माफी मांगने के बाद भी अशोक गहलोत के मन में टीस, बयानों के जरिए साध रहे माकन और आलाकमान पर निशाना

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माफी मांगने के बाद भी अशोक गहलोत के मन में टीस, बयानों के जरिए साध रहे माकन और आलाकमान पर निशाना

माफी मांगने के बाद भी अशोक गहलोत के मन में टीस, बयानों के जरिए साध रहे माकन और आलाकमान पर निशाना

जयपुर: रविवार 25 सितंबर को प्रदेश कांग्रेस में जो वाकिया हुआ, उसे कोई नहीं भुला सकता। अशोक गहलोत गुट के विधायक शांति धारीवाल के आवास पर एकत्रित हुए और आलाकमान के खिलाफ एकजुट हो गए। गांधी परिवार के निर्देशों को अनसुना करते हुए गहलोत के ऐसे भक्त बने कि विधायकी से इस्तीफा दे दिया। इस पूरे एपिसोड के बाद तीन दिन बाद अशोक गहलोत दिल्ली गए और सोनिया गांधी से मुलाकात की। इतना ही नहीं राजस्थान में हुए घटनाक्रम के लिए गहलोत ने सोनिया गांधी से माफी भी मांगी। लेकिन पूरे मामले में मीडिया को गांधी जयंती के दिन गहलोत ने जो बयान दिया, उससे यह स्पष्ट है कि उनके मन में अभी भी टीस बाकी है। विधायकों के इस्तीफे के पूरे घटनाक्रम पर उन्होंने राजस्थान प्रभारी अजय माकन को दोषी माना है। साथ ही आलाकमान के प्रति नाराजगी जाहिर की है।

प्रभारी अजय माकन के रवैये से खफा हैं अशोक गहलोत
दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को ऑब्जर्वर बनाकर राजस्थान भेजा था। 25 सितंबर को आयोजित विधायक दल की बैठक का बहिष्कार होने और समानान्तर बैठक आयोजित करने पर अजय माकन नाराज हो गए। वे अशोक गहलोत से मिले बिना ही होटल से निकलकर एयरपोर्ट पहुंच गए। माकन ने सोनिया गांधी से मिलकर शिकायत की। माकन की ओर से शिकायत करने पर अशोक गहलोत भी माकन से नाराज दिखे। गहलोत ने कहा कि 25 सितंबर को जो हुआ, वह नहीं होना चाहिए था लेकिन जो ऑब्जर्वर आए थे, उन्हें भी ख्याल रखना चाहिए था कि प्रदेश कांग्रेस के विधायकों की भावना क्या है। जब विधायकों की भावनाएं नहीं सुनी गई तो अचानक ज्वार फूट पड़ा। गहलोत ने मीडिया में दिए अपने बयान में कहा कि जब कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से ऑब्जर्वर आते हैं, उन्हें चाहिए कि अध्यक्ष की सोच के ढंग से काम करें , लेकिन राजस्थान में केस अलग हो गया।

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आलाकमान से भी नाराज दिख रहे अशोक गहलोत
बीते 50 सालों में ऐसा मौका पहली बार आया है जब अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान से माफी मांगनी पड़ी हो। गहलोत को इस घटनाक्रम का मलाल भी है लेकिन वे अब भी अपने समर्थित विधायकों के साथ खड़े हैं। गहलोत यह कह चुके हैं कि प्रदेश में जब मुख्यमंत्री बदले जाने की चर्चाएं चल रही थी तब जिस नेता का नाम सामने आ रहा था। उसे लेकर 102 विधायक अचानक आक्रोशित हो गए। इन 102 विधायकों को किस बात का डर था कि वे एकजुट होकर आलाकमान के फैसले के विरोध में उतर आए। यह सोचने का विषय है।

आलाकमान के फैसले पर गहलोत याद दिलाते हैं पायलट की बगावत
बीकानेर में भी गहलोत की ओर से दिए गए इस बयान से स्पष्ट है कि वे आलाकमान के रवैये से भी नाराज हैं क्योंकि आलाकमान अपना फैसला सुनाना चाहता है जबकि गहलोत चाहते हैं कि आलाकमान बीजेपी के इस षड़यंत्र को समझें। गहलोत बार बार जुलाई 2020 में हुई सचिन पायलट की बगावत को याद करते हैं। अमित शाह के घर भोजन करने की बात कहते हैं। सीएम के नकदीकी नेता धर्मेन्द्र राठौड़ भी कह चुके हैं कि इस बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी हड़पने का षड़यंत्र था, जिसे हमने सफल नहीं होने दिया।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़

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