भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर चलकर ही आएगी विश्वशांति: कोविंद
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त्रिपिटक पूजा में भाग लेने पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर चलकर ही विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त होगा। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और सदियों तक रहेंगी। रामनाथ कोविंद दीप जलाकर 17वां इंटरनेशनल त्रिपिटक पूजा का उद्घाटन किया। श्री कोविंद शुक्रवार की दोपहर गया हवाई अड्डा पर पहुंचे। जहां डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम, एसएसपी हरप्रीत कौर ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। एयरपोर्ट से सीधे महाबोधि मंदिर पहुंचे। महाबोधि मंदिर में सचिव बीटीएमसी एवं महाबोधि मंदिर के मॉन्क द्वारा उन्हें खादा देखकर स्वागत किया गया। इसके पश्चात महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में जाकर भगवान बुद्ध का पूजा अर्चना किया गया।
पूजा अर्चना के बाद उन्होंने पवित्र बोधि वृक्ष का दर्शन एवं परिक्रमा किया। देश विदेश से 17 वां इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग समारोह में पहुंचे अतिथियों को संबोधित करते हुए भारत के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आप के बीच आकर बेहद प्रबुद्ध महसूस कर रहा हूं। महाबोधि मंदिर एक ऐसा स्थान जिसे मैंने हमेशा अपने मन में गहराई से संजोया है। मैं यहां कई बार आया हूं और मैंने पाया है कि हर यात्रा एक गहरा अनुभव है। महाबोधि महाविहार को इतना भव्य देख कर मुझे प्रसन्नता हो रही है। यह उस महान आध्यात्मिक परंपरा का एक उपयुक्त स्मारक है जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। मैं मंदिर के प्रभावशाली रखरखाव के लिए बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों की प्रशंसा करता हूं। पूजा का आयोजन का नेतृत्व कर रहे वांगमो डिक्सी, रिचर्ड और द लाइट ऑफ बुद्धधर्म फाउंडेशन के सदस्यों के प्रयासों की बहुत सराहना की। उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका के बौद्ध समुदायों के इतने सारे वरिष्ठ प्रतिनिधियों को देखकर मुझे खुशी हो रही है। बोधिवृक्ष संपूर्ण मानवता के लिए पोषण के स्रोत के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि चित्त में कालुष्य के जन्म लेने से रोकने को साधना अर्थात चित्त को नियंत्रित करना जरूरी है। पूजा समारोह के आयोजक द्वारा पूर्व राष्ट्रपति को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट की गई। इधर राष्ट्रपति के आगमन पर महाबोधि मंदिर में मीडिया के कवरेज पर रोक रही। मीडिया कर्मियों को दूर रखा गया। यह पहला मौका नहीं है। सामान्य दिनों में भी महाबोधि मंदिर में मीडिया कर्मियों के कवरेज पर अलिखित रोक लगी है।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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त्रिपिटक पूजा में भाग लेने पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर चलकर ही विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त होगा। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और सदियों तक रहेंगी। रामनाथ कोविंद दीप जलाकर 17वां इंटरनेशनल त्रिपिटक पूजा का उद्घाटन किया। श्री कोविंद शुक्रवार की दोपहर गया हवाई अड्डा पर पहुंचे। जहां डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम, एसएसपी हरप्रीत कौर ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। एयरपोर्ट से सीधे महाबोधि मंदिर पहुंचे। महाबोधि मंदिर में सचिव बीटीएमसी एवं महाबोधि मंदिर के मॉन्क द्वारा उन्हें खादा देखकर स्वागत किया गया। इसके पश्चात महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में जाकर भगवान बुद्ध का पूजा अर्चना किया गया।
पूजा अर्चना के बाद उन्होंने पवित्र बोधि वृक्ष का दर्शन एवं परिक्रमा किया। देश विदेश से 17 वां इंटरनेशनल त्रिपिटक चैटिंग समारोह में पहुंचे अतिथियों को संबोधित करते हुए भारत के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आप के बीच आकर बेहद प्रबुद्ध महसूस कर रहा हूं। महाबोधि मंदिर एक ऐसा स्थान जिसे मैंने हमेशा अपने मन में गहराई से संजोया है। मैं यहां कई बार आया हूं और मैंने पाया है कि हर यात्रा एक गहरा अनुभव है। महाबोधि महाविहार को इतना भव्य देख कर मुझे प्रसन्नता हो रही है। यह उस महान आध्यात्मिक परंपरा का एक उपयुक्त स्मारक है जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। मैं मंदिर के प्रभावशाली रखरखाव के लिए बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों की प्रशंसा करता हूं। पूजा का आयोजन का नेतृत्व कर रहे वांगमो डिक्सी, रिचर्ड और द लाइट ऑफ बुद्धधर्म फाउंडेशन के सदस्यों के प्रयासों की बहुत सराहना की। उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका के बौद्ध समुदायों के इतने सारे वरिष्ठ प्रतिनिधियों को देखकर मुझे खुशी हो रही है। बोधिवृक्ष संपूर्ण मानवता के लिए पोषण के स्रोत के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि चित्त में कालुष्य के जन्म लेने से रोकने को साधना अर्थात चित्त को नियंत्रित करना जरूरी है। पूजा समारोह के आयोजक द्वारा पूर्व राष्ट्रपति को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट की गई। इधर राष्ट्रपति के आगमन पर महाबोधि मंदिर में मीडिया के कवरेज पर रोक रही। मीडिया कर्मियों को दूर रखा गया। यह पहला मौका नहीं है। सामान्य दिनों में भी महाबोधि मंदिर में मीडिया कर्मियों के कवरेज पर अलिखित रोक लगी है।
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