मछली बाजार बना दिल्ली IGI एयरपोर्ट, लंबी लाइनों और भीड़ का हाल देखने पहुंचे मंत्री भी…

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मछली बाजार बना दिल्ली IGI एयरपोर्ट, लंबी लाइनों और भीड़ का हाल देखने पहुंचे मंत्री भी…

मछली बाजार बना दिल्ली IGI एयरपोर्ट, लंबी लाइनों और भीड़ का हाल देखने पहुंचे मंत्री भी…

नई दिल्ली: काफी कोशिशों के बावजूद मछली बाजार बने दिल्ली एयरपोर्ट पर यात्रियों को क्यू से मुक्ति नहीं मिल पा रही है। हालत यह है कि एयरपोर्ट टर्मिनल की बिल्डिंग में एंट्री से लेकर अंदर बोर्डिंग पास, चेक-इन लगेज और फिर सुरक्षा जांच कराने तक यात्रियों को लंबी-लंबी लाइनों से होकर गुजरना पड़ रहा है। इस प्रक्रिया में घरेलू यात्रियों के ही डेढ़ से दो घंटे लग जा रहे हैं। कई बार समय इससे भी अधिक लग रहा है। कई यात्रियों की तो फ्लाइट तक छूट जा रही है। समस्याओं से निजात दिलाने की काफी कोशिश की जा रही हैं, लेकिन फिलहाल इनका असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। यात्रियों को यहां कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है।

​एंट्री से लेकर फ्लाइट में बैठने तक में लग रहे डेढ़ से दो घंटे

एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़ने वाले यात्रियों को केवल एक या दो जगह ही लाइनों से होकर नहीं गुजरना पड़ रहा है। बल्कि मौजूदा हालात यह हैं कि उन्हें हर प्रक्रिया में क्यू में लगना पड़ रहा है। मसलन, सबसे पहले यात्री जब टी-3 पर पहुंच रहे हैं, तब उन्हें पीक आवर्स में टी-3 के डिपार्चर टर्मिनल में पहुंचने के लिए रैंप पर कारों के जमावड़े के पीछे लगना पड़ रहा है। टर्मिनल पर पहुंचने के बाद ट्रॉली ढूंढना। कई बार ट्रॉली की कमी से भी यात्रियों को दो-चार होना पड़ रहा है। फिर टर्मिनल में प्रवेश करने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है। यहां से प्रवेश करने के बाद यात्री एयरलाइंस के काउंटर पर लाइन में लग रहा है। जहां बोर्डिंग पास लेने और अगर उसके पास चेक-इन लगेज है तो उसे चेक-इन कराने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है। यहां से बोर्डिंग पास लेने के बाद यात्री सीआईएसएफ के सिक्योरिटी चेक पाइंट पर सीधे नहीं पहुंचता है। बल्कि इससे पहले उन्हें बोर्डिंग पास स्कैनर वाली प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जहां प्राइवेट सिक्योरिटी क्यू असिस्टेंट यात्री का बोर्डिंग पास चेक करके उन्हें आगे भेजते हैं। यहां भी यात्री को लाइन में लगना पड़ रहा है। यहां से निकलने के बाद यात्री सीआईएसएफ की सर्चिंग-फ्रिस्किंग सिक्योरिटी चेक पाइंट पर पहुंचता है। लेकिन यहां वह सीधे सुरक्षा जांच नहीं करा पाता। बल्कि पहले अपने हैंड बैगेज के लिए ट्रे ढूंढनी पड़ती है। फिर उस ट्रे में अपना सामान एक्स-रे मशीन में रखने के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है। यहां अपना लगेज बेल्ट में रखने के बाद वह फिर अपनी सुरक्षा जांच कराने के लिए लाइन में लग रहा है। फिर यहां से सिक्योरिटी चेक होने के बाद उसे काफी राहत मिलती है। लेकिन इस प्रक्रिया में ही कई यात्रियों की फ्लाइट छूट जा रही हैं। इसके बाद यात्री का बोर्डिंग पास फ्लाइट में बैठने से पहले एरोब्रिज या बस में बैठाने से पहले चेक किया जाता है। इन तमाम सुरक्षा जांच प्रक्रिया में यात्री को कम से कम डेढ़ से दो घंटे का वक्त लग रहा है। कई बार यह समय ढाई घंटे से भी अधिक हो जा रहा है।

