भारत और मिस्र, ये दोनों ही सभ्यताएं न सिर्फ प्राचीन हैं, बल्‍क‍ि एंटी-कोलोनियल यानी उपनिवेश-विरोधी भी रही हैं। इस कारण भी दोनों देशों के बीच आधुनिक संबंध वक्‍त के साथ बेहतर होते गए हैं। केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने 2014 में कहा था कि महात्मा गांधी और मिस्र के राजनेता साद जघलौल ने अपने-अपने देश की स्वतंत्रता को कमोबेश एक ही तरह से अपने जीवन का लक्ष्य बनाया था। नासिर और जवाहरलाल नेहरू के बीच गहरी दोस्‍ती से इन संबंधों को विस्‍तार मिला, इस कारण ही 1955 में दोनों देशों के बीच ‘मित्रता संधि’ हुई। यह वह दौर था जब नासिर और नेहरू, यूगोस्लाविया के जोसिफ ब्रोज टीटो के साथ वैश्विक गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नन-अलाइंड मूवमेंट) के तीन स्तंभ माने जाते थे।

1930 में बना था कनेक्शन

Egypt and India bollywood

दिलीप कुमार से शाहरुख खान तक का क्रेज

हालांकि, राजनीति और कूटनीति की दुनिया से परे 1930 के दशक में सिनेमाघरों के कारण दोनों देशों के निवासियों के बीच भी एक कनेक्‍शन बना। ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर वाल्टर आर्मब्रस्ट ने ‘द यूबीक्विटस नॉनप्रेज़ेंस ऑफ इंडिया’ टाइटल वाले एक पेपर में फैन मैगजीन अल कावाकिब (द स्टार) का हवाला दिया है। उन्‍होंने इसमें जिक्र किया है कि कैसे 1930 के दशक में मिस्र में हिंदी सिनेमा की खूब चर्चा होने लगी थी। हालांकि, यह चर्चा हमेशा पॉजिटिव ही नहीं थी।

‘मिस्र की सिनेमा का स्वर्ण युग’
साल 1957 में इसी मैगजीन में छपे एक और लेख में भी दोनों देशों के बीच के इस सिनेमाई रिश्‍ते को दरकिनार नहीं किया गया। यह एक ऐसी सांस्कृतिक रिश्तेदारी थी, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। लेख में लिखा गया, ‘मिस्र में भारतीय फिल्मों की सफलता का रहस्य यह है कि वे भारतीय और मिस्रवासियों दोनों के सामान्य जीवन को दिखाते हैं। हां, दोनों देशों में कुछ पर्यावरण के कारण मामूली अंतर जरूर हैं। लेकिन इन फिल्मों में का मिस्र को भी प्रेरित करता है। यहां के लोगों की आत्माओं को भी सुकून देता है, क्योंकि दोनों देशों के संगीत का स्रोत एक ही है- पूरब का जादू और इसकी आध्यात्मिकता।’ मिस्र में भी एक फिल्‍म इंडस्‍ट्री है और 1940 से 1960 के दशक को ‘मिस्र की सिनेमा का स्वर्ण युग’ माना जाता है।

मिस्र हाई-स्‍टैंडर्ड वाली फिल्‍मों का करता है निर्माण
‘ट्रेड गाइड’ नाम की एक हिंदी फिल्म बिजनस मैगजीन ने 1963 में यह स्वीकार किया कि मिस्र तकनीकी रूप से हाई-स्‍टैंडर्ड वाली फिल्‍मों का निर्माण करता है। साथ ही वह अमेरिका और ब्रिटेन से फिल्मों का आयात भी करता है। वर्ल्ड मार्केट फॉर इंडियन फिल्म्स टाइटल से छपे एक लेख में कहा गया है, ‘दर्शक बड़े सजग और काबिल हैं, उन्‍हें सिर्फ अच्‍छी कहानी और बेहतरीन रंगों वाली फर्स्‍ट क्‍लास फिल्‍में ही पसंद आती हैं और सिर्फ यही फिल्में ही व्यावसायिक रूप से सफल होंगी।’

