भारतीय सिनेमा का पहला विलेन ‘हीरालाल’, जिसने भगत सिंह के साथ लड़ी थी आजादी की लड़ाई

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भारतीय सिनेमा का पहला विलेन ‘हीरालाल’, जिसने भगत सिंह के साथ लड़ी थी आजादी की लड़ाई

भारतीय सिनेमा का पहला विलेन ‘हीरालाल’, जिसने भगत सिंह के साथ लड़ी थी आजादी की लड़ाई

भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई थी, जब दादासाहेब फाल्के ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ नाम की फिल्म बनाई थी। उसी समय हिंदुस्तान ने जाना था कि फिल्म क्या होती है। उसी दौर में एक ऐसा हीरा पैदा हुआ, जो न सिर्फ भारतीय सिनेमा का पहला विलेन बना, बल्कि उसने भगत सिंह के साथ देश की आजादी की लड़ाई में भी लड़ा। यह थे एक्टर हीरालाल ठाकुर, जिन्हें हीरालाल के नाम से भी जाना जाता है। हीरालाल ठाकुर साइलेंट फिल्मों के दौर के सुपरस्टार विलेन थे। भारतीय सिनेमा के आइकॉनिक विलेन्स की बात हो और उसमें हीरालाल का नाम शामिल न हो, तो यह बड़ी बेमानी होगी। वह हीरालाल ही थे, जिन्होंने फिल्मों में विलेन वाले किरदारों की शुरुआत की थी। इसीलिए हीरालाल ठाकुर को भारतीय सिनेमा का पहला विलेन माना जाता है।

नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की WoW Wednesday सीरीज में हम आपको हीरालाल ठाकुर के बारे में बताने जा रहे हैं। हीरालाल ठाकुर ने साइलेंट फिल्मों से शुरुआत की और कलर फिल्मों में भी अपना रंग जमाया। यही नही, उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में भी योगदान दिया। उनकी कहानी वाकई एक मिसाल है।

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1912 में लाहौर में जन्मे थे हीरालाल ठाकुर

हीरालाल ठाकुर का जन्म 1912 में लाहौर में हुआ था। हीरालाल का रुझान बचपन से ही एक्टिंग की तरफ था और यही शौक उन्हें फिल्मों में ले आया। बताया जाता है कि हीरालाल को शुरुआत से ही फिल्मों में विलेन का रोल करने का शौक था। जहां अन्य लोग फिल्मों में हीरो बनने का शौक लेकर घुस रहे थे, वहीं हीरालाल चाहते थे कि वह विलेन बनें। उनके मन में विलेन बनने की इच्छा तब पैदा हुई, जब एक बार उन्होंने ‘रामलीला’ करते वक्त एक नाटक में हिस्सा लिया था।

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1928 में डेब्यू, इस फिल्म से लॉलीवुड की शुरुआत

हीरालाल ने 1928 में फिल्मों में एंट्र्री की। उन्होंने शंकरदेव आर्या की फिल्म ‘डॉटर्स ऑफ टुडे’ से एक्टिंग डेब्यू किया था। यह न सिर्फ हीरालाल की पहली फिल्म थी, बल्कि इसी फिल्म से पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री यानी लॉलीवुड की शुरुआत हुई थी। इस फिल्म में शंकरदेव आर्या को एआर करदार ने असिस्ट किया था, जो बाद में एक मशहूर डायरेक्टर बने। जब उन्होंने 1930 में ‘सफदर जंग’ के नाम से फिल्म बनाई तो उसमें हीरालाल ठाकुर को कास्ट किया। फिल्म सुपरहिट रही थी और इसने हीरालाल को उस दौर के टॉप एक्टर्स में ला खड़ा किया।

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एक्टर हीरालाल ठाकुर, फोटो: cinemajadoo.wordpress.com

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फिल्ममेकर्स के लकी चार्म हीरालाल ठाकुर
साल 1928 से 1948 तक हीरालाल ठाकुर ने 20 फिल्मों में काम किया था। इन फिल्मों में हीरालाल ठाकुर को विलेन और नेगेटिव किरदारो में काफी पसंद किया गया। ऐसी बी स्थिति थी कि फिल्ममेकर्स हीरालाल को अपना लकी चार्म मानने लगे थे और उन्हें अपनी हर फिल्म में लेने को उत्सुक रहते। हीरालाल ठाकुर का अलग ही जलवा था। उनकी ज्यादातर फिल्में धमाल मचाती थीं

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एक्टर हीरालाल, फोटो: cinemaazi

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1945 में शादी, बंटवारे के बाद भारत आए हीरालाल

हीरालाल ठाकुर ने फिल्मों में काम करने के दौरान ही 1945 में दर्पण रानी से शादी कर ली और फिर बंटवारे के बाद कोलकाता होते हुए बॉम्बे आ गए। हीरालाल ठाकुर को बॉलीवुड में पहला मौका 1951 में मिला, जब भगवान दास वर्मा ने उन्हें फिल्म ‘बादल’ में कास्ट किया। इस फिल्म में हीरालाल ठाकुर के ऑपोजिट मधुबाला थीं। इसके बाद हीरालाल ठाकुर ने कई हिंदी फिल्में कीं, जो सुपरहिट रहीं। इनमें ‘औरत’, ‘यहूदी की लड़की’, ‘गुमनाम’, ‘अमर प्रेम’, ‘कालिया’ और ‘हम सब चोर हैं’ जैसी कई फिल्में शामिल हैं। पांच दशक से भी लंबे करियर में हीरालाल ठाकुर ने डेढ़ सौ से ज्यादा फिल्मों में काम किया था।

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हीरालाल फोटो: Twitter

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देश की आजादी की लड़ाई में लिया हिस्सा

फिल्मों में आने से पहले हीरालाल ठाकुर ने देश की आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। वह भगत सिंह के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई का अहम हिस्सा रहे। बताया जाता है कि हीरालाल ठाकुर मात्र 14 साल की उम्र में ही इंडियन नेशनल कांग्रेस के एक्टिविस्ट बन गए थे। बाद में वह लाला लाजपत राय और भगत सिंह के साथ जुड़े। साल 1981 में हीरालाल का निधन हो गया। हीरालाल के 6 बच्चे थे, जिनमें से एक एक्टर भी था। यह थे इंदर कुमार, जो फिल्म ‘नदिया के पार’ में नजर आए थे। इंदर कुमार एक फैशन डिजाइनर भी थे। लेकिन 35 साल की उम्र में एक प्लेन दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।