भोपाल में घाटों पर देर रात तक 325 बड़ी और 8 हजार से ज्यादा छोटी प्रतिमाएं विसर्जित

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भोपाल में घाटों पर देर रात तक 325 बड़ी और 8 हजार से ज्यादा छोटी प्रतिमाएं विसर्जित

अनंत चतुर्दशी के साथ ही दस दिवसीय गणेश उत्सव का समापन, गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ… के जयकारों के साथ नाचते-गाते हुए श्रद्धालुओं ने दी विदाई

भोपाल. अनंतचतुर्दशी के साथ ही दस दिवसीय गणेश उत्सव का रविवार को समापन हो गया। अनंत चतुर्दशी पर श्रद्धालुओं ने घरों में पूजा अर्चना, महाआरती की और गणपित बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ के आमंत्रण भरे जयघोष के साथ बप्पा को विदाई दी। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी इस बार लोगों में जागरुकता दिखाई दी, जहां कई लोगों ने अपने घरों में मिट्टी के गणेश स्थापित किए थे, वहीं विसर्जन भी घरों में ही विधि विधान के साथ किया गया। शहर के चार बड़े घाटों खटलापुरा, कमलापति, प्रेमपुरा और शाहपुरा में रात नौ बजे तक 8 हजार छोटी प्रतिमाएं विसर्जित हो चुकी थी। बड़ी प्रतिमाएं करीब सवा तीन सौ ही विसर्जन के लिए पहुंची। इस बार करीब 600 के लगभग बड़ी प्रतिमाएं विराजमान हुईं हैं, करीब 500 अनुमतियां जिला प्रशासन की तरफ से जारी की गईं। पहले इनकी संख्या करीब 1500 बड़ी मूर्तियों की होती थी।

भोपाल में घाटों पर देर रात तक 325 बड़ी और 8 हजार से ज्यादा छोटी प्रतिमाएं विसर्जित

घाटों पर प्रतिमाओं के विसर्जन की स्थिति
खटलापुरा, कमलापति : बड़ी 100 से ऊपर, छोटी 3000
प्रेमपुरा घाट : बड़ी 125, छोटी करीब 3 हजार
शाहपुरा, कोलार के अन्य घाट : बड़ी 100 से ऊपर, छोटी दो हजार से ज्यादा

सुरक्षा के लिए लगाई रस्सी और टेबल
शहर के घाटों पर एडीएम दिलीप कुमार लगातार कर रहे थे। खटलापुरा हादसे से सबक लेते हुए लोगों को पानी तक जाने की अनुमति नहीं दी गई। रस्सी और टेबल लगाकर लोगों को रोका और उनसे मूर्ति लेकर जेसीबी से प्लेटफार्म पर रखकर विसर्जन किया गया। एसडीएम शहर जमील खान, एसडीएम कोलार क्षितिज शर्मा और एसडीएम टीटी नगर खुद भी घाटों पर तैनात रहे। प्रतिमा विसर्जन के लिए नगर निगम ने 15 स्थान तय किए जहां श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश प्रतिमाएं निगम अमले को दी।

नहीं निकले चल समारोह
अनंत चतुर्दशी के मौके पर कोविड 19 के कारण सार्वजनिक आयोजनों पर शासन ने रोक लगा दी थी। इसलिए इस बार शहर में सार्वजनिक स्तर पर झांकियां नहीं सजाई गई थी और चल समारोह भी नहीं निकाला गया। ऐसे में सार्वजनिक रूप से पंडालों में स्थापित किए गए गणेश प्रतिमाओं को लेकर समिति के सदस्य ही घाटों पर लेकर पहुंचे और विसर्जन किया।







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