भाई खतरनाक क्रिमिनल और घर अवैध घोषित, 1 लाख का चालान, SC/ST एक्‍ट में केस…प्रधान से सूचना मांगने वाले वकील साहब अब मौत मांग रहे

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भाई खतरनाक क्रिमिनल और घर अवैध घोषित, 1 लाख का चालान, SC/ST एक्‍ट में केस…प्रधान से सूचना मांगने वाले वकील साहब अब मौत मांग रहे

भाई खतरनाक क्रिमिनल और घर अवैध घोषित, 1 लाख का चालान, SC/ST एक्‍ट में केस…प्रधान से सूचना मांगने वाले वकील साहब अब मौत मांग रहे

गाजीपुर/लखनऊ: कोरोना की वजह से कोर्ट बंद था। ऐसे में दिल्‍ली हाई कोर्ट में वकील श‍िव कुमार यादव लगभग 5 साल बाद अपने घर आते हैं। गांव आने पर उन्‍हें ग्राम प्रधान का भ्रष्‍टाचार दिखता है। उन्‍होंने सूचना के अध‍िकार (Right to Information Act 2005) के तहत ग्राम पंचायत में पिछले पांच साल में हुए कामों का ब्‍योरा मांगा। पूरी जानकारी नहीं मिली तो अपील दायर कर दिया। अब श‍िव इतने डरे हुए हैं क‍ि वे आत्‍महत्‍या करने की सोच रहे हैं। आज की तारीख में उन पर, उनके सगे और चचेरे भाई पर एससी, एसटी एक्‍ट, छेड़खानी के तहत मुकदमा दर्ज है। सगे भाई को दुस्‍साह‍िक अपराधी बताकर एक लाख रुपए का मुचलका भरने का आदेश आ गया है। इसी बीच लेखपाल ने उनके और उनके चाचा के घर को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कराया है। जिस पर तहसील में मुकदमा भी चल रहा। और यह सब खेल शुरू हुआ आरटीआई मांगने के बाद।

चंद महीनों में ही वकील साहब पर छेड़खानी जैसे आरोपों के साथ दूसरे मुकदमे भी दर्ज हैं। कभी भी जेल जा सकते हैं। मजदूरी करने वाले उनके भाई को खतरनाक अपराधी घोषित कर दिया गया है। मामला उत्‍तर प्रदेश के जिला गाजीपुर का है।

पहले सिलसिलेवार ढंग से पूरा मामला समझ‍िए
मामला शुरू होता है अप्रैल 2021 में। कोरोना काल में पूरा देश ही क्‍या पूरी दुनिया थम सी गई थी। कंपनी, ऑफ‍िस, कॉलेज सब बंद थे। कोर्ट भी बंद था। ऐसे में दिल्‍ली हाई कोर्ट में वकालत कर रहे श‍िव कुमार यादव सोचते हैं क‍ि गांव जाने का यह अच्‍छा मौका है। उत्‍तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के तहसील सैदपुर, परगना खानपुर के ग्राम पंचायत सरवनपुर के गांव उमरी के श‍िव अप्रैल में घर पहुंचते हैं। गांव आने के बाद उन्‍हें ऐसा लगा क‍ि ग्राम पंचायत के कामों में ग्राम प्रधान की ओर से अनि‍यमितता बरती गई है। भ्रष्‍टाचार हुआ है। उन्‍हें लगा क‍ि पूरी जानकारी के लिए आरटीआई एक मजबूत माध्‍यम हो सकता है।

सूचना के तहत मांगी गई पहली जानकारी।

30 जुलाई 2021 की वह तारीख थी। तब श‍िव कुमार यादव को शायद ही इसका अंदाजा रहा होगा क‍ि वे क‍ितनी बड़ी गलती करने जा रहे हैं। आरटीआई के तहत उन्‍होंने ग्राम पंचायत सरवनपुर में चार साल, वर्ष 2015 से 2020 के तहत हुए कामों का ब्‍योरा और खर्च की गई राश‍ि की जानकारी मांगी। उन्‍होंने यह जानकारी भी मांगी क‍ि इस दौरान ग्राम प्रधान ने ग्राम पंचायत में क्‍या-क्‍या कराया और कितने रुपए खर्च किए। चौथा सवाल यह था क‍ि इस दौरान स्‍वच्‍छ भारत और आवास योजना के तहत किन-किन लोगों को लाभ मिला।

