भवन निर्माण में आधुनिक तकनीकों के साथ वास्तु शास्त्र के सिंद्धातों का भी रखें ध्यान, ये होगा फायदा

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भवन निर्माण में आधुनिक तकनीकों के साथ वास्तु शास्त्र के सिंद्धातों का भी रखें ध्यान, ये होगा फायदा

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वास्तु शास्त्र शोध संगोष्ठी

भोपाल। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग की ओर से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वास्तु शास्त्र शोध संगोष्ठी का आयोजन किया। इसका विषय ‘वर्तमान संदर्भ में वास्तुशास्त्र की उपादेयता’ था। इस बेविनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. अशोक थपलियाल, अध्यक्ष वास्तु शास्त्र विभाग ने कहा कि वास्तु शास्त्र में बहुत ही वैज्ञानिक व व्यवस्थित रूप से भवन निर्माण की जानकारी दी जाती है। जल, अग्नि, वायु से मानव जीवन प्रभावित होता है अत: किस स्थान पर इन तत्वों का समुचित प्रयोग होना चाहिए यह ज्ञान अत्यन्त ही आवश्यक होता है। सारस्वत अतिथि डॉ. उपेन्द्र भार्गव ने भवन निर्माण में आधुनिक तकनीक के साथ वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के उपयोग पर चर्चा की।

वर्तमान में वास्तु आधारित भवन निर्माण प्रक्रिया को बड़ा महत्व मिल रहा है
सत्राध्यक्ष प्रो. जे भानुमूर्ति ने बताया कि वर्तमान में वास्तु आधारित भवन निर्माण प्रक्रिया को बड़ा महत्व मिल रहा है। वास्तु आधारित भवन में स्वस्थ व प्रसन्न जीवन यापन के कई उदाहरण सप्रमाण देखने को मिल रहे है। शास्त्रीय ज्ञान में अनेक उपयोगी बिन्दु हैं जो प्रत्येक समय में प्रासंगिक होते हैं। वहीं, विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एक अन्य कार्यशाला में मुख्य अतिथि सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय गुजरात के कुलपति प्रो. गोपबंधु मिश्र ने कहा कि सामान्य जन में संस्कृत के प्रति अभिरुचि जागृत हुई है। किसी भी भाषा के जानने वाले यदि उसका उपयोग सामान्य व्यवहार में करते हैं तो भाषा समृद्ध होती है। प्रो. जे भानुमूर्ति ने कहा कि संस्कृत भाषा को सामान्य व्यवहार में लाना अत्यन्त आवश्यक है। कार्यशाला के संयोजक प्रो. सुबोध शर्मा ने बताया कि प्रतिभागियों ने प्रतिदिन अभ्यास किया और कारक विभक्तियों के प्रयोग के नियम सीखे।

वास्तु शास्त्र विज्ञान आधारित निर्माण कला
प्रो. अनिल कुमार झा ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय परंपरा में वास्तु आधारित निर्माण कार्य की विस्तृत व्याख्या की गई है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भूमि, जल, अग्नि और वायु आदि से संबंधित विषयों का अपना विशेष स्थान होता है। वास्तु शास्त्र इन सभी पक्षों का समन्वय है। विशिष्ट अतिथि प्रो श्यामदेव मिश्र ने कहा कि प्रशासनिक भवनों व कार्यालयों में भी वास्तु सिद्धांत लागू होते हैं। अध्यक्ष प्रो जे भानुमूर्ति ने बताया कि स्थानों तथा पंच तत्वों के उचित प्रबंधन व नियोजन को वास्तुशास्त्र के मूल तत्व माना जाता है। वास्तु शास्त्र विज्ञान पर आधारित भवन निर्माण की कला है।



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