महंगे स्वर्ण-रजत आभूषणों से हो रहा प्रतिमाओं का श्रृंगार | Idols being decorated with expensive gold and silver jewelery | Patrika News

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महंगे स्वर्ण-रजत आभूषणों से हो रहा प्रतिमाओं का श्रृंगार | Idols being decorated with expensive gold and silver jewelery | Patrika News

महंगे स्वर्ण-रजत आभूषणों से हो रहा प्रतिमाओं का श्रृंगार | Idols being decorated with expensive gold and silver jewelery | Patrika News

धर्म और अध्यात्म के लिए प्रसिद्ध संस्कारधानी में बढ़ती आस्था के साथ ही भगवान की प्रतिमाओं के श्रृंगार व वस्त्रों की भव्यता भी बढ़ी है। भक्त अपने घर के मन्दिर या पूजन कक्ष में विराजमान देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को पहले से कहीं अधिक मनोहारी वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित करने लगे हैं। लोग भगवान के लिए ऋतु अनुकूल वस्त्र बनवा रहे हैं। भगवान को स्वर्ण-रजत के महंगे और सुंदर आभूषणों से सजाया जा रहा है। मन्दिरों में भी भगवान के श्रृंगार भव्य व आकर्षक होने लगे हैं।

भगवान की सज्जा में तगड़ी रकम खर्च कर रहे लोग, वस्त्रों में भी हुआ बदलाव
जबलपुर।
धर्म और अध्यात्म के लिए प्रसिद्ध संस्कारधानी में बढ़ती आस्था के साथ ही भगवान की प्रतिमाओं के श्रृंगार व वस्त्रों की भव्यता भी बढ़ी है। भक्त अपने घर के मन्दिर या पूजन कक्ष में विराजमान देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को पहले से कहीं अधिक मनोहारी वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित करने लगे हैं। लोग भगवान के लिए ऋतु अनुकूल वस्त्र बनवा रहे हैं। भगवान को स्वर्ण-रजत के महंगे और सुंदर आभूषणों से सजाया जा रहा है। मन्दिरों में भी भगवान के श्रृंगार भव्य व आकर्षक होने लगे हैं। धर्माचार्य भी मानते हैं कि यह बदलाव सकारात्मक और अपनी संस्कृति की जड़ों से जोड़ने वाला है।
राहुल मिश्र:
दिन में दो बार बदल रहे वस्त्र-
भक्तजन अब दिन में दो बार भगवान की पोशाक बदलते हैं। गढ़ा निवासी राकेश ठाकुर का कहना है कि धर्म के प्रति बढ़ती आस्था और धर्माचार्यों के उपदेशों के चलते यह परिवर्तन हुआ है। पहले प्रातः अभिषेक, स्नान के बाद एक ही बार भगवान की मूर्ति के वस्त्र बदले जाते थे। त्यौहार और अवसर विशेष पर तो एक ही दिन में तीन चार बार विग्रहों की पोशाक और श्रृंगार को बदला जाता है। ध्यान देने वाली बात है कि परम्परागत रूप से भगवान के कपड़ों को कभी धोया नहीं जाता और खराब हो जाने पर उन्हें पानी में विसर्जित कर दिया जाता है।
हर ऋतु में अलग वस्त्र-
परम्परागत वस्त्रों की बजाय इन दिनों भगवान के वस्त्रों को इस प्रकार भव्य बनाया जाता है कि वह देखने में आकर्षक लगें। भगवान के वस्त्रों के रंग और पहनावे की विभिन्न शैलियां उपयोग में लाई जा रही हैं। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला का कहना है कि वस्त्रों के धागे, वह किस तंतु से निर्मित हैं, और किस अवस्था में किस ऋतु में कौन से धागे या तंतु के कपड़े भगवान को पहनाए जाने हैं , भक्तों के लिए आजकल यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है। गर्मी के समय में भगवान को रेशमी वस्त्र धारण नहीं कराए जाते। गर्मी में नेट के या हल्के वस्त्र भगवान को पहनाए जा रहे हैं। ठंड के मौसम में कपास से निर्मित वस्त्र और ऊनी वस्त्रों को प्रयोग में लाया जा रहा है। कई भक्तों ने तो भगवान को ठंड से बचाने के लिए पूजन कक्षों में हीटर लगा रखे हैं। गर्मी में भक्त भगवान के लिए पंखा, कूलर व एसी तक लगा रहे हैं।शहर के कई मन्दिरों में भी भगवान के लिए ऋतु अनुकूल ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं।।

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