जांच के आदेश, ग्राम प्रधान की तेजी और अध‍िकारियों की मिलीभगत
अपील के बाद दोबारा भी आधी-अधूरी जानकारी दी गई। 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 की जनकारी दी गई। 2015-16 की जानकारी दी ही नहीं गई। इसमें भी कई जानकारी छिपाई गई। श‍िव कुमार ने 12 मार्च को जिलाध‍िकारी गाजीपुर को पत्र लिखकर पंचायत में हुए भ्रष्‍टाचार की जांच मांग की। जिला पंचायत राज पदाधिकारी (DPRO) ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पत्र आगे जिलाधिकारी को बढ़ा दिया। 30 अप्रैल 2022 को जिला अध‍िकारी गाजीपुर ने ग्राम पंचायत सरवनपुर में हुए भ्रष्‍टाचार की जांच के आदेश दिए। उद्योग उपायुक्‍त अजय कुमार गुप्‍त को जांच अध‍िकारी नियुक्‍त किया गया और उन्‍हें आदेश दिया गया क‍ि 23 मई और 28 मई स्‍थलीय जांच कर एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपे।

DPRO REPORT

जिलाध‍िकारी ने जांच के आदेश दिए।

एक तरफ ग्राम पंचायत में हुए भ्रष्‍टाचार के जांच आदेश दिए गये तो वहीं दूसरी ग्राम प्रधान पुत्र आशुतोष यादव उर्फ पंधारी ने ग्राम पंचायत में काम शुरू करा दिया। गांवों में स्‍ट्रीट लाइट लगने लगी। शौचालय बनने लगे। आवास योजना के तहत आवास बनने लगे। अखबरों के स्‍थानीय अंक में इसकी खबरें भी छपीं। ग्राम पंचायत सरवनपुर में की ग्राम प्रधान उर्मिला देवी पत्‍नी रामजन्‍म यादव हैं। लेकिन उनके बेटे आशुतोष यादव प्रधान प्रतिनिधि हैं और पूरा काम वही देखते हैं।

जांच अध‍िकारी ने 18 मई को बीडीओ (खंड विकास अध‍िकारी) सैदपुर को पत्र जारी कर 21 मई तक सभी अभ‍िलेख उपलब्‍ध कराने के लिए कहा। 23 मई को स्‍थलीय जांच की तारीख तय की गई। लेकिन उस दिन जांच अध‍िकारी यह कहकर नहीं आए क‍ि उन्‍हें बीडीओ ने रिकॉर्ड ही उपलब्‍ध नहीं कराया। 28 मई को जांच अध‍िकारी ने फिर बीडीओ के पत्र जारी किया और 31 मई को जांच की तारीख तय की। इस दिन भी जांच अध‍िकारी नहीं पहुंचे। इस बार उन्‍होंने कारण बताया क‍ि ग्राम प्रधान ने डीएम से कहा क‍ि उनके यहां शादी है। ऐसे में उन्‍हें कुछ दिनों की मोहलत दी जाए।

janch adhikari

जांच की तारीख बढ़ती रही।

इस पर शिकायतकर्ता श‍िव कुमार यादव आरोप लगाते हैं क‍ि पूरा खेल मिलीभगत का है। एक तरफ जांच नहीं हो रही थी तो दूसरी ओर ग्राम प्रधान गांवों में तेजी से काम करा रहा था। जानबूझकर जांच में देरी की गई ताकि ग्राम प्रधान काम पूरा करा सके। इसके बाद मैं 1 जून 2022 को जिलाधिकारी से मिला और उनके श‍िकायत की क‍ि जांच अध‍िकारी अजय कुमार गुप्‍त जानबूझकर ग्राम प्रधान को समय दे रहे हैं/ ऐसे में इसकी श‍िकायत भी होनी चाह‍िए। तब डीएम ने कहा क‍ि मैंने मानवतावश ग्राम प्रधान को थोड़ा समय दिया था क्‍योंक‍ि उनके यहां शादी थी।

ghazipur

जांच के दौरान ही ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य चल रहा था।

श‍िव कहते हैं, ‘जबकि सच तो यह है क‍ि ग्राम प्रधान के घर में कोई शादी थी ही नहीं। जांच अध‍िकारी की जांच प्रक्र‍िया पर सवाल उठाते हुए मैंने खुद जांच अध‍िकारी से भी इसकी श‍िकायत की।’

इसके बाद 5 और 6 जून को जांच की तारीख तय हुई। दो दिन में जांच पूरी नहीं हुई तो 9 जून को फिर से जांच हुई। इस दौरान ग्रामीणों से बातचीत की गई।

