महाराष्ट्र के सीएम बहुत जूनियर हैं, लोगों का भरोसा नहीं बन पा रहा है सरकार परः संजय निरुपम

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महाराष्ट्र के सीएम बहुत जूनियर हैं, लोगों का भरोसा नहीं बन पा रहा है सरकार परः संजय निरुपम

महाराष्ट्र के सीएम बहुत जूनियर हैं, लोगों का भरोसा नहीं बन पा रहा है सरकार परः संजय निरुपम

शिवसेना में टूट के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। उम्मीद के विपरीत महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी ना सिर्फ मजबूती से ठाकरे के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है, बल्कि लगातार सरकार को घेर भी रहा है। वहां सबकी निगाहें मुंबई महानगर पालिका के चुनावों पर लगी हैं, जो शिवसेना ही नहीं, वहां की सियासत के लिहाज से भी अहम माने जा रहे हैं। सूबे की सियासत, मौजूदा शिंदे सरकार के कामकाज, महाविकास आघाड़ी की आगे की योजना और महाराष्ट्र पहुंचने वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जैसे तमाम मुद्दों पर एनबीटी की विशेष संवाददाता मंजरी चतुर्वेदी ने कभी शिवसैनिक रहे मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम से बात की। पेश हैं बातचीत के अंश:

महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी का क्या भविष्य देखते हैं?
महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी बना था सरकार बनाने के लिए। जैसे यह सरकार गिराई गई, उसे देखते हुए तीनों पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं में रोष है। अच्छी बात यह है कि तीनों ही दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह चुनावी गठबंधन के तौर पर आगे भी काम करना चाहता है। जब यह सरकार बन रही थी और कांग्रेस अप्रत्याशित तरीके से इसमें शामिल हुई तो मुझे भी अटपटा लग रहा था। हम तीसरे नंबर के सहयोगी के तौर पर जुड़ रहे थे। लेकिन सरकार जाने के बाद जो गठबंधन हुआ है, वह जबर्दस्त है। कांग्रेस का अपना वोट बैंक, शिवसेना का अपना वोट बैंक और एनसीपी का ग्रामीण इलाकों का वोट बैंक- जब ये तीनों मिल जाएंगे तो यह 65-70 फीसदी वोट बैंक कवर करेगा। मिलकर लड़ेंगे तो बहुत अच्छा भविष्य होगा।

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मुंबई में बीएमसी (महानगरपालिका) के चुनाव होने हैं। अधिकतर कांग्रेसी गठबंधन में जाने की बात कर रहे हैं, तो मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप कांग्रेस के लिए एकला चलो की बात कर रहे हैं। आप क्या सोचते हैं?
मेरा मानना है कि एक बार जब आप अंधेरी उपचुनाव में गठबंधन में चले गए तो फिर आपको आने वाले हर चुनाव में गठबंधन के साथ ही जाना चाहिए। जब आप हर बार गठबंधन में चुनाव में जाते हैं तो धीरे-धीरे सभी दलों के कार्यकर्ताओं के बीच आपस में मनोमिलन होने लगता है। वहीं मतदाता भी एक-दूसरे को पहचानने लगते हैं और एक-दूसरे के लिए वोट डालने का मन बनाने लगते हैं। मेरा मानना है कि बीएमसी के लिए शिवसेना के साथ गठबंधन होना चाहिए, लेकिन इस बार यह गठबंधन कांग्रेस को शिवसेना की शर्तों पर नहीं, बल्कि अपनी शर्तों पर करना चाहिए। कांग्रेस को इतनी सीटें लेनी चाहिए, जो सम्मानजनक हो। शिवसेना को भी जिद नहीं करनी चाहिए। बीएमसी में कुल 227 सीटें हैं, जिसमें से शिवसेना की 80 और कांग्रेस की 30 सीटें हैं। यानी 147 सीटों पर शिवसेना चुनाव नहीं जीती है। मुझे लगता है कि कांग्रेस को इनमें से 30 से 40 सीटें और मिलें तो, यह एक सम्मानजनक स्थिति होगी।

शिवसेना में हुई टूट का फायदा आप कैसे देखते हैं?
शिवसेना के बिखराव के दो अलग-अलग भाग हैं। एक मुंबई व थोड़ा कोंकण और बाकी पूरा महाराष्ट्र। मुंबई व कोंकण में शिवसेना का काडर पूरी तरह बरकरार है। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि मुंबई में शिवसेना को कोई भी नुकसान नहीं हो रहा है। बाकी महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ऐसा नहीं कह सकते। वहां शिवसेना को नुकसान हो सकता है।

