महंत बलबीर सिंह संभालेंगे बाघंबरी मठ की गद्दी,उच्च न्यायालय के पांच सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को मिलाकर एक अलग जांच पैनल की होगी नियुक्त

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महंत बलबीर सिंह संभालेंगे बाघंबरी मठ की गद्दी,उच्च न्यायालय के पांच सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को मिलाकर एक अलग जांच पैनल की होगी नियुक्त

महंत नरेंद्र गिरि केस: बोर्ड संचालित करेगा बाघंबरी मठ, बलबीर संभालेंगे मठ की गद्दी| जांच के लिए अखाड़ा परिषद रिटायर्ड जजों का पैनल कर सकती है नियुक्त| सीबीआई ने पुजारी आद्या से पूछा, कैसे बनाया करोड़ों का मकान|

प्रयागराज.महंत नरेंद्र गिरि केस: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के रूप में महंत बलबीर गिरि बाघंबरी मठ की गद्दी संभालेंगे। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी ने इसकी औपचारिक घोषणा गुरुवार को हरिद्वार में संतों की बैठक के बाद की। महंत रविंद्रपुरी ने बताया कि बाघंबरी मठ में संचालन के लिए बोर्ड बनाया जा रहा है। उक्त बोर्ड अखाड़े के हित और मर्यादा में कार्य करवाने के लिए बनाया जा रहा है। जिसमें पांच संत शामिल होंगे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की षोडशी भंडारे से पहले बोर्ड का गठन होगा। इस तरह बलबीर के पास मठ के पूरे अधिकार नहीं होंगे। वे सिर्फ मठ की गद्दी को अभी संभालेंगे। उधर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के महासचिव महंत हरि गिरि ने कहा है कि अखाड़ा परिषद महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पांच सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को मिलाकर एक अलग जांच पैनल नियुक्त कर सकती है। महंत ने कहा कि यह मुद्दा सीधे तौर पर सभी वरिष्ठ संतों की सुरक्षा से जुड़ा है।

गिरि ने कहा, सीबीआई जांच का नतीजा जो भी हो, मैं यह मानने को तैयार नहीं हूं कि महंत नरेंद्र गिरि, जो 30 साल से अधिक समय से मेरे करीबी सहयोगी रहे हैं, आत्महत्या कर सकते हैं। कोई कैसे पचा सकता है कि इतनी क्षमता का एक व्यक्ति ऐसा कदम उठा सकता है? इस वजह से, हमें लगता है कि कहानी के लिए और भी बहुत कुछ है जिसके लिए एक गहरी जांच की आवश्यकता है। अतीत में, चार संतों की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो चुकी है और नरेंद्र गिरि को छोड़कर, कोई जांच नहीं हुई है। क्या हुआ, यह जानने में किसी की दिलचस्पी नहीं है।

सीबीआई ने पुजारी आद्या से पूछा, कैसे बनाया करोड़ों का मकान
महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु से जुड़ी अनसुलझी गुत्थी को सीबीआइ की टीम सुलझाने की कोशिश में जुटी है। लेटे हनुमान मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे से पूछताछ की गयी। सीबीआई टीम ने पुजारी आद्या से पूछा कि जब वह मंदिर में महज नौ हजार रुपए की नौकरी कर रहा था, तब करोड़ों रुपए का मकान कैसे बनवाया।

महंत और आनंद से जुड़े सवाल भी पूछे
इस सवाल का जवाब जब वह ठीक से नहीं दे पाया तो अफसरों ने मंदिर के पैसे से जुड़ा सवाल दागा। यह भी पूछा गया कि वह कई सालों से मंदिर और महंत की सेवा कर रहा था, तब अचानक आनंद गिरि के पक्ष में झुकाव कैसे हुआ। मंदिर में कभी नरेंद्र और आनंद गिरि के विवाद हुआ था या नहीं। झगड़ा हुआ तो वजह क्या थी। जिस संपत्ति को लेकर टकराव की वजह बताई जा रही है, वह कौन-कौन सी है। वहीं, आद्या के बेटे से भी अफसरों ने कड़ाई से पूछताछ की तो वह नर्वस हो गया। उससे पूछा गया कि उसके मोबाइल में महंत नरेंद्र के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने वाला आडियो कहां से आया था। मंदिर परिसर में उसे लडडू की दुकान कब मिली थी और उससे रोजाना कितनी कमाई होती थी। गुरु-शिष्य के बीच विवाद होने के बाद उससे दुकान वापस लेकर किसको व कब दी गई। वह आनंद गिरि के लिए ही क्यों काम करता था, जबकि उसका भाई दिलीप महंत के मठ में ही रहता है।

आनंद गिरि से सात घंटे पूछताछ
सीबीआइ की टीम आनंद गिरि को रिमांड पर लेकर हरिद्वार पहुंची थी। टीम ने यहां आनंद गिरि से सात घंटे पूछताछ की और श्यामपुर कांगड़ी स्थित सील आश्रम खुलवाकर वहां से सुबूत जुटाए। टीम ने आश्रम के कंप्यूटर से डाटा लिया और लैपटॉप भी बरामद किया। जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने हरिद्वार में कई लोगों से पूछताछ करने के साथ ही कुछ और आश्रमों में छापेमारी की। कुल मिलाकर करीब आधा दर्जन लोगों तक सीबीआइ पहुंची। आनंद गिरि के मोबाइल फोन और इनकमिंग कॉल्स को लेकर भी सीबीआई पड़ताल हुई। हरिद्वार के कई प्रॉपर्टी डीलर भी सीबीआई की रडार में हैं।

महंत की मनोदशा का पता लगा रही टीम
पुलिस की थ्योरी थी कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्हत्या की थी। उसके पीछे कमरे से मिले सुसाइड नोट को कारण बताया था। सीबीआई की टीम ने भी उसी थ्योरी पर जांच शुरू करते हुए शिष्यों से लेकर सेवादारों तक से पूछताछ की। इसमें टीम ने महंत की मनोदशा के बारे में पता लगाने से जुड़े सवाल पूछे। सीबीआई यह पता लगाने की कोशिश करती रही कि घटना से पहले उनके स्वभाव में कोई बदलाव आया था कि नहीं। रोजाना जिस तरह से लोगों से मिलते-जुलते थे, उसमें कितना बदलाव आया था।

आनंद गिरि के निर्माणाधीन आश्रम की भी पड़ताल
सीबीआइ टीम सिर्फ आनंद गिरि को ही देहरादून ले गई। हरिद्वार में आनंद गिरि के निर्माणाधीन आश्रम की पड़ताल की गयी। आनंद गिरि से पूछताछ के बाद एचआरडीए ने आश्रम को फिर से सील कर दिया है।

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