बेल मिलने के 11 दिन बाद भी जेल से नहीं छूट पाई खुशी दुबे, जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही कानपुर पुलिस!

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बेल मिलने के 11 दिन बाद भी जेल से नहीं छूट पाई खुशी दुबे, जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही कानपुर पुलिस!

बेल मिलने के 11 दिन बाद भी जेल से नहीं छूट पाई खुशी दुबे, जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही कानपुर पुलिस!


Kanpur News: खुशी दुबे को कोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन 11 दिन बाद भी खुशी जेल से बाहर नहीं आ सकी है। खुशी के वकील ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

 

कानपुर: बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के 11 दिन बाद भी रिहाई नहीं हो पाई है। खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का आरोप है कि पुलिस जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही है जिसकी वजह से खुशी की रिहाई नहीं हो पा रही है। खुशी के परिजन जब नौबस्ता और पनकी थाने जाते हैं, उनसे कहा जाता है कि अभी डाक नहीं मिली है, कह कर टरका दिया जाता है, जबकि डाक की ट्रैक रिपोर्ट बताती है कि 11 जनवरी को प्रपत्र थाने में डिलीवर हो चुके हैं।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने बीते 2 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराया था। बिकरू कांड के पांचवे दिन एसटीएफ ने हमीरपुर जिले में खुशी दुबे के पति अमर दुबे को एनकाउंटर में मार दिया था। वहीं, कोर्ट ने भी माना था कि बिकरू कांड के दौरान खुशी नाबालिक थी। नाबालिक होने कि वजह से खुशी को बालसुधार गृह में रखा गया था। जब खुशी बालिग हो गई तो उसे कानपुर देहात की माती जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।

कोर्ट के आदेश पर दाखिल की गई थीं जमानतें

खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से खुशी दुबे को बीते 4 जनवरी को जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने 6 जनवरी को डेढ़-डेढ़ लाख की जमानते दाखिल कर करने के निर्देश दिए थे। खुशी की बहन नेहा और पिता श्यामलाल तिवारी ने 09 जनवरी को दो जमानतें दाखिल कर दी थीं। इसके साथ ही किशोर न्याय बोर्ड में खुशी के भाई पूर्णेश और बहन नेहा ने 35-35 हजार की दो जमानतें दाखिल की गई थीं। कोर्ट ने जमानतों के सत्यापन की रिपोर्ट पनकी और नौबस्ता थाने से मांगी थी।

11 जनवरी को प्रपत्र पहुंच चुके हैं

शिवाकांत दीक्षित के मुताबिक, खुशी के पिता और भाई पनकी थाना क्षेत्र में रहते हैं, जबकि बहन नौबस्ता थाना क्षेत्र में रहती है। कोर्ट ने पनकी और नौबस्ता थाने से सत्यापन की रिपोर्ट मांगी थी। खुशी के पिता और भाई जब थाने जाकर पूछते हैं कि खुशी के प्रपत्र आए हैं क्या, इस पर थाने से यह कहकर टरका दिया जाता है कि अभी डाक नहीं मिली है, जबकि डाक की ट्रैक रिपोर्ट बताती है कि 11 जनवरी को प्रपत्र थाने पहुंच चुके हैं।
रिपोर्ट-सुमित शर्मा

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