बॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने का असल कारण क्या है? सीमा पहवा ने खोली पोल

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बॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने का असल कारण क्या है? सीमा पहवा ने खोली पोल

बॉलीवुड फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने का असल कारण क्या है? सीमा पहवा ने खोली पोल

सीमा पाहवा ने अपनी बेहतरीन ऐक्टिंग से दर्शकों को एंटरटेन भी किया है और समाज की हकीकत से भी रूबरू करवाया है। आंखों देखी, बरेली की बर्फी, बाला जैसी तमाम फिल्मों का हिस्सा रहीं अदाकारा रियलिस्टिक सिनेमा पर ज्यादा जोर देती हैं। उनका सपना है कि सिनेमा एक रूप में विकसित हो, जहां काम अच्छा हो और पैसा भी। ‘हम लोग’ की बड़की बीते दिनों नजाकत और नफासत के शहर लखनऊ से मुखातिब हुईं। यहां उन्होंने थिएटर, रियलिस्टिक सिनेमा, फिल्में ना चलने की वजह सहित कई मुद्दों पर बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखी।

थिएटर आगे बढ़ने की नींव है
ज्यादातर एक्टर्स थिएटर से ही शुरुआत करते हैं लेकिन उनकी आंखें फिल्मों की तरफ होती हैं, जो कि बहुत अजीब सी बात है। थिएटर में करियर बनाना लोगों के लिए बहुत मुश्किल होता है क्योंकि यहां पैसा कम मिलता है, जिस वजह से आप सर्वाइव नहीं कर पाते। इसमें भी हमारी गलती है क्योंकि हमने थिएटर को घर-घर पहुंचाने की कोशिश नहीं की। जो भी युवा इससे जुड़े उन्होंने इसे सिर्फ एक जरिया बनाया। आज थिएटर धीरे-धीरे एक अलग शक्ल पकड़ रहा है। यह एक अभिनेता के आगे बढ़ने की नींव है। उसे जारी रखने में कोई हर्ज नहीं है। अच्छी बात है कि नए कलाकार थिएटर की ओर ध्यान दे रहे हैं। इस फील्ड में हमने इतने साल गुजारे हैं तो बतौर कलाकार हमारा फर्ज बनता है कि कुछ ऐसा करें, जिससे लोग थिएटर से सीख सकें।

रियलिस्टिक सिनेमा को जिंदा रखना मुश्किल
फिल्मों पर बॉक्स ऑफिस का बहुत बड़ा हौव्वा बैठा दिया गया है। जो फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलतीं अक्सर लोग उन्हें देखने नहीं जाते हैं। वहीं, जब हम रियलिस्टिक सिनेमा बनाने जाते हैं तो इसको एक अलग कैटिगरी में डाल देते हैं। जैसे ही हम उसको अलग करते हैं, उसकी ऑडियंस हट जाती है। आम आदमी उसे देखने के लिए नहीं जाता क्योंकि उसे उन फिल्मों में चकाचौंध नजर नहीं आती और ना ही ड्रीम एक्टर्स होते हैं। इसी वजह से ऐसी फिल्मों को नुकसान हो जाता है। नुकसान के चलते ही प्रोड्यूसर ऐसी फिल्में बनाने से डरते हैं। रियलिस्टिक सिनेमा को जिंदा रखना वैसा ही मुश्किल है, जैसा कि थिएटर के साथ है। हालांकि, अब लोगों की रियलिस्टिक सिनेमा की तरफ दिलचस्पी बढ़ी है, उन्हें कुछ अलग देखने की चॉइस मिल गई है। अब लोग कमर्शियल फिल्मों को एकदम से रिजेक्ट करके ऐसी फिल्मों को सराहते हैं। ओटीटी के आने से दर्शकों तक ऐसी फिल्में पहुंची हैं।

लखनऊ तहजीब का शहर है। यहां जब भी आना हुआ है बड़ी खुशी मिली है। लोगों से बहुत प्यार मिलता है। शूटिंग के मामले भी ये शहर काफी कंफर्टेबल है। शहर का जायका भी बहुत बढ़िया है। मुझे यहां की चाट, पकौड़ी पसंद है। इसी तरह और भी कई चीजें हैं, जिनका लुत्फ उठाती हूं।

सीमा पहवा।

काम अच्छा हो और पैसा भी
थोड़ा समय जरूर लेगा लेकिन दौर बदलने वाला है। हमारी भी कोशिश यही रहेगी की लोगों को ज्यादा से ज्यादा अच्छा काम दिखा पाएं, ताकि वे हमारे रेग्युलर दर्शक बन जाएं। फिर हो सकता है कि वो हमारी फिल्में भी हॉल में देखने जाएं। ऑडियंस जानती है कि हमारी फिल्मों में नाच-गाना तो नहीं दिखेगा। अगर वो देखना है तो उसके लिए बड़े-बड़े फिल्ममेकर्स की फिल्में देखनी पड़ेंगी। मैं कमर्शल सिनेमा के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हूं। मुझे लगता है कि अगर वैसी फिल्में नहीं बनेंगी तो हमारी इंडस्ट्री भी नहीं चलेगी। देखना यही होगा कि हमारा सिनेमा एक रूप कैसे ले पाता है, जहां काम भी अच्छा हो और पैसा भी।

दर्शकों का दिल जीतने पर रहता है फोकस
बहुत कम ऐसा होता है कि किरदार चुनने के मामले में कलाकार के पास चॉइस रहती है। हमें इंडस्ट्री में सर्वाइव करना है तो काम तो करना ही है। कभी-कभार काम तो हमारे मन का नहीं होता लेकिन और चीजें अपने फेवर की होती हैं तो उसके लिए हां कर दी जाती है। कहीं-न-कहीं तो समझौता करना ही पड़ेगा। दिक्कतें तमाम होती हैं लेकिन हमारा फोकस ऑडियंस का दिल जीतने पर है और उम्मीद भी है कि हम इस पर खरे उतरेंगे। हमारा प्रयास रहेगा कि दर्शकों के बीच अच्छी फिल्में लेकर आएं।

फिल्में ना चलने की वजह खोजनी चाहिए
अगर ऑडियंस फिल्म नहीं देखने जाएगी तो कम बजट की फिल्में बनेंगी। हमें भी कम पैसा मिलेगा। जब हमारी फीस कम होगी तो हम भी काम करने से पहले एक बार सोचेंगे कि ये फिल्म क्यों की जाए। फिल्में ना चलने का दबाव एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर सब पर होता है। जो चीज बेहतर बनेगी उसकी तारीफ होगी। अगर साउथ की फिल्में अच्छा कर रही हैं तो जरूर उनकी प्रशंसा होनी चाहिए। अगर बॉलिवुड की फिल्में अच्छा नहीं कर पा रहीं तो हमें इसके पीछे की वजह तलाशनी चाहिए।
नोट: यह इंटरव्यू आपके लिए यश दीक्षित लेकर आए थे।