भेल में कार्यरत ठेका श्रमिक अब भी झेल रहे हैं कोरोना की आर्थिक मार | Contract workers working in BHEL are facing the economic hit of Corona | Patrika News
बता दें कि प्रबंधन ने कोरोना का बहाना बनाकर आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए सोसायटी, वर्स कानटै्रक्ट सहित ब्लू कम्प्यूटर में कार्यरत श्रमिकों के वेतन से 1600 से लेकर 3000 तक की कटौती आज तक की जा रही है। इससे श्रमिकों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। इस मामले में कई जनप्रतिनिधियों और श्रमिक संगठनों ने भी राजनीति के साथ ही वाहवाही लूटने का काम किया, परंतु आज तक वेतन वृद्धि नहीं हो पाई। श्रमिकों के वेतनवृद्धि का मामला भेल के मुखिया से लेकर क्षेत्रीय श्रम आयुक्त तक भी गया, पर हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं।
हड़ताल के बाद भी नहीं हुई वेतनवृद्धि
वहीं वर्स कान्टै्रक्ट के श्रमिकों ने एक श्रमिक संगठन बनाकर भेल कारखाने में चार दिन तक हड़ताल भी की। क्षेत्रीय विधायक के हस्तक्षेप और आश्वासन के बाद कि अप्रेल 2022 से वेतनवृद्धि कर दी जाएगी हड़ताल खत्म करवा दी गई, परंतु आज तक वेतनवृद्धि नहीं हो पाई। इसके इतर स्थिति यह है कि सोसायटी से लेकर वर्स कान्ट्रैक्ट तक के श्रमिकों को 3-3 महीने तक वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर बीते दिनों क्षेत्रीय विधायक द्वारा भेल के गेट क्रमांक पांच पर उग्र प्रदर्शन भी किया गया। भेल के सीएमडी से दिल्ली में बैठक भी की गई। कुछ श्रमिक संगठनों द्वारा बीएचईएल के एचआर और एडीएम विल्डिंग का घेराव तक किया गया, फिर भी आज तक श्रमिकों की समस्या का हल नहीं निकल पाया।
तीन-तीन महीने तक नहीं मिल पा रहा वेतन
भेल में सोसायटियों के माध्यम से संचालित ठेका श्रमिकों का 3-3 महीने तक संस्थाएं वेतन का भुगतान नहीं कर रहीं। बीएचई लेबर कान्टै्रक्ट सोसायटी के श्रमिकों का विगत दो साल से प्रबंधन द्वारा वेतन दिया जा रहा है। अभी भी तीन महीने का वेतन देना है। संस्था से जुड़े श्रमिक यह भी भूल गए हैं कि संस्था से कितना लेना है। पीएफ, एसआई भी कुछ माह का प्रबंधन ने जमा किया है।
संस्था बदलने के लिए दे चुके हैं सहमति-पत्र
श्रमिकों द्वारा संस्था परिवर्तन के लिए महाप्रबंधक मानव संसाधन को सहमति-पत्र दिया जा चुका है। संस्था के 90त्नश्रमिकों ने समय पर वेतन भुगतान और बेहतर कार्य करने वाली सोसायटी के माध्यम से श्रमिकों के संचालन की सहमति का पत्र दिया है। परंतु आज तक प्रबंधन कोई निर्णय नहीं कर पाया। वहीं बीएचई कोऑपरेटिव सोसायटी में भी कभी भी वेतन का भुगतान समय पर नहीं होता।
वेतन कटौती के कारण परिवार का संचालन करना बड़ा मुश्किल हो गया है। हम लोगों को दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल मिल पा रही है। पूरे देश से कोरोना खत्म हो गया और वेतन भी बढ़ रहा है, इसके बाद भी हम और हमारा परिवार कोरोना की मार झेल रहा है।
तुलाराम, श्रमिक, बीएचईएल लेबर कॉन्टै्रक्ट सोसायटी
भेल से महीने में जितना वेतन मिल रहा है, उसमें एक बच्चे की स्कूल की फीस तक पूरी नहीं हो पाती। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अन्य मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है।
उज्जव त्रिवेदी, श्रमिक, भर्स कॉन्टै्रक्ट
भेल में श्रमिकों की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। ठेकेदार और संस्थान मनमानी कर रहे हैं। श्रमिकों को राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। 2 अक्टूबर के बाद ठेका मजदूर संघ श्रमिकों की वेतनवृद्धि और कटौती की जा रही राशि के एरियर्स सहित भुगतान को लेकर आंदोलनरत होगा। पूर्व से ठेका मजदूर संघ श्रमिकों की लड़ाई निरंतर लड़ता चला आ रहा है।
