ब्‍लैक फंगस के इलाज से किडनी पेशंट्स को हो सकती है परेशानी, जानें क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

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ब्‍लैक फंगस के इलाज से किडनी पेशंट्स को हो सकती है परेशानी, जानें क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

नई दिल्‍ली
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में दिख रहा है और म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़ रहे हैं। जो लोग म्यूकोरमाइकोसिस से ठीक हो रहे हैं, उनमें किडनी से जुड़ी समस्याएं होने की बात कही जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज में जिन एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, उससे किडनी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि नेफ्रोलॉजिस्ट्स का कहना है कि ऐसा बेहद कम मामलों में ही हो रहा है।

म्यूकोरमाइकोसिस ज्यादातर उन मरीजों में देखा जा रहा है, जो कोरोना से रिकवर हो रहे हैं और डायबिटिक हैं। सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. हिमांशु वर्मा कहते हैं कि इसमें मरीजों को दो तरह की दवाएं दी जाती हैं, जिनमें से एक है एम्फोटेरेसिन बी। यह एंटी फंगल दवा है। जिन लोगों को पहले से किडनी से जुड़ी कोई बीमारी नहीं है, उन्हें यह दवा दी जाती है तो उनकी किडनी पर मामूली असर पड़ता है, लेकिन दो से तीन हफ्ते में वह व्यक्ति रिकवर कर जाता है और किडनी भी स्वस्थ हो जाती है।

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‘किडनी पूरी तरह खराब होने के चांस नहीं’
जिन लोगों को किडनी की कोई बीमारी है या किडनी ट्रांसप्लांट हुई है, उनमें यह दवा उनकी बीमारी की रफ्तार को थोड़ा बढ़ा देती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि किडनी पूरी तरह से फेल या खराब हो जाए। इसका भी एक सॉल्यूशन निकाल लिया गया है, जिससे किडनी के मरीज पर भी इस दवा का ज्यादा असर नहीं होता। दरअसल जो एम्फोटेरेसिन बी इस्तेमाल की जाती है, उसमें एक लिपोसोमल एम्फोटेरेसिन बी आती है। इस दवा को म्यूकोरमाइकोसिस के उन मरीजों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है। इसका किडनी पर कोई असर नहीं पड़ता। अगर लिपोसोमल वर्जन ना भी हो तो नॉर्मल एम्फोटेरेसिन बी की डोज को कंट्रोल करके मरीज पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

डॉ. वर्मा का कहना है कि इस वक्त इस बात को लेकर खूब चर्चा हो रही है कि म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज में जो दवाएं इस्तेमाल की जा रही हैं, उससे किडनी की समस्याएं होने के काफी चांस हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है। जो व्यक्ति पहले से किडनी का मरीज है, अगर उसमें डोज को कंट्रोल कर लिया जाए, तो किसी तरह का रिस्क नहीं है। जो पहले से ही स्वस्थ है, उसे भी कोई असर नहीं पड़ेगा।

सांकेतिक तस्‍वीर

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