बीजेपी का वादा, MCD चुनाव जीते तो खत्म होगी दिल्ली में पार्किंग की दिक्कत

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बीजेपी का वादा, MCD चुनाव जीते तो खत्म होगी दिल्ली में पार्किंग की दिक्कत

बीजेपी का वादा, MCD चुनाव जीते तो खत्म होगी दिल्ली में पार्किंग की दिक्कत

प्रस, नई दिल्ली: पार्किंग की समस्या के चलते आए दिन जाम और भीड़भाड़ खत्म करने का दावा बीजेपी ने किया है। दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के अनुसार 100 से अधिक मॉडर्न पार्किंग बनाई जा रही हैं। एमसीडी में दोबारा सत्ता में आने के बाद बीजेपी यह समस्या हमेशा के लिए खत्म कर देगी। उनका कहना है कि ग्रीन पार्क, चांदनी चौक, करोल बाग सभी जगहों पर पार्किंग बनाई जा रही हैं। देश के किसी भी शहर के मुकाबले दिल्ली में प्राइवेट गाड़ियों की संख्या अधिक है। करीब एक करोड़ से अधिक गाड़ियां यहां हैं। रोजाना 1200-1400 नई गाड़ियां दिल्ली की सड़कों पर आती हैं। ऐसे में ट्रैफिक जाम की समस्या रोजाना बढ़ रही है। इसलिए अधिक से अधिक पार्किंग बनाने की जरूरत है। समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार को अधिक से अधिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी करनी थी। लेकिन, सरकार उतनी बसें नहीं खरीद पाई। लिहाजा दिल्ली में पार्किंगों में गाड़ियों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
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एमसीडी चुनाव से पहले व्यापारियों की गोलबंदी हुई शुरू
दिल्ली के व्यापारी 2006 से दुकानों की सीलिंग और तोड़-फोड़ से परेशान हैं। अब एमसीडी चुनाव से पहले बाजारों के व्यापारियों ने गोलबंदी शुरू कर दी है। ट्रेडर्स चाहते हैं कि व्यापारियों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा, प्रदेश महामंत्री देवराज बावेजा ने कहा कि निगम चुनाव में किस पार्टी का समर्थन करेंगे, इस पर जल्द फैसला होगा। व्यापारी संगठनों से बात कर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। एमसीडी ने दिल्ली की 371 सड़कों को कमर्शल घोषित कर दिया। इसका प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजा, जो लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में कई दफा याद दिलाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने इस पर काम नहीं किया। कैट के महामंत्री आशीष ग्रोवर और सतेंद्र वधवा ने कहा कि सीलिंग की वजह से व्यापारी आर्थिक, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रहे हैं। किसी को इसकी चिंता नहीं है। 10 हजार से अधिक दुकानें सील पड़ी हैं। उन्हें डीसील कराने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। हजारों करोड़ रुपये पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क के नाम पर व्यापारियों से वसूले गए हैं। ये पैसा निगम के अन्य खर्चों में लगा दिया, जो मास्टर प्लान और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। अब दिल्ली को इन सभी समस्याओं से स्थायी समाधान केवल एमनेस्टी स्कीम दे सकती है।

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