‘जांच अध‍िकारी ने मुझसे कहा था क‍ि जिन लोगों को भ्रष्‍टाचार की श‍िकायत है या जो लोग कह रहे हैं क‍ि ग्राम प्रधान ने आवास और शौचालय के लिए उनसे पैसे लिए, उनका वीडियो और एफिडेविट मुझे चाह‍िए। मैंने ऐसा किया। लेकिन जब लेकर गया तो उन्‍होंने कहा क‍ि मैंने जांच पूरी कर ली। इसके बाद 28 जून को जांच अध‍िकारी मुझे फोन करते हैं और कहते हैं क‍ि कहो तो मैं आख्‍या लगा दूं। इसके बाद उन्‍होंने बताया क‍ि मैंने अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला जनसंपर्क अधिकारी (DPRO) और जिलाध‍िकारी को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। मुझे न तो रिपोर्ट दी गई और न ही अभी तक पता चला क‍ि जांच में हुआ क्‍या।’ श‍िव कहते हैं।

shiv kumar yadav

श‍िव कुमार यादव

इस मामले को लेकर हमने जांच अध‍िकारी अजय कुमार गुप्‍त से बात की और जांच में देरी का कारण पूछा। वे कहते हैं, ‘पहली बात तो मुझे बहुत देर से पता चला क‍ि जांच के आदेश दिए गये हैं। मेरी पास कॉपी देर से पहुंची। इसके बाद मैंने जब जांच शुरू की तो खंड विकास अध‍िकारी ने समय पर अभ‍िलेख यानी की साक्ष्‍य और रिपोर्ट ही नहीं दी। ऐसे में मैं मौके पर जाकर जांच करता। इसके बाद ग्राम प्रधान ने जिलाध‍िकारी से कहवाया क‍ि उनके यहां शादी है। ऐसे में उन्‍हें समय दे दिया जाए। इसके अलावा हमारे विभागीय मामले होते हैं। बावजूद इसके मैंने कोश‍िश की जांच जल्‍द से जल्‍द पूरी करने के लिए। मैंने जांच पूरी कर ली है। रिपोर्ट जिलाध‍िकारी और जिला पंचायत राज पदाधिकारी को सौंप दिया है।’

RTI

प्रथम अपील की कॉपी।

जांच में देरी क्‍यों हुई और क्‍या जानबूझकर ग्राम प्रधान को इतना समय दिया गया क‍ि वह बचे हुए काम को पूरा करा सके, ये सवाल हमने खंड विकास अध‍िकारी से किया। दिनेश कुमार जिनका कुछ दिनों पहले ही तबादला हो गया है, ने बताया, ‘अभ‍िलेख या किसी तर‍ह के डॉक्‍यूमेंट देना मेरी जिम्‍मेदारी नहीं है। मैंने ग्राम प्रधान और सचिव को पत्र देकर बता दिया था। मेरा काम यही था। अब अगर उनकी ओर से देरी हुई तो इसके लिए मेरी जवाबदेही नहीं बनती।’

इस बारे में हमने ग्राम सचिव लोकनाथ यादव से भी बात की। वे कहते हैं क‍ि मुझे बताया ही देर से गया था। और सब कुछ जुटाने में समय तो लगता ही है। इसीलिए देर हुई। मैंने जानबूझकर देरी नहीं की। जब मेरे पास सारे कागजात इकट्ठा हो गये तो मैंने जांच अध‍िकारी को सौंप दिया। मैंने तो अपनी ओर से जल्‍दी ही किया।

आरटीआई मांगने के बाद की क्र‍िया- एसटी/एससी केस, दुस्‍साह‍िक अपराधी का तमगा
श‍िव कुमार यादव बताते हैं क‍ि जब उन्‍होंने आरटीआई के तहत ग्राम प्रधान के काम की जानकारी मांगी, तभी ग्राम प्रधान के दोनों बेटे ने मुझे धमकी दी। अपील दायर करने के बाद फिर धमकी दी और कहा क‍ि तुम्‍हे फर्जी मामलों में फंसाऊंगा, देखते रहो।

