भोपाल में दरिंदगी की इंतहा का जिम्मेदार कौन? आठ साल की मासूम बच्ची की आप बीती सुनकर आपका भी खून खौल उठेगा | Shame on Bhopal: dirty work with Innocently in the temple of education | Patrika News

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भोपाल में दरिंदगी की इंतहा का जिम्मेदार कौन? आठ साल की मासूम बच्ची की आप बीती सुनकर आपका भी खून खौल उठेगा | Shame on Bhopal: dirty work with Innocently in the temple of education | Patrika News

भोपाल में दरिंदगी की इंतहा का जिम्मेदार कौन? आठ साल की मासूम बच्ची की आप बीती सुनकर आपका भी खून खौल उठेगा | Shame on Bhopal: dirty work with Innocently in the temple of education | Patrika News

वहीं संबंध में जहां जानकारों का मानना है कि इस घटना को देखकर साफ लगता है कि मध्यप्रदेश पुलिस इतनी कमजोर हो गई कि इसका अब किसी के अंदर खौफ रह ही नहीं गया है। क्योंकि यदि पुलिस की कार्रवाई जरा भी खौफ होता, तो कोई भी शातिर से शातिर व्यक्ति तक ऐसे कार्य को भूल से भी अंजाम नहीं दे सकता था। वहीं इस मामले में स्कूल प्रशासन की लापरवाही को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।

दरअसल गुरुवार दोपहर लंच टाइम में आरोपी ने सरकारी स्कूल की आठ साल की मासूम बच्ची को टॉयलेट में बंधक बनाकर गलत काम किया। इसके बाद सफाई कर्मचारी का 26 साल का आरोपी पति लक्ष्मीनारायण बच्ची को निर्वस्त्र हालत में छोड़कर फरार हो गया। खास बात ये कि इस स्कूल में बच्ची का छह दिन पहले ही एडमिशन हुआ था।

बच्ची के माता-पिता की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कराया और बच्ची ने ही आरोपी की पहचान पुलिस को उसकी पीली शर्ट से बताई, वहीं इससे पहले बच्ची को आरोपी द्वारा लगातार शोषित किए जाने की जो बातें सामने आईं, वह इतनी भयानक थी कि इसके बारे में जिस किसी ने भी सुना उसका खुन खोले बिना नहीं रह सका।

जिसके बाद बच्ची ने फोटो देखकर ही आरोपी की शिनाख्त की थी। भले ही आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया हो। लेकिन जानकारों के अनुसार इस पूरे मामले में पुलिस के द्वारा पूर्व में की गईं कमजोर कार्रवाइयां ही ऐसे बदमाशों का हौंसला बढ़ाती है।

इस संबंध में स्वयं हाईकोर्ट के एडवोकेट धर्मेंद्र शर्मा का तक कहना है कि हां सचमुच कुछ हद तक ऐसी स्थिति का कारण पुलिस छवि भी हो सकती है, क्योंकि जहां पुलिस लंबे समय तुरंत कार्रवाई को नजरंदाज करती दिखने लगती है, वहीं अपराधी पुलिस से बेखौफ हो जाते हैं।

जबकि समाजशास्त्र की जानकार प्रो. वी शुक्ला के अनुसार भी जब किसी समाज में पुलिस के प्रति खौफ पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है या उनके द्वारा तत्काल की जाने वाली कार्रवाइयों का दिखना बंद हो जाता है, तो ऐसे समाज में नए नए बदमाश तत्व पनपने के साथ ही वे किसी भी स्थिति तक जाने में किसी तरह का भय महसूस नहीं करते हैं।

अब जागी पुलिस: स्कूलों के केयर टेकर का होगा वेरिफिकेशन
वहीं इस घटन के बाद बच्ची से दुराचार के बाद पुलिस प्रशासन की नींद खुली है। अब शहर के स्कूलों के कैंपस की जांच होगी। स्कूल के केयरटेकर से लेकर अन्य कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य किया है। भोपाल शहर में मुहिम चलाकर वेरिफिकेशन करवाया जाएगा। आपराधिक रिकॉर्ड वाले कर्मचारियों को कैंपस से बाहर किया जाएगा। यह आदेश एडिशनल पुलिस कमिश्नर सचिन अतुलकर आदेश दिए हैं।

