मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी…. भटकते रहे हजारों लोग | Huge disturbances in the voter list …. thousands of people wandering | Patrika News

94
मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी…. भटकते रहे हजारों लोग | Huge disturbances in the voter list …. thousands of people wandering | Patrika News

मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी…. भटकते रहे हजारों लोग | Huge disturbances in the voter list …. thousands of people wandering | Patrika News

ऐसे में नाम कैसे कट गया। नाम कटने के पीछे कारण €या है? काटने पर डिलिट की सूची में नाम सामने आता है। उसमें भी नजर नहीं आ रहा। ऐसा कैसे हो सकता है। इन सभी सवालों का टेबल पर बैठे राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं के पास कोई जवाब नहीं था। जानकारों ने ऑनलाइन दी गई साइट पर जांच की तो कुछ के नाम शहर के दूसरे कोने के वार्डों में जरूर सामने आए। दूर होने की वजह से वे वोट देने नहीं गए।

भाजपा के अभियान को पलीता
छह माह से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा बूथ विस्तारक और त्रिदेव अभियान चला रहे थे। ऐसे सारे अभियान धरे रह गए। इससे अच्छा तो ये होता कि त्रिदेवों से कम से कम मतदाता सूची की जांच करवा लेते। जमीनी स्तर पर उनकी पार्टी को समर्थन देने वाले मतदाताओं के नाम ही काट दिए गए। भाजपा कोरी-कागजी कार्रवाई कर खुद की पीठ थपथपाती रही। बात बूथ जीतने की कर रही है और बूथ से वोटर गायब हो गए। ऐसा ही विधानसभा चुनाव में हुआ तो पार्टी की स्थिति खराब हो जाएगी।

2250 बूथ पर यही हाल
ऐसा एक- दो जगह नहीं हुआ, नगर निगम के 2250 बूथ पर यही हाल था। ये सारे वोट भाजपा से जुड़े होने की बात दमदारी से इसलिए भी कही जा सकती है कि पर्ची बनाने के लिए वे भाजपा की टेबल पर ही पहुंचे थे। इससे स्पष्ट कि वे किस पार्टी को अपना समर्थन देते। ये बात भी उतनी ही सच है कि हर बूथ पर 100 से 250 तक नाम गायब मिले। कई नाम तो ऐसे भी सूची में थे, जो उन क्षेत्रों में नहीं रहते हैं।

होना चाहिए घोटाले की जांच
वर्ष 2013 विधानसभा चुनाव में राऊ विस में जो खेल हुआ था, वह निगम चुनाव में नजर आया। उस चुनाव में 15 हजार के करीब मतदाताओं के नाम काटे गए थे और 10 हजार फर्जी जोड़े गए थे। जांच हुई तो कम्प्यूटर विभाग से जुड़े एक बड़े गिरोह की भूमिका संदिग्ध नजर आई थी, लेकिन मामले को रफा-दफा कर दिया गया। ऐसा ही घोटाला निगम चुनाव में नजर आ रहा है। इस घोटाले की जांच गंभीरता से होना चाहिए। जिला निर्वाचन अधिकारी व कले€टर मनीष सिंह को चाहिए कि पूरे मामले की बारीकी से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करें।

मामला चुनाव आयोग देखे
2019 के लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची में जिनके नाम थे, वे बिना कारण काट दिए गए। हर बूथ पर 5 से 10 प्रतिशत नाम गायब हैं। ये चूक कहां और कैसे हुई, इसकी जांच चुनाव आयोग को करना चाहिए और उसकी रिपोर्ट देना चाहिए। मतदाता के अधिकार का हनन किया गया। दोषी पर गंभीर कार्रवाई की जाना चाहिए।
पुष्यमित्र भार्गव, महापौर प्रत्याशी भाजपा

भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी बोले
नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में भारी संख्या में लोगों को मतदाता पर्ची नहीं मिली। एक परिवार के वोट कई मतदान केंद्रों पर विभाजित कर दिए गए। इस कारण कई लोग वोट नहीं डाल पाए। चुनाव आयोग बताए, इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
– लोकेंद्र पाराशर, प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी

केके का पलटवार
आदरणीय पाराशरजी, आज निकाय चुनाव के दौरान समूचे प्रदेश में मतदाता सूची में नाम बड़े स्तर पर सुनियोजित स्तर पर काटे गए। ये चिंतनीय है। आपने भी सच को उजागर किया। इस साहस को सलाम। निक्मेपन को सार्वजनिक करना एक धर्म है, जिसे आपने निभाया।
– केके मिश्रा, प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रमुख



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News