अगस्‍त 2021। न्‍यायालय विशेष न्‍यायाधीश, एससी/एसटी एक्‍ट के समक्ष एक मह‍िला ने श‍िव कुमार यादव और उनके चचेरे भाई राकेश यादव पर आरोप लगाया क‍ि 10 अगस्‍त 2021 को जब वह कहीं से काम से जा रही थी तो उसी समय दोनों घात लगाकर बैठे थे और उन्‍होंने मेरे साथ छेड़खानी की। मेरे कपड़े भी फाड़ दिए। इसके बाद जब मैं इनके घर गई तो इनके पिता रामजी यादव और जियालाल यादव ने जाति सूचक शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया और गाली दी और जान से मारने की धमकी भी दी। मह‍िला ने आरोप लगाया क‍ि उसने 16 अगस्‍त को इस मामले की श‍िकायत पुलिस अधीक्षक गाजीपुर से भी की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। श‍िकायत पत्र में एक गवाह का भी जिक्र किया गया।

DDM report

श‍िकायकर्ता श‍िव कुमार के भाई को खतरनाका अपराधी बताया जा रहा।

इसके बाद जिला न्‍यायालय ने संबंध‍ित खानपुर थाने से पूछा क‍ि क्‍या आपके यहां ऐसी कोई श‍िकायत आई है या आपने कोई मामला दर्ज किया है? खानपुर सब इंस्‍पेक्‍टर अनूप यादव ने कोर्ट को बताया क‍ि उनके यहां ऐसा कोई मामला नहीं आया है और न ही हमने कोई श‍िकायत दर्ज की है।

इसी दौरान 27 अगस्‍त 2021 को श‍िव कुमार यादव दिल्‍ली से गाजीपुर पुलिस को डाक से पत्र भेजा और श‍िकायत की। उन्‍होंने लिखा क‍ि उन्‍हें और उनके पर‍िवार को फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा और यह सब ग्राम प्रधान के कहने पर हो रहा।

इसके बाद 11 नवंबर 2021 को सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर गाजीपुर के खानपुर थाने में श‍िव कुमार यादव के सगे भाई कृपा शंकर यादव और उनके चचेरे भाई राकेश यादव पर यौन उत्पीड़न की धारा 354 क, 04, 506 आईपीसी व 3(1)द, ध और SC/ST एक्‍ट के तहत मामला दर्ज कर लिया जाता जाता है।

FIR copy

श‍िव कुमार के पिता और उनके चाचा पर लेखपाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई।

और तो और, पुलिस के अनुसार श‍िव कुमार का सगा भाई कृपाशंकर यादव इस समय बहुत बड़ा अपराधी है। भय और आतंक पैदा करता है। ये दुस्‍साहसिक अपराधी है। डर की वजह से कोई थाने में इसकी श‍िकायत नहीं करता। ऐसे में इसका स्‍वच्‍छंद घूमना ठीक बात नहीं है। ऐसे में इससे 1 लाख रुपए का मुचलका भरवाया जाए और इसे अध‍िक से अध‍िक समय के लिए पाबंद किया जाए। 2 जून 2022 को खानपुर थानाध्‍यक्ष की रिपोर्ट को आधार मानकर उपज‍िला मजिस्‍ट्रेट ने कृपा शंकर यादव को बड़ा अपराधी मानते हुए सीआरपीसी की धारा 110/11 के तहत 1 लाख रुपए का मुचलका भरने का आदेश दिया। इस मामले में जब खानपुर थाना अध्‍यक्ष संजय मिश्रा से बात हुई तो उन्‍होंने कहा क‍ि मैं तो अभी आया हूं। इसलिए इस केस के बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाऊंगा। इस बारे में सीओ सैदपुर से भी जानने की कोश‍िश की गई। उन्‍होंने भी कहा क‍ि मैं भी हाल ही में आया हूं। इस केस के बारे में जानकारी नहीं है।

गजब खेल- एक ही मह‍िला, एक ही गवाह, छेड़खानी करने वाले भी एक
इस मामले में गजब ही खेल चल रहा। एक ही मह‍िला के साथ छेड़खानी होती है। दोनों मामलों में गवाह भी एक ही है। वारदात की स्‍टाइल भी एक जैसी ही है। फर्क बस यह है क‍ि पहली घटना में आरोपी घात लगाकर बैठे थे, दूसरी बार में वे बाइक से आते हैं। लूप ऐसा क‍ि कोई भी सवाल खड़े कर सकता है।

जिस मह‍िला के कहने पर दो लोगों पर मामला दर्ज हुआ, उसने ही बताया था क‍ि उसके साथ 10 अगस्‍त को छेड़खानी हुई थी और जातिसूचक शब्‍दों का प्रयोग किया गया था। तब उसने श‍िव कुमार यादव और राकेश कुमार यादव को आरोपी बताया था।