कांग्रेस द्वारा स्पीकर पद से इस्तीफा देने का फैसला क्या पार्टी हित में था? क्या पार्टी या महा विकास आघाड़ी को इस फैसले से नुकसान उठाना पड़ा?
वह हमारी पार्टी का एक राजनीतिक फैसला था, जिसे अवॉइड भी किया जा सकता था। पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष लायक और भी नेता थे। स्पीकर का इस्तीफा ना हुआ होता तो महा विकास आघाड़ी सरकार के सामने आए इस राजनीतिक संकट से बेहतर तरीके से निपट सकता था।

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शिंदे गुट की शिवसेना और बीजेपी की मौजूदा सरकार के बारे में आपकी क्या राय है?
हमारे राज्य के हाथ से चार बड़े प्रॉजेक्ट निकल गए। इसमें एक हालिया प्रॉजेक्ट टाटा एयर बस वाला है और वेदांता का एक लाख करोड़ का प्रॉजेक्ट, जो गुजरात चला गया। यह दिखाता है कि सरकार बहुत कमजोर है और प्रदेश के विकास पर ध्यान नहीं दे रही। अब भविष्य में राज्य से और प्रॉजेक्ट ना निकलें और जो प्रॉजेक्ट गए हैं, उनसे बड़े प्रॉजेक्ट आते हैं तब तो सरकार की इज्जत बच सकती है। वरना हर दिन उसकी कमजोरी उजागर हो रही है। इस सरकार में जिस तरह से सीएम और मंत्री बनाए गए हैं, वे लोगों में विश्वास नहीं पैदा कर पा रहे। राज्य के सीएम भी बहुत जूनियर किस्म के हैं। यह भी नहीं कि वह सूबे के कोई बहुत बड़े लीडर हैं। पिछले तीर-चार महीनों में जनता का जो विश्वास होना चाहिए था सरकार पर, वह नहीं बन पाया है।

राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र पहुंचने वाली है। महाराष्ट्र की राजनीति के लिहाज से इस यात्रा को आप कैसे देखते हैं?
हमारा देश तपस्या, धरने, अनशन, उपवास, मार्च को बहुत मान देता है। जितनी राजनीतिक यात्राएं हुई हैं, उनसे सत्ता परिवर्तन हुआ है। जहां तक इस यात्रा की बात है तो इससे कांग्रेस और राहुल गांधी के बारे में काफी धारणा बदली है। पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने जिस तरह से हजारों करोड़ रुपए खर्च करके राहुल गांधी की एक झूठी इमेज तैयार की थी कि वह गंभीर राजनेता नहीं हैं, लोगों से नहीं मिलते, लोगों को वक्त नहीं देते, उन तक लोगों का पहुंचना मुश्किल है, ऐसे तमाम आरोप इस यात्रा से धुलने लगे। आज लोग देख रहे है कि यह शख्स सिर्फ चल ही नहीं रहा, बल्कि सबसे मिल रहा है, लोगों से जुड़ रहा है और आम आदमी से जुड़े बुनियादी सवाल उठा रहा है। पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने दूसरे राज्यों की तरह अपने सहयोगी दलों के नेताओं को बुलावा भेजा है। ये नेता साथ आते हैं तो महा विकास आघाड़ी को जरूर फायदा मिलेगा।

कांग्रेस को एक नया अध्यक्ष मिला है और वह भी गैर गांधी। इस बदलाव के बारे में क्या सोचते हैं आप?
गांधी परिवार के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा सकती। मल्लिकार्जुन खरगे हमारे नए अध्यक्ष हैं। वह बाकायदा चुनाव लड़ कर आए हैं, कहीं से थोपे हुए नहीं हैं। कांग्रेस पर लगातार परिवारवाद का आरोप लगता रहा है, लेकिन कांग्रेस ने लोकतांत्रिक तरीके से अध्यक्ष पद का चुनाव कराकर इसका जवाब दे दिया। मेरा मानना है कि खरगे जी के नेतृत्व और गांधी परिवार के मार्गदर्शन में इस परिवर्तन का लाभ पार्टी को जरूर होगा।

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