मादक पदार्थों को लेकर ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति के नतीजे दिख रहे है: गृह मंत्री अमित शाह

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मादक पदार्थों को लेकर ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति के नतीजे दिख रहे है: गृह मंत्री अमित शाह

मादक पदार्थों को लेकर ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति के नतीजे दिख रहे है: गृह मंत्री अमित शाह

चंडीगढ़, 30 जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि नशीले पदार्थों को लेकर केंद्र की ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति के परिणाम दिख रहे हैं। शाह ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि राज्यों को मादक पदार्थ के खिलाफ लड़ाई में केंद्र के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

चंडीगढ़ के एक दिवसीय दौरे पर आये शाह ने मादक पदार्थ की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी बताया और कहा कि स्वस्थ समाज और समृद्ध राष्ट्र के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मादक पदार्थ के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति आवश्यक है।

शाह ने नशीले पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ‘‘नशीले पदार्थों के व्यापार से उत्पन्न होने वाली काली कमाई का उपयोग देश के खिलाफ गतिविधियों में किया जाता है।’’ इस सम्मेलन का आयोजन स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा किया गया है।

सम्मेलन में पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, गृह सचिव अजय भल्ला और एनसीबी प्रमुख एस एन प्रधान मौजूद थे। शाह ने नशीले पदार्थों से संबंधित मामलों के लिए त्वरित और विशेष अदालतों की स्थापना के बारे में भी बात की।

पंजाब में मादक पदार्थ की समस्या अधिक होने की ओर इशारा करते हुए शाह ने राज्य को इस समस्या के खिलाफ लड़ाई में नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से पूरा समर्थन दिये जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र पंजाब में एक फॉरेंसिक लैब और एनसीबी का एक छोटा केंद्र स्थापित करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘आज पंजाब के मुख्यमंत्री यहां हैं। हर कोई कहता है कि पंजाब में मादक पदार्थ की समस्या अधिक है और मुझे लगता है कि राज्य में मादक पदार्थ की समस्या अधिक है। पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और यदि समस्या अधिक है तो हमें और प्रयास करने होंगे। यदि राज्य सरकार जमीन आवंटित करती है, तो केंद्र अमृतसर में एक फॉरेंसिक लैब और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए एनसीबी का एक छोटा केंद्र स्थापित करेगा।’’

शाह ने मादक पदार्थ की समस्या के समाधान के लिए संयुक्त प्रयासों पर जोर देते हुए कहा, ‘‘भारत सरकार नशीले पदार्थों के खतरे के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमें पता है कि हमें पंजाब के युवाओं को मादक पदार्थ के खतरे से बाहर निकालना होगा। वह जो भी प्रयास करे, हम उसके साथ खड़े हैं।’’

शाह ने कहा कि दर्ज होने वाले मामलों की संख्या में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों (2014-2021) के दौरान गिरफ्तारियों में 260 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शाह ने कहा कि 2006-2013 के दौरान 1.52 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किया गया, जबकि 2014-2021 की अवधि में 3.3 लाख किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किया गया। उन्होंने कहा कि 2006-2013 के बीच 768 करोड़ रुपये मूल्य के मादक पदार्थ जब्त किए गए, जबकि 2014-21 के बीच 20 हजार करोड़ रुपये मूल्य के मादक पदार्थ जब्त किए गए।

शाह ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, तो भारत सरकार ने मादक पदार्थों को लेकर ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति अपनाई। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के खिलाफ तेजी से और सही दिशा में बढ़ रही लड़ाई के परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं।

शाह ने कहा कि मादक पदार्थ युवा पीढ़ी पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, इसे दीमक की तरह नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस संकट को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसे पूरी तरह से खत्म करना होगा।’’

सम्मेलन के आयोजन के साथ ही एनसीबी द्वारा दिल्ली, चेन्नई, गुवाहाटी और कोलकाता में लगभग 31,000 किलोग्राम मादक पदार्थ नष्ट किया गया।

शाह ने कहा कि गृह, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और स्वास्थ्य सहित विभिन्न मंत्रालयों ने एनसीबी सहित विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई में हाथ मिलाया है।

उन्होंने कहा कि प्रतिकूल ताकतों को नशीले पदार्थों के व्यापार से उत्पन्न ‘काली कमाई’ का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों में करने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय ने एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है।

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हमने राज्यों को इससे (नशीले पदार्थों के खिलाफ लड़ाई) जोड़ने के लिए सक्रिय रुख अपनाया है।’’

शाह ने कहा, ‘‘परिणाम उत्साहजनक हैं और यह दर्शाता है कि यह ऐसी समस्या नहीं है, जिसे पूरी तरह खत्म न किया जा सके।’’ उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मादक पदार्थ के खिलाफ लड़ाई में संलग्न सभी एजेंसियों को एकदूसरे के प्रयासों का पूरक होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई अकेले केंद्र द्वारा नहीं लड़ी जा सकती। मादक पदार्थों के बड़े जब्ती के मामलों पर, शाह ने राज्यों से कहा कि वे इसे केंद्र-राज्य का मामला न बनाएं और उन्हें ऐसे मामलों को या तो एनसीबी या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप देना चाहिए, जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हों। उन्होंने कहा, ‘‘हम समस्या का समाधान चाहते हैं और मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये दोनों केंद्रीय एजेंसियां राज्यों को विश्वास में लेकर जांच करेंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि हमें एकसाथ आकर लड़ना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि त्वरित अदालत और विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के साथ बातचीत चल रही है।

उन्होंने कहा कि पांच उत्तरी राज्य खासकर पंजाब और पूर्वोत्तर नशीले पदार्थों की समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने नशीले पदार्थों की तस्करी की समस्या पर रोक के लिए पांच राज्यों के बीच समन्वय पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और कई अन्य एजेंसियां ड्रोन की समस्या से निपटने के लिए काम कर रही हैं।

राज्यों से नशीले पदार्थों की तस्करी के नए मार्गों पर नजर रखने को कहते हुए शाह ने कहा कि पिछले एक साल में कुल बरामदगी में से 81 प्रतिशत नशीले पदार्थ समुद्री मार्ग से आए।

उन्होंने कहा कि विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए, नियमित बैठकें आयोजित करने के वास्ते वर्ष 2016 में गृह मंत्रालय द्वारा नार्को समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी) तंत्र की स्थापना की गई थी। शाह ने कहा, ‘‘अगर वांछित परिणाम हासिल करना है, तो हमें जिला स्तर पर और जोर देना होगा।’’

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