मध्यप्रदेश के युवाओं पर साइलेंट किलर का ‘अटैक’ | Heart attack is attacking the youth of MP | Patrika News

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मध्यप्रदेश के युवाओं पर साइलेंट किलर का ‘अटैक’ | Heart attack is attacking the youth of MP | Patrika News

मध्यप्रदेश के युवाओं पर साइलेंट किलर का ‘अटैक’ | Heart attack is attacking the youth of MP | Patrika News

भयभीत करते हैं ये उदाहरण

  • ऐसा ही एक मामला ग्वालियर के भिंड का है, जहां 15 दिन पहले स्थानीय निवासी 28 वर्षीय युवा को सीने में दर्द के बाद अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में जांचों के बाद सामने आया कि उसे हार्ट अटैक आया था। समय पर इलाज मिलने और दो दिन भर्ती रहने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
  • वहीं मुरार में भी 35 वर्षीय एक युवा को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पाल ले जाया जा रहा था, लेकिन समय पर इलाज न मिलने के कारण अस्पताल ले जाते समय ही उसकी मौत हो गई। जांच के बाद उसकी मौत हार्ट अटैक से होना सामने आया।
    इंदौर की पीटीसी कॉलोनी में रहने वाला सावन विश्वकर्मा (22) दिल्ली में तैयारी कर रहा था। परिजनों के मुताबिक डेली रूटीन के चलते वह पेंचवेली ग्राउंड में दोस्तों के साथ मार्निंग वॉक पर गया था। उसने ग्राउंड के 3 चक्कर लगाए। इसी बीच अचानक वह गश खाकर गिर गया। दोस्त उसे परासिया अस्पताल लेकर आए। साथ ही परिजनों को सूचना दी। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जांच के बाद उसकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया।
  • छिंदवाड़ा के परासिया में ग्राउंड पर रनिंग करते वक्त 22 साल के युवक की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह की यूपीएससी की तैयारी कर रहा था।
  • ये चंद उदाहरण बताते हैं कि मध्यप्रदेश में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रदेश के युवाओं पर हावी होते इस साइलेंट किलर हार्ट अटैक पर एक रिपोर्ट…

पहले 80 वर्ष में आता था अटैक
शहर के चिकित्सकों के मुताबिक पहले 80 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक के मामले सामने आते थे। बुढ़ापे में होने वाला ये मर्ज उम्र से जुड़ी समस्याओं के कारण होता था। लेकिन अब हार्ट अटैक से युवाओं की मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। यह विषय गंभीर है। 30 से 35 वर्ष के युवाओं पर के हार्ट पर अटैक बढ़ रहा है। शराब, सिगरेट के साथ ही भविष्य और रोजगार की चिंता उस पर अनियमित दिनचर्या और असंतुलित खानपान युवाओं के दिल का दुश्मन बन गया है। वहीं कुछ नए कारण भी इसका कारण बन रहे हैं।
यहां एक माह में आ रहे 300 युवा
पिछले एक महीने के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो, जेएएच के कार्डियोलॉजी में एक महीने में एक हजार मरीज भर्ती होते हैं, जिनमें से 300 के आसपास युवा आ रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हार्ट के मरीज बढऩे से इन दिनों जेएएच के कार्डियोलॉजी में मरीजों की संख्या बढ़ी है। यहां पर 50 पलंग हैं, लेकिन 80 मरीज भर्ती हैं। कुछ मरीजों को पलंग तक नहीं मिल पा रहे हैं। यह स्थिति पिछले कई दिनों से बनी हुई है।

तेजी से बढ़ रहे मरीज
रतन ज्योति डालमिया हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रवि डालमिया के मुताबिक युवा अवस्था के मरीजों के मामले अब ज्यादा आ रहे हैं। कोरोना के समय भर्ती रहने वाले मरीज जिनको उस समय ऑक्सीजन के साथ अस्पतालों में भर्ती रहने की जरूरत पड़ी थी। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है। एक महीने में हमारे यहां पर 50 के आसपास युवा हार्ट अटैक के आ रहे हैं।

