बीजेपी के लिए अब बिहार खुला मैदान, मैनेज करने की मजबूरी खत्म, खुलकर खेलेगी भाजपा

54
बीजेपी के लिए अब बिहार खुला मैदान, मैनेज करने की मजबूरी खत्म, खुलकर खेलेगी भाजपा

बीजेपी के लिए अब बिहार खुला मैदान, मैनेज करने की मजबूरी खत्म, खुलकर खेलेगी भाजपा

जेडीयू के एनडीए से नाता तोड़ने के बाद बीजेपी के लिए बिहार अब खुला मैदान हो गया है। भले ही राज्य की सत्ता से बीजेपी को हाथ धोना पड़ा है, लेकिन आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जेडीयू और नीतीश कुमार को मैनेज करने की मजबूरी खत्म हो गई है। यानी कि अब बीजेपी राज्य में खुलकर खेल सकेगी। हाल ही में बीजेपी ने राज्य की 200 विधानसभा सीटों पर अपने नेताओं को भेजकर नरेंद्र मोदी सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की थी।

नीतीश कुमार की जेडीयू का साथ छूटने के साथ ही बिहार विधानसभा में बीजेपी अकेली विपक्षी पार्टी बन गई है। बीजेपी और एआईएमआईएम के अलावा सभी पार्टियों के एमएलए महागठबंधन की नई सरकार के साथ हैं। यहां तक कि एनडीए सरकार में शामिल जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा ने भी बीजेपी से नाता तोड़कर नीतीश के साथ महागठबंधन से हाथ मिला लिया।

नीतीश को मैनेज करने की मजबूरी खत्म

बिहार में एनडीए गठबंधन टूटने से भले ही बीजेपी को धक्का लगा है, लेकिन उसकी गठबंधन में शामिल नेताओं को मैनेज करने की मजबूरी खत्म हो गई है। आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने बिहार में खुला मैदान होगा। जैसा कि बीजेपी रणनीति बना रही है, वह बिहार की अधिकतर सीटों पर अकेले चुनाव लड़ सकेगी। 

2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मैनेज करने के चलते बीजेपी को अपनी आधी सीटें कुर्बान करनी पड़ी थी। बिहार की 40 में से बीजेपी 17 सीटों पर ही लड़ी थी। जबकि इतनी सीटें उसने गठबंधन में शामिल जेडीयू को दी थीं। नतीजा ये रहा कि 2014 में महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ते हुए जहां जेडीयू ने महज दो सीटें जीती थीं, वहीं 2019 में जीत का आंकड़ा बढ़कर 16 पहुंच गया।

बीजेपी नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी लहर में एनडीए के पक्ष में एकतरफा वोट पड़े और जेडीयू को इसका फायदा मिल गया। कुछ नेता जेडीयू को बीजेपी के बराबर सीटें देने पर भी सवाल उठा रहे थे। 

नीतीश कुमार ने BJP से छीनी महाराष्ट्र की खुशी, JDU-RJD गठजोड़ के आगे 2024 में भी आसान नहीं होगी राह

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की तैयारी

बीजेपी की बात करें तो वह बिहार में अकेले खुद के दम पर जीतने की कवायद में जुटी है। लोकसभा चुनाव 2024 बिहार की राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। यहां एक बार फिर 2014 वाली स्थिति बन गई है। एक तरफ नीतीश की जेडीयू, तेजस्वी की आरजेडी, कांग्रेस और सभी वाम दल हैं। वहीं, बीजेपी कुछ छोटे दलों के साथ मैदान में उतरने वाली है। बीजेपी के पास अब भी पशुपति पारस की लोजपा और चिराग पासवान की लोजपा रामविलास का साथ है। यानी कि अगले चुनाव में बीजेपी के सामने किसी बड़ी लोकल पार्टी को मैनेज करने का झंझट नहीं होगा। कमोबेश यही स्थिति 2025 के विधानसभा चुनाव में भी रह सकती है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News