बोलने की आजादी, समलैंगिकता, सबरीमाला जैसे संवेदनशील मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दे चुके हैं चंद्रचूड़

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बोलने की आजादी, समलैंगिकता, सबरीमाला जैसे संवेदनशील मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दे चुके हैं चंद्रचूड़

बोलने की आजादी, समलैंगिकता, सबरीमाला जैसे संवेदनशील मुद्दों पर ऐतिहासिक फैसले दे चुके हैं चंद्रचूड़

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने आज देश के 50वें चीफ जस्टिस (CJI) के तौर पर शपथ लेकर कार्यभार संभाल लिया है। चीफ जस्टिस यू.यू. ललित का मंगलवार को कोर्ट में आखिरी दिन था। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश केंद्र को भेजी थी। आज जस्टिस चंद्रचूड़ ने पद की शपथ ली। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित का उत्तराधिकारी बनना आसान काम नहीं। मैं उनके लाए सुधारों को जारी रखूंगा। बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। उनका कार्यकाल दो साल का होगा। इस तरह उन्हें देश के बहुत मुश्किल मसलों पर फैसला देने के लिए उनके पास लंबा समय है। उनके कुछ फैसलों काफी सुर्खियों में रहे हैं, डालें एक नजर…

​पिता के दो फैसले पलटे

यह पहली बार है जब किसी चीफ जस्टिस के बेटे चीफ जस्टिस बने हैं।ज स्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ अपने पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उसी पद पर बैठ रहे हैं। उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक दो साल का रहेगा। बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने पिता के दिए दो फैसले पलटे हैं। साल 1985 में अडल्टरी के केस में तत्कालीन चीफ जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ की बेंच ने IPC की धारा 497 को बरकरार रखा था। साल 2018 में इस फैसले को पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने अडल्टरी लॉ यानी बेवफाई कानून को गैरसंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि यह कानून समानता के अधिकार का हनन है, जो महिला को पसंद के अधिकार से वंचित करता है। पिता की बेंच ने साल 1976 में शिवकांत शुक्ला बनाम एडीएम जबलपुर केस में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना था। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना। इस बेंच में डी.वाई चंद्रचूड़ भी थे। उनकी बेंच ने फैसला दिया कि निजता का अधिकार संविधान से मिली व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार में ही निहित है।

​‘असहमति चमकदार लोकतंत्र की पहचान’

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28 सितंबर 2018 को जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने एक अहम फैसले में कहा था कि असहमति चमकदार लोकतंत्र की पहचान है। अगर कोई आवाज विरोध में उठती है तो उसे दबाया नहीं जा सकता। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि किसी व्यक्ति ने कोई मुद्दा दृढ़ता से उठाया है, हो सकता है वह अलोकप्रिय हो लेकिन इसका अधिकार संविधान के तहत मिला है। उन्होंने साफ किया कि अगर असहमति प्रतिबंधित फील्ड में हो और इससे हिंसा होती हो तो फिर असहमति, विचारधारा की अभिव्यक्ति नहीं रह जाती। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है।

​सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत

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सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 बनाम एक के बहुमत से फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने एक मत से हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दी। जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने असहमति जताई थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि धर्म की आड़ में महिलाओं को पूजा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

​समलैंगिकता अपराध नहीं

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6 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसले में कहा था कि धारा-377 के तहत दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है। इस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया और इसे समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया था। इस फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ शामिल थे।

​अयोध्या में राम मंदिर का मामला

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9 नवंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर 70 साल तक चली कानूनी लड़ाई और 40 दिन तक मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुनाया। विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2.77 एकड़ की विवाद वाली जमीन पर ही राम मंदिर का निर्माण होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले एक मत से पांचों जज ने दिया लेकिन एक जज ने अलग से भी अपना से मत व्यक्त किया था। बहुमत के फैसले का हिस्सा जस्टिस चंद्रचूड़ भी थे।

​गर्भपात कानून में मैरिटल रेप को माना

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29 सितंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा था कि प्रजनन महिला का अधिकार है और अपने शरीर पर उसकी स्वायत्तता है। शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी थी कि सभी महिलाएं (विवाहित और अविवाहित) 24 हफ्ते तक नियम के तहत सेफ प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन की हकदार हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप के दायरे में मैरिटल रेप भी आएगा।

​जस्टिस चंद्रचूड़ ने डीयू से किया है लॉ, हार्वर्ड से LLM

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जस्टिस चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उनके पिता वाई. वी. चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। मां प्रभा क्लासिकल म्यूजिशियन थीं। डीवाई चंद्रचूड़ सेंट कोलंबस से स्कूल पास किया और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफंस से उन्होंने इकनॉमिक्स और मैथ में ग्रैजुएशन किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से लॉ किया है। इसके बाद हार्वर्ड से 1983 में एलएलएम किया। इसके बाद वकालत की और 1998 में सीनियर एडवोकेट बने। इसके बाद वह अडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाए गए। 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस बने। 31 अक्टूबर 2013 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया। जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को भारत के चीफ जस्टिस बनेंगे।

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