हाल की रिसर्च में हैं ये दावे

  • युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामलों को समझने के लिए पिछले 2 वर्षों में कई स्टडीज की गई हैं। इसी साल अगस्त में की गई यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की स्टडी में युवाओं में ज्यादा शराब और स्मोकिंग की लत हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना गया है। स्टडी के अनुसार, शराब और स्मोकिंग का असर ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रोल और ब्लड ग्लूकोज पर पड़ता है। जंक और फैटी फूड की वजह से धमनियां सख्त हो जाती हैं जो दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाती हैं।
  • अमेरिका के एक रिसर्च जनरल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई। इनमें से 2.3 करोड़ लोग ऐसे थे, जिनकी उम्र 40 साल से कम है। यानी, 40 फीसदी दिल के मरीजों की उम्र 40 साल से कम है। ऐसी ही एक स्टडी 2018 में भी आई थी। तब साइंस जर्नल लैंसेट ने दिल की बीमारियों से जुड़े 1990 से 2016 तक के आंकड़े जुटाए थे। इस स्टडी में दावा किया गया कि 1990 में भारत में होने वाली कुल मौतों में से 15.2 फीसदी का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं। 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 28.1 फीसदी पर आ गया। यानी, 2016 में भारत में होने वाली हर 100 में 28 मौत का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां थीं।

इनका कहना है लें डॉक्टर की सलाह
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रतीक भदौरिया का कहना है कि कोरोना दिल की नाडिय़ों को प्रभावित करता है। कई मरीज ऐसे आ रहे हैं जो यह बताते हैं कि उन्हें कोरोना नहीं हुआ, लेकिन हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनियों में खून गाढ़ा होकर रुकावट डाल रहा है। लेकिन कोविड एंटी बॉडी टेस्ट करने पर उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। इन लोगों को कोरोना हुआ है। ऐसे लोग रोज व्यायाम करें, धूम्रपान करने से बचें। जिन्हें पहले कोरोना हो चुका है, वे डॉक्टर की सलाह पर खून पतला करने की दवा जरूर लें।
बिना लक्षण के मरीज
उनका कहना है कि हार्ट की समस्या तनाव के साथ धूम्रपान, शराब और बिगड़े खानपान से आती है। लेकिन इन चीाजों से दूर रहने वाले भी यानी बिना किसी कारण के ही हार्ट अटैक के मामले भी आ रहे हैं। कुछ ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी ईसीजी नॉर्मल थी, लेकिन हार्ट की समस्या आई। ऐसे में युवा संभल कर रहें। हमारे यहां महीने में 30 से 35 वर्ष के करीब 15-16 मरीज आ रहे हैं।

आने वाले समय में बढ़ेगी मरीजों की संख्या

हार्ट अटैक का खतरा आने वाले समय में बढ़ता ही जाएगा। अगर यही हाल रहा तो हार्ट की समस्या 28 से 30 वर्ष के बीच में होने लगेगी। डॉक्टरों का मानना है कि लोग अपनी दिनचर्या बदलने को तैयार नहीं हैं। घर के खाने से बाहर के खाने को प्राथमिकता लोग दे रहे हैं। अगर यही स्थिति बनी रही तो गंभीर परिणाम सामने आने लगेंगे। इससे बचने के लिए सभी को बदलाव लाना होगा।

ऐसे बचें साइलेंट किलर से

  • डॉ. राम रावत, कार्डियोलॉजी विभाग जीआरएमसी
  • बचपन से ही अब बच्चे खेलकूद की जगह मोबाइल में लग जाते हैं। वहीं खानपान के साथ जीवन शैली में बदलाव नहीं आ पा रहा है। इसी के चलते अब हार्ट की समस्या बढ़ गई है।
  • पहले लोग शारीरिक श्रम करते थे, लेकिन अब लोग बाहर का खाने के साथ आराम दायक जीवन जी रहे हैं। ऐसे मे बच्चों को बचपन से ही घर का खाना खाने और अच्छी आदतों को सिखाएं।
  • बाहर का खाना व तली हुई चीजें, नमक का अत्यधिक सेवन, पिज्जा और पास्ता खाने से बचें।
  • जिम जाने वाले युवाओं को प्रोटीन पाउडर का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • अपने खाने में लहसुन, टमाटर, अनार, बींस, मछली, गिरियां, हरी सब्जियां शामिल करें।



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