बच्चन मिस्त्र में बन गए मेगास्टार
1980 के दशक में वीडियो कैसेट का आगमन हुआ, जिसने सिनेमा देखने को पहली बार घरेलू मनोरंजन में बदल दिया। पायरेटेड वीएचएस टेप ने बॉलीवुड फिल्मों और सितारों की वैश्विक पहुंच (ग्लोबल रीच) को और बढ़ा दिया। 1980 के दशक के बाद से बच्चन मिस्र में मेगास्टार बन गए। टेक्सास स्थित एकेडेमिक क्लेयर कूली ने फिल्म जर्नल जंप कट में लिखा, ‘बच्चन ने गिरफ्तार और मर्द (1985) जैसी फिल्मों के साथ मिस्र के सिनेमा स्टार तारामंडल में आसमान छू लिया, जिसे दर्शकों ने सिनेमाघरों में देखा या वीडियो कैसेट पर देखा। भारत में, 1980 के दशक के अंत से बच्चन की फिल्मों ने दर्शकों को उतना आकर्षित नहीं किया, जितना कि उनका स्टारडम चरम पर था, जब उन्हें ‘एंग्री यंग मैन’ के रूप में जाना जाता था। लेकिन बाद की फिल्मों में अभी भी मिस्र में उत्साही फैंस थे।’

दसियों हजार लोग पहुंच गए थे एयरपोर्ट
आर्मब्रस्ट ने मिस्र में बिग बी की लोकप्रियता की सीमा को दर्शाने वाले दो आकर्षक उपाख्यानों को याद किया। उन्होंने लिखा, ‘1990 के दशक की शुरुआत में एक शहरी किंवदंती यह थी कि अमिताभ बच्चन को ले जाने वाला एक विमान ईंधन भरने के लिए काहिरा एयरपोर्ट पर थोड़ी देर के लिए नीचे आया था। हिंदी स्टार की उपस्थिति के बारे में बात फैल गई और दसियों हज़ार लोग उनकी एक झलक पाने की उम्मीद में एयरपोर्ट पर आ गए। मैंने डाउनटाउन के पास एक फेमस मार्केट में वेंडर्स के प्रदर्शन में बच्चन की उपस्थिति का एक और ठोस उदाहरण देखा। इनमें से कुछ विक्रेताओं ने बच्चन के चेहरे वाली टी-शर्ट बेचीं।’ ये एक प्वॉइंट है कि अहमद मोहम्मद अहमद अब्देल रहमान, प्रमुख, उर्दू विभाग, अल-अजहर विश्वविद्यालय, काहिरा, ने 2011 में फिर से पुष्टि की। ‘अगर कोई भारतीय सड़कों पर दिख जाता तो लोग वेलकम करने के लिए सबसे पहले बोलते ‘हैलो अमिताभ बच्चन।’ उन्होंने ये बात TOI को बताई थी। ये एकेडमिक पड़ताल का एक मैटेर है कि कैसे एक शख्स देश का पर्याय बन जाता है।

इंडियन गानों को गुनगुनाते हैं मिस्रवासी

bollywood movies shooting in Egypt

मिस्त्र में हुई है कई फिल्मों की शूटिंग

मिस्र का हिन्दी सिनेमा से प्रेम संबंध हाल के सालों में भी जारी रहा है। 2015 में पत्रकार अति मेटवाले ने अहराम ऑनलाइन पर लिखा कि कैसे मिस्र के लोग इंडियाबाई द नाइल फेस्टिवल में बॉलीवुड डांस वर्कशॉप में आए। मेटवाले ने कहा, ‘युवा मिस्रवासी भारतीय गीतों को गुनगुनाते हैं, भले ही वे बोल नहीं समझते हों।’

शाहरुख खान के लिए है जबरदस्त क्रेज
मिस्र में शाहरुख खान बेतहाशा लोकप्रिय हैं। किंग खान के लिए जबरदस्त क्रेज की मिसाल साल 2021 की उस घटना से मिलती है, जिसका खुलासा अशोका यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाली अश्विनी देशपांडे ने सोशल मीडिया पर किया था। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मिस्र में एक ट्रैवल एजेंट को पैसे ट्रांसफर करने की जरूरत थी। ट्रांसफर में दिक्कत आ रही थी। उन्होंने कहा आप शाहरुख खान के देश से हैं। मुझे आप पर विश्वास है। मैं बुकिंग कर दूंगा, आप मुझे बाद में पेमेंट कर देना। कहीं और के लिए, मैं ऐसा नहीं करूंगा। लेकिन शाहरुख के लिए कुछ भी…। बाद में शाहरुख ने ट्रैवल एजेंट को अपने ऑटोग्राफ वाली फोटोज और एक हाथ से लिखा हुआ नोट भेजा।

यह घटना सिनेमा की शक्ति को दर्शाती है। ये कैसे भौगोलिक दूरियों और सांस्कृतिक मतभेदों को ध्वस्त कर सकता है और दिल को छू सकता है, कैसे यह एक संपूर्ण लोगों और एक देश के प्रति दृष्टिकोण को आकार दे सकता है। उम्मीद है, ये आगे भी ऐसे ही कायम रहेगा।