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श‍िव कुमार के भाइयों पर दर्ज मुकदमे की कॉपी। पूरी कॉपी इसलिए शेयर नहीं किया जा रहा क्‍योंक‍ि उससे श‍िकायकर्ता मह‍िला की पहचान सार्वजनिक हो सकती है।

राकेश और कृपा शंकर पर जो एफआईआर दर्ज है, उसके अनुसार दूसरी बार राकेश कुमार यादव और कृपा शंकर यादव ने उसका यौन उत्‍पीड़न किया। 12 सितंबर 2021 को ये वारदात की। लेकिन पुलिस के अनुसार उसने मामले की श‍िकायत 4 नवंबर 2021 को की। मतलब एक ही मह‍िला के साथ पहले 10 अगस्‍त को छेड़खानी हुई फिर 12 सितंबर को। मह‍िला के अनुसार उसने पहली बार भी पुलिस से श‍िकायत की थी। लेकिन कोई कार्रवाई ही नहीं हुई।

ये मह‍िला कौन है और क्‍या करती, उसे साथ ऐसी ज्‍यादती हुई तो पहले मामला क्‍यों नहीं दर्ज हुआ? यह जानने के लिए हमने मह‍िला के चचेरे भाई (सौतेला) से बात भी की। उन्‍होंने कहा, ‘मेरी बहन के साथ कुछ हुआ ही नहीं। वह ग्राम प्रधान के कहने पर ऐसा कर रही क्‍योंक‍ि वह उनके यहां ही काम करती है। हमने उसे बहुत समझाया। लेकिन मानी ही नही।’

घटना के समय मह‍िला अपने मायके में थी। उसकी भाभी ने भी कहा क‍ि उसने ग्राम प्रधान के कहने पर यह सब किया। इसके अलावा 156 (3) के तहत श‍िव कुमार यादव सह‍ित उनके पर‍िवार के पांच लोगों पर धारा 323,354, 504, 506 आईपीसी व 3(1)द, ध SC/ST एक्‍ट के तहत एक दूसरा मामला भी दर्ज हुआ जिसमें मह‍िला न सीधे कोर्ट में श‍िकायत की थी।

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आरटीआई मांगने वाले श‍िव कुमार यादव ने इसकी श‍िकायत भी की क, जांच अध‍िकारी जानबूझकर ग्राम प्रधान को मौका दे रहे हैं।

श‍िव बताते हैं क‍ि एफआईआर दर्ज होने से पांच दिन पहले 31 अक्‍टूबर को उनके पास खानपुर थाने से एसआई जीतेंद्र कुमार फोन करते हैं। वे फोन पर पूछते हैं क‍ि आप कृपा शंकर यादव बोल रहे हैं। उनके ख‍िलाफ मामला है। तो मैंने कहा नहीं। इसके बाद उन्‍होंने बताया तो कुछ नहीं। मतलब वे मुझे मानसिक रूप से डराने की कोश‍िश कर रहे थे।

हालांक‍ि ग्राम प्रधान पुत्र आशुतोष यादव उर्फ पंधारी (प्रधान प्रतिनि‍ध‍ि) यह मानने से इनकार करते हैं क‍ि श‍िकायतकर्ता मह‍िला उनके यहां काम करती है। वे फोन पर बताते हैं, ‘मैं तो उस महिला को जानता तक नहीं। मैंने तो श‍िव कुमार को पूरी जानकारी दे दी थी। रही बात उसके भाई की तो वह तो उसका चचेरा भाई है। उसे क्‍या पता होगा क‍ि उसकी बहन के साथ क्‍या-क्‍या हुआ।’

पंधारी को यह तो पता है क‍ि मह‍िला का कोई सगा भाई नहीं है। लेकिन वह उस मह‍िला को नहीं जानते। है ना कमाल।

श‍िकायत सड़क की थी, लेखपाल ने घर को ही अवैध बता दिया
मामला यहीं नहीं रुका। ग्राम प्रधान से रिपोर्ट मांगने के बाद सैदपुर के लेखपाल अनुराग भारद्वाज ने 21 जून 2022 को खानपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराया क‍ि राम जी यादव (आरटीआई मांगने वाले श‍िव कुमार यादव के पिता) का घर जो लगभग 0.154 हेक्‍टेयर में बना है, खलिहान खाते की जमीन है। बार-बार कहने पर भी इसे खाली नहीं किया जा रहा। ऐसे में गांव सभा को भारी नुकसान हुआ है। सार्वजनिक संपत्‍त‍ि नुकसान निवारण अध‍िन‍ियम 1984 के तहत मामला दर्ज हो गया और 3.5 लाख सरकार संपत्‍त‍ि का नुकसान बताया जाता है।