मनोज सिंह जादौन, अध्यक्ष ठेका मजदूर संघ
बता दें कि प्रबंधन ने कोरोना का बहाना बनाकर आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए सोसायटी, वर्स कानटै्रक्ट सहित ब्लू कम्प्यूटर में कार्यरत श्रमिकों के वेतन से 1600 से लेकर 3000 तक की कटौती आज तक की जा रही है। इससे श्रमिकों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। इस मामले में कई जनप्रतिनिधियों और श्रमिक संगठनों ने भी राजनीति के साथ ही वाहवाही लूटने का काम किया, परंतु आज तक वेतन वृद्धि नहीं हो पाई। श्रमिकों के वेतनवृद्धि का मामला भेल के मुखिया से लेकर क्षेत्रीय श्रम आयुक्त तक भी गया, पर हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं।
हड़ताल के बाद भी नहीं हुई वेतनवृद्धि
वहीं वर्स कान्टै्रक्ट के श्रमिकों ने एक श्रमिक संगठन बनाकर भेल कारखाने में चार दिन तक हड़ताल भी की। क्षेत्रीय विधायक के हस्तक्षेप और आश्वासन के बाद कि अप्रेल 2022 से वेतनवृद्धि कर दी जाएगी हड़ताल खत्म करवा दी गई, परंतु आज तक वेतनवृद्धि नहीं हो पाई। इसके इतर स्थिति यह है कि सोसायटी से लेकर वर्स कान्ट्रैक्ट तक के श्रमिकों को 3-3 महीने तक वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर बीते दिनों क्षेत्रीय विधायक द्वारा भेल के गेट क्रमांक पांच पर उग्र प्रदर्शन भी किया गया। भेल के सीएमडी से दिल्ली में बैठक भी की गई। कुछ श्रमिक संगठनों द्वारा बीएचईएल के एचआर और एडीएम विल्डिंग का घेराव तक किया गया, फिर भी आज तक श्रमिकों की समस्या का हल नहीं निकल पाया।
तीन-तीन महीने तक नहीं मिल पा रहा वेतन
भेल में सोसायटियों के माध्यम से संचालित ठेका श्रमिकों का 3-3 महीने तक संस्थाएं वेतन का भुगतान नहीं कर रहीं। बीएचई लेबर कान्टै्रक्ट सोसायटी के श्रमिकों का विगत दो साल से प्रबंधन द्वारा वेतन दिया जा रहा है। अभी भी तीन महीने का वेतन देना है। संस्था से जुड़े श्रमिक यह भी भूल गए हैं कि संस्था से कितना लेना है। पीएफ, एसआई भी कुछ माह का प्रबंधन ने जमा किया है।
संस्था बदलने के लिए दे चुके हैं सहमति-पत्र
श्रमिकों द्वारा संस्था परिवर्तन के लिए महाप्रबंधक मानव संसाधन को सहमति-पत्र दिया जा चुका है। संस्था के 90त्नश्रमिकों ने समय पर वेतन भुगतान और बेहतर कार्य करने वाली सोसायटी के माध्यम से श्रमिकों के संचालन की सहमति का पत्र दिया है। परंतु आज तक प्रबंधन कोई निर्णय नहीं कर पाया। वहीं बीएचई कोऑपरेटिव सोसायटी में भी कभी भी वेतन का भुगतान समय पर नहीं होता।
वेतन कटौती के कारण परिवार का संचालन करना बड़ा मुश्किल हो गया है। हम लोगों को दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल मिल पा रही है। पूरे देश से कोरोना खत्म हो गया और वेतन भी बढ़ रहा है, इसके बाद भी हम और हमारा परिवार कोरोना की मार झेल रहा है।
तुलाराम, श्रमिक, बीएचईएल लेबर कॉन्टै्रक्ट सोसायटी
भेल से महीने में जितना वेतन मिल रहा है, उसमें एक बच्चे की स्कूल की फीस तक पूरी नहीं हो पाती। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अन्य मेहनत मजदूरी करनी पड़ती है।
उज्जव त्रिवेदी, श्रमिक, भर्स कॉन्टै्रक्ट
भेल में श्रमिकों की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। ठेकेदार और संस्थान मनमानी कर रहे हैं। श्रमिकों को राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। 2 अक्टूबर के बाद ठेका मजदूर संघ श्रमिकों की वेतनवृद्धि और कटौती की जा रही राशि के एरियर्स सहित भुगतान को लेकर आंदोलनरत होगा। पूर्व से ठेका मजदूर संघ श्रमिकों की लड़ाई निरंतर लड़ता चला आ रहा है।
मनोज सिंह जादौन, अध्यक्ष ठेका मजदूर संघ