​सुरक्षा जांच बूथ जोन में स्पेस की कमी

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जानकारों का कहना है कि असल में यात्रियों को क्यू में लगने की मुख्य दो वजहें हैं। पहली सीआईएसएफ के 1700 जवानों की कमी और दूसरी उस जगह स्पेस की कमी, जहां से यात्रियों को सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ रहा है। टी-3 और टी-2 के सिक्योरिटी होल्ड एरिया में जहां यात्रियों की सर्चिंग-फ्रिस्किंग की जाती है। उस जोन में कमर्शल एक्टिविटी बढ़ती जा रही हैं। यानी जहां यात्रियों की सुरक्षा जांच के लिए एक्स-रे मशीनें लगाई गई हैं। टर्मिनलों के उन इलाकों में खुली शॉप्स के लिए स्पेस बढ़ाया जा रहा है। जिससे सिक्योरिटी चेक एरिया का स्पेस कम होता जा रहा है। इससे इस जोन में और अधिक सिक्योरिटी चेक मशीनें लगाने की गुंजाइश कम होती जा रही है। टी-3 में 14 एक्स-रे मशीनें लगी हैं। इनमें एक और बढ़ा दी गई है। लेकिन 16वीं मशीन कहां लगाई जाए, इसके लिए स्पेस नहीं मिल पा रहा। ऐसे में जब यात्री बढ़ते जा रहे हैं और सुरक्षा जांच के लिए जगह कम होती जा रही है तो यात्रियों की लाइनें लगनी शुरू हो गईं। अगर एयरपोर्ट पर यात्रियों को लाइनों से मुक्ति दिलाना है तो सुरक्षा जांच वाली जगह को बढ़ाना पड़ेगा। साथ ही, यहां यात्रियों की सुरक्षा जांच करने वाले सीआईएसएफ के जवानों को भी बढ़ाना पड़ेगा।

​केवल टी-3 पर ही नहीं टी-2 पर भी समस्या कम नहीं

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टी-3 के मछली बाजार बनने वाली समस्या केवल यहां टी-3 पर ही सामने नहीं आ रही। बल्कि कमोबेश टी-2 का भी यही हाल है। इन दोनों टर्मिनलों पर जितने यात्रियों की हर दिन आवाजाही हो रही है, उस हिसाब से दोनों ही टर्मिनलों पर इंफ्रास्ट्रक्चर की खासी कमी है। कई बार मिसमैनेजमेंट की समस्या की वजह से भी यात्री भीड़ का हिस्सा बन जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इसके लिए जरूरी है कि टर्मिनल बिल्डिंग में एंट्री करने से लेकर यात्री के फ्लाइट में बैठने तक का एक सटीक सिस्टम तैयार किया जाए। जिसमें हर घंटे के हिसाब से यात्रियों को उनकी फ्लाइट तक पहुंचाने का काम किया जाए। इसमें यात्रियों की मदद के लिए हेल्पडेस्क या फिर दिल्ली एयरपोर्ट की ओर से कोई हेल्पलाइन नंबर जारी करके यात्रियों को इस समस्या से निजात दिलानी होगी।

​नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया ने किया टी-3 का दौरा

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यहां खराब होते हालातों को देखने के लिए आज नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने टी-3 का दौरा किया। सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे टी-3 पर पहुंचें और व्यवस्था का जायदा लिया। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए टी-3 पर एक और एक्स-रे मशीन लगाई जा रही है। जिसके देर रात तक लगने की उम्मीद है। मंत्री के दौरे से पहले एयरपोर्ट प्रशासन की कोशिश ने पूरी कोशिश की कि मंत्री जी के आने से पहले मछली बाजार बने दिल्ली एयरपोर्ट के हालात थोड़े संभाले जाएं। इसके लिए सीआईएसएफ, एयरलाइंस, डायल और अन्य तमाम संबंधित एजेंसियों के अधिकारी काम पर जुटे गए और यात्रियों को लाइनों से मुक्ति दिलाने की हर संभव कोशिश की।

​यात्रियों की आवाजाही दो लाख के करीब पहुंची

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दिल्ली एयरपोर्ट पर यात्रियों के सामने अभी जो परेशानी आ रही है। इसमें आने वाले समय में और बढ़ोतरी हो सकती है। क्योंकि अब किसी भी दिन कोहरा एयरपोर्ट पर अपना असर दिखा सकता है। जबकि सूत्रों का कहना है कि इसके लिए एडवांस में जिस स्तर की तैयारी होनी चाहिए थी, वह अभी तक नहीं हो पाई है। ऐसे में अगर कोहरे की वजह से यहां पांच-दस फ्लाइट भी डिले या कैंसल हो गई तो इनके यात्रियों के साथ जो एयरपोर्ट पर यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ बढ़ेगी। फिर इसे संभालना बहुत भारी हो जाएगा। इसमें भी आने वाले 25 दिसंबर और न्यू ईयर ईव की वजह से घूमने-फिरने वाले यात्रियों की संख्या में और अधिक इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि मौजूदा समय में ही दिल्ली एयरपोर्ट के तीनों टर्मिनलों पर यात्रियों की आवाजाही दो लाख के करीब पहुंच गई है और फ्लाइट्स मूवमेंट करीब 1200 तक पहुंच गई है। इसमें यहां से टेकऑफ होने वाले यात्रियों की संख्या हर दिन एक लाख को पार हो गई है। ऐसे में यात्रियों की संख्या में और बढ़ोतरी हुई तो मौजूदा संसाधनों में इन्हें संभालना बड़ी चुनौती होगा।

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