वहीं कुछ जानकारों का तो यहां तक मानना है कि जैसे कुछ साल पहले हबीबगंज स्टेशन के पास एक यूपीएससी की तैयारी कर रही विदिशा की लड़की के साथ एक युवक ने गलत काम किया था, और जब वह युवती पुलिस के पास पहुंची, तो भी उसे पुलिस का कोई सहयोग नहीं मिला था, तब विदिशा में उसके माता पिता जो पुलिस में ही थे ने भोपाल आकर स्वयं उस आरोपी को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया था, जानकारों के अनुसार पुलिस के इसी तरह कार्यों ने बदमाशों के मन से भोपाल पुलिस का खौफ दूर कर दिया और उसकी शान पर भी दाग लगाने का कार्य किया।

अब सरकारी स्कूल की 8 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए इस पूरे मामले में गनीमत यह रही कि वर्तमान में बच्ची की हालत खतरे से बाहर है, लेकिन वह काफी सदमे में है। पुलिस काउंसिलिंग करवा रही है। बताया जाता है कि आरोपी नशे का आदी था और अक्सर नशे की हालत में ही स्कूल परिसर में घूमता रहता था। मामले में प्रिंसिपल एवं स्कूल के डायरेक्टरों से पुलिस पूछताछ कर रही है। साथ ही इस घटना का मुख्य कारण प्रबंधन की बड़ी लापरवाही को बताया जा रहा है।

पांच माह में 1312 बच्चियां शिकार
प्रदेश में इस साल शुरुआती पांच माह में 1312 बच्चियां बलात्कार का शिकार हुईं। 60 के साथ गैंगरेप हुआ। एक जनवरी से 31 मई तक 1274 महिलाओं से बलात्कार हुआ। इस दरमियान रेप के कुल 2586 केस दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ कुल अपराधों की संख्या 14730 रही। आंकड़ों के मुताबिक 2021 में शुरुआती पांच महीने में महिलाओं के खिलाफ 12845 अपराध हुए थे।

ऐसे हुई घटना
: दोपहर दो बजे स्कूल में लंच टाइम की घंटी बजती है। बच्ची कक्षा से निकलकर टॉयलेट की तरफ जाती है।
: दोपहर लंच टाइम में आरोपी बच्ची को देखकर उसके पीछे-पीछे टॉयलेट में प्रवेश कर
जाता है।
: दोपहर ढाई बजे तक टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद रहता है। अंदर आरोपी बच्ची का मुंह दबाकर गलत काम कर रहा था।
: दोपहर ढाई बजे के लगभग दरवाजे पर दस्तक होती है जिसके बाद आरोपी कपड़े पहनकर बच्ची को उसके हाल पर छोड़कर फरार हो जाता है।
: दोपहर तीन बजे तक इस मामले की जानकारी पुलिस को भेजी जाती है।

ऐसे व्यक्ति की मानसिक जांच हो
यह विडम्बना का विषय है। ऐसे मामलों में घटिया नशे और व्यक्तिगत विकार की महती भूमिका होती है। ऐसे प्रवृत्ति वाले लोगों के प्रति उसके परिवार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वे समय समय पर व्यक्ति की मानसिक जांच जरूर कराएं।
– डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक

ये हैं बड़े सवाल
: स्कूल में लंच टाइम में छोटे बच्चों के बाथरूम में आरोपी क्या कर रहा था?
: किसी ने उसे टोका क्यों नहीं, क्या वह अक्सर इसी तरह लंच में बाथरूम में जाता था?
: अगर हां तो स्कूल की प्रधानाचार्य और टीचर ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं की
: बच्चे बाथरूम जाते हैं तो वे किसी आया की निगरानी में जाते हैं, यहां ऐसे ही क्यों भेजा?
: एक बाथरूम के दरवाजे को बच्चे पीट रहे थे तो किसी ने इस और संज्ञान क्यों नहीं लिया?



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