बिहार में नीतीश के नये कुबने की लिस्ट जारी, केसी त्यागी गायब
नई लिस्ट आई सामने
फिलहाल, जेडीयू के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नई लिस्ट सामने आई है। जिसमें ललन सिंह ने 32 सदस्यीय नेताओं की नई कमेटी बनाई है। उसमें एक उपाध्यक्ष तो 22 नेता महासचिव बने हैं। लिस्ट में मंगनी लाल मंडल को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इस नई कमेटी में जेडीयू के 22 नेताओं को महासचिव का पद दिया गया है। इसमें पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय प्रधान महासचिव के सी त्यागी को जगह नहीं मिली है। त्यागी को जेडीयू की राष्ट्रीय कमेटी से गायब कर दिया गया है। विवादित बयानों के लिए विवादों में रहने वाले मौलाना गुलाम रसूल बलियावी को एक बार फिर जेडीयू का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया है।
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जेडीयू ने जारी की सूची
राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की सलाह पर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खान की तरफ से जारी की गई लिस्ट में इन नेताओं के नाम शामिल हैं। नीचे दिये गए नाम महासचिव के पद पर आसीन हुए हैं। जिसमें रामनाथ ठाकुर,अली अशरफ फातमी, संजय झा, गिरधारी यादव, संतोष कुमार कुशवाहा, रामसेवक सिंह, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, दसई चौधरी, गुलाम रसूल बलियावी , आरपी मंडल, विजय कुमार मांझी, भगवान सिंह कुशवाहा, कहकशां परवीन, राजकुमार शर्मा को महासचिव बनाया गया है।
राजीव रंजन को दोबारा जिम्मेदारी
सूची में शामिल विधायकों में पूर्व एमएलए राजीव रंजन को जनरल सेक्रेटरी के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है। यूपी के धनंजय सिंह को महासचिव बनाया गया है। कमर आलम, हरीश चंद्र पाटिल, अशफाक अहमद, इंजीनियर सुनील, हर्षवर्धन और राज सिंह मान को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि सात नेताओं को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है। सचिव की लिस्ट में रविंद्र प्रसाद सिंह, राजीव रंजन प्रसाद, संजय वर्मा, अनूप पटेल, दयानंद राय, संजय कुमार शामिल हैं, वहीं सांसद आलोक कुमार सुमन को कोषाध्यक्ष बनाया गया है।
केसी त्यागी का नाम कटा
केसी त्यागी ने 1974 में राजनीतिक मैदान में उतरे और 1984 में पहली बार हापुड़-गाजियाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़े। चार दशकों तक वे 1989 में अपना पहला संसदीय चुनाव जीतने वाले जनता दल के एक सक्रिय सदस्य रहे। जहां उन्होंने कांग्रेस के बुध प्रिया मौर्य को हराया। वे भाजपा के उम्मीदवार से आगामी चुनाव हार गए। अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर विभिन्न नेतृत्व पदों पर रहे और 2013 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। बाद में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा, लेकिन वे नीतीश के कुनबे के वफादार साथी बने रहे।