भाजपा नेता खुद को स्वाहा कर संगठन को करते रहे मजबूत | BJP leaders self-sacrifice and strengthened the organization | Patrika News

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भाजपा नेता खुद को स्वाहा कर संगठन को करते रहे मजबूत | BJP leaders self-sacrifice and strengthened the organization | Patrika News

भाजपा नेता खुद को स्वाहा कर संगठन को करते रहे मजबूत | BJP leaders self-sacrifice and strengthened the organization | Patrika News

तीन दशक में ऐसा कभी नहीं हुआ कि नगर निगम से लेकर लोकसभा के चुनाव में सभा हुई और उमेश शर्मा का भाषण नहीं हुआ। वे मंच पर है तो जनता की डिमांड पर उनका भाषण होता था। मानो मां सरस्वती उनके कंठ पर ही विराजती थी। हाल ही में महापौर पुष्यमित्र भार्गव व उनके पार्षदों का शपथ विधि समारोह था उसमें भी मंच की कमान शर्मा के हाथ में ही थी। पार्टी ने उन्हें गुजरात चुनाव में विधानसभा की जिम्मेदारी सौंपी तो वो 7 सितंबर से वहीं पर थे और कल रात 9.30 बजे लौट कर इंदौर आए।

सब कुछ ठीक था, लेकिन शाम 4 बजे सीने में जलन की वजह से रॉबर्ट नर्सिंग होम ले जाया गया। जहां दिल की सामान्य जांच की गई जिसमें सब कुछ ठीक निकला। कुछ देर बार एक उल्टी हुई और बाथरूम में गिर पड़े जिसके बाद वे नहीं उठे। भाजपा ने अपना एक तेज तर्रार मंच और परिसंवाद में पार्टी का पक्ष रखने वाले नेता खो दिया। 30 साल से अधिक समय से वे पार्टी की सक्रिय राजनीति कर रहे थे। भाजयुमो नगर अध्यक्ष बनने के बाद सुदर्शन गुप्ता की टीम में महामंत्री बने। एक बार पार्टी ने कठिन वार्ड से टिकट दिया।

मजबूती से चुनाव लड़े, लेकिन थोड़ी कमी रह गई। उनका उत्साह कम नहीं हुआ। दोगुना रफ्तार से काम में जुट गए। 18 साल से भाजपा की सत्ता है, लेकिन पार्टी ने आज तक किसी भी महत्वपूर्ण पद पर काबिज नहीं किया। तीन बार से अध्यक्ष पद के सशर्त दावेदार रहे, लेकिन हमेशा पार्टी की गुटबाजी से वे हार गए। तीन माह पहले उन्होंने नगर निगम चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर की थी। खुद का वार्ड अनुकूल था, लेकिन पट्ठावाद उनके आड़े आ गया। विधानसभा चुनाव में जी जान से मेहनत करने के बावजूद उन्हें विधायक के दर से निराशा हाथ लगी। टिकट काटे जाने के बावजूद उन्होंने पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। ये भी कहा जा सकता है कि तीन दशक की तपस्या के बावजूद शर्मा का हाथ खाली था, कोई प्रतिफल नहीं मिला।

ये किस्सा हुआ था चर्चित
नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय सचिव होने के साथ में प्रदेश के प्रभारी भी थे। विधानसभा चुनाव के दौरान बेटमा में एक सभा रखी गई थी जिसमें मोदी के साथ जाने की जिम्मेदारी उमेश शर्मा को दी गई थी। समय अभाव की वजह से मोदीजी ने सीधे भाषण करने की इच्छा जाहिर की। जैसे ही मंच पर चढ़े वैसे ही जनता ने शर्मा के नारे लगा दिए। तब मोदीजी ने मुस्कुराकर शर्मा को मंच पर बुलाया और पहले भाषण कराया। बाद में जाते-जाते वे अच्छा बोलने पर पीठ थपथपा कर भी गए।

कोरोना काल में छोड़ा घर
जैसा भाषण कला में माहिर थे वैसे ही शर्मा सेवा कार्य में भी पीछे नहीं हटते थे। कोरोना के पहले काल में जब गरीब परिवार व बाहर के फंसे ट्रक ड्राइवरों के सामने खाने का संकट खड़ा हो गया था तो उस समय ऋतुराज
मांगलिक भवन में बस्ती के कार्यकर्ताओं को लेकर शर्मा ने भंडारा शुरू किया। नियमित पांच हजार लोगों के भोजन पैकेट बनाकर वितरित करते थे।

सब कुछ न्यौछावर
आर्थिक तौर पर शर्मा की स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी। इसके बावजूद पार्टी ने जब-जब उन्होंने काम दिया वे पीछे नहीं हटे। प्रवक्ता होने की वजह से इंदौर-भोपाल आए दिन आना-जाना तो लगा ही रहता था। उपचुनाव में पार्टी का ड्यूटी लगाना हो या कोई भी आयोजन होने पर भाषण देने के लिए संभाग में कहीं भी भेज दिया जाता था। उन्होंने पार्टी को कभी इनकार नहीं किया। हालांकि परिवार की जानकारी लगने और बेटे को देखकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कल कहा कि बेटा तुम चिंता मत करो, तुम्हारी चिंता मैं करूंगा।



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