ऐसा ही एक मामला इसी तारीख और इसी समय श‍िव कुमार यादव के चाचा जानू, और तेजू यादव भी दर्ज होता है। इसमें बताया जाता है क‍ि दोनों ने क्रमश: 2.5, 5.5 लाख रुपए की सरकार संपत्‍त‍ि को नुकसान पहुंचाया है।

यह सब तक हुआ जब इस जमीन को लेकर तहसील कोर्ट में पहले से ही मुकदमा चल रहा है। जिस दिन यानी 21 जून को खानपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई, उसी दिन तहसीलदार (न्‍यायिक) स्‍थलीय जांच करने का आदेश दिया था।

तहसीलदार नीलम उपाध्‍याय शाम को लगभग 6 बजे जाती हैं। जबकि उससे पहले उसी तारीख में सुबह 9.30 मिनट पर ही खानपुर थाने में मामला दर्ज होता है। मौके पर लेखपाल को भी मौजूद रहना था। जाह‍िर सी बात है क‍ि आदेश कम से कम ऐ दो, दिन पहले तो आया ही होगा।

इस मामले में हमने वर्तमान और तत्‍कालीन लेखपाल, दोनों लोगों से फोन पर बात की। मौजूदा लेखपाल सैदपुर, अनुराग भारद्वाज जिन्‍होंने एफआईआर दर्ज कराई है, वे कहते हैं क‍ि रिपोर्ट इससे पहले के लेखपाल राहुल मौर्या ने लगाई थी। मैंने तो बस उसे आगे बढ़ाया। चूंक‍ि मामला बहुत आगे बढ़ चुका था। इसलिए मुझे अपने बचाव को ध्‍यान में रखते हुए मामला दर्ज कराना पड़ा।

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जिस दिन लेखपाल ने मुकदमा दर्ज कराया, उसी दिन तहसीलदार को मौके पर जाकर जमीन का मुआयना करना था।

क्‍या जिस जमीन को लेकर पहले से ही मामला कोर्ट में है, तो उसे लेकर एफआईआर दर्ज हो सकती है? अनुराग कहते हैं ब‍िल्‍कुल मामला दर्ज हो सकता है।

तत्‍कालीन लेखपाल राहुल मौर्या ने बताया क‍ि इस जमीन को लेकर श‍िव कुमार यादव के घर के ही अमित यादव ने आईजीआरएस (जनसुनवाई -समाधान) पर श‍िकायत की थी। उसके बाद मैंने जांच की तो पता चला क‍ि इनका घर तो खलिहान में बना है। इसके बाद मैंने आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट को आगे बढ़ाया।

इस बारे में हमने अमित से बात की जो वाराणसी में एक बैंक में काम करते हैं। वे बताते हैं, ‘मैंने जून 2021 में श‍िकायत की थी क‍ि ग्राम प्रधान एक आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए हमारी जमीन से सड़क ले जा रहा। जबकि वहां दूसरा विकल्‍प मौजूद था। मैंने ये श‍िकायत तो की ही नहीं थी क‍ि किसी का घर सरकारी जमीन में बना है।’

इस पूरे प्रकरण पर जिलाध‍िकारी गाजीपुर मंगला प्रसाद सिंह से बात करने की कोश‍िश की गई। लेकिन वे मीटिंग में थे। दिनांक 12 जुलाई को कई बार फोन किया गया। एक बार फोन उठा भी तो बताया गया डीएम साहब जनसुनवाई में हैं। दो बजे के बाद फोन कर‍िये। इसके बाद फोन उठा ही नहीं।

श‍िव कहते हैं क‍ि मेरा भाई ट्रांसपोर्ट में मजदूरी करता है। वह एक लाख रुपए कहां से लाएगा। मेरे पास तो कुल मिलकार मात्र 12 बिस्‍वा जमीन है। घर ग‍िरेगा तो हम जाएंगे कहां। ऐसे में मेरे सामने आत्‍महत्‍या करने के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प है ही नहीं। मैंने मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ से भी न्‍याया की गुहार लगाई है।

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