बिहार में नया जामताड़ा बन रहे नवादा, नालंदा और शेखपुरा, 13 महीने में हुए 44 करोड़ के साइबर फ्रॉड

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बिहार में नया जामताड़ा बन रहे नवादा, नालंदा और शेखपुरा, 13 महीने में हुए 44 करोड़ के साइबर फ्रॉड

बिहार में नया जामताड़ा बन रहे नवादा, नालंदा और शेखपुरा, 13 महीने में हुए 44 करोड़ के साइबर फ्रॉड

बिहार में नवादा, नालंदा और शेखपुरा जिले तेजी से साइबर ठगी के केंद्र के रूप में सामने आए हैं। झारखंड का जामताड़ा देशभर में साइबर ठगी के लिए कुख्यात है। अब बिहार में नालंदा का कतरीसराय, शेखपुरा का शेखोपुरसराय और नवादा का कासीचक, वारिसलीगंज एवं पकरीबरावां नया जामताड़ा बनते जा रहे हैं। इन स्थानों पर हर महीने चार से पांच दिन दूसरे राज्यों की पुलिस किसी न किसी साइबर ठग की तलाश में आती रहती है। बीते 13 महीने के भीतर यहां से 44 करोड़ रुपये से ज्यादा के साइबर फ्रॉड हुए।

इन इलाकों में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, तेलंगाना, दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु की पुलिस के आने का सिलसिला जारी है। इस साल जनवरी से अब तक की स्थिति पर नजर डालें तो कई लोगों से ठगी कर करोड़ों जमा करने वाले बड़े साइबर ठग पकड़े जा चुके हैं। इनकी साइबर ठगी के तौर-तरीके भी समय के साथ तेजी से बदलते जा रहे हैं। 

ऑनलाइन ठगी के बदल रहे तरीके

फोन पर ओटीपी या बैंक विवरण पूछकर साइबर ठगी करने के तरीके अब पुराने हो गए हैं। लोग इसके प्रति सचेत हो गए हैं। अब छद्म दुनिया के ये ठग फर्जी कार्ड और वेबसाइट बनाकर ठगी करने के हथकंडे अपनाने लगे हैं। पिछले महीने कतरीसराय के गंगापुर गांव के रहने वाले आकाश कुमार नामक ठग को तेलंगाना पुलिस गिरफ्तार कर ले गई। उसने फर्जी वेबसाइट बनाकर एक नामी कार कंपनी की एजेंसी दिलाने के नाम पर मुंबई के दो लोगों से 55 लाख और चेन्नई के एक व्यक्ति को पेट्रोल पंप दिलाने के नाम पर 30 लाख रुपये की ठगी की थी। 

गूगल पर सर्च करने पर सबसे ऊपर यही वेबसाइट आती थी। वारिसलीगंज (नवादा) के चांदनी चौक इलाके से इसके ठिकाने पर जब छापेमारी की गई तो दो करोड़ नगद, हीरे की अंगूठी, दर्जनों सिम कार्ड समेत कई चीजें बरामद की गईं। नवादा बाजार से नीतीश कुमार नाम के एक शख्स को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस पर नई दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में भी साइबर अपराध के मामले दर्ज हैं। 

यहीं से आलोक को महाराष्ट्र पुलिस ने मर्चेंट नेवी में नौकरी दिलाने के नाम पर एक व्यक्ति से ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। राजस्थान के एक जज से ठगी करने के एक आरोपित को जयपुर पुलिस यहां से पकड़कर ले गई है। नवादा में कुछ महीने पहले एक खेत से 8 से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पता चला कि इन युवाओं की साइबर ठगी की पाठशाला चल रही थी।

कुछ दिनों पहले पटना के पत्रकार नगर से शेखपुरा व मानपुर के रहने वाले ठगों को दबोचा गया था। दीघा इलाके से विदेशों से सॉफ्टवेयर बनाने के नाम पर डॉलर में ठगी करने वाले हाईटेक ठग को गिरफ्त में लिया गया। पश्चिम बंगाल के रहने वाले गिरोह के तीन गिरफ्तार हो चुके हैं। सूबे में 13 महीनों में 44 करोड़ 82 लाख की ठगी की गई। मगर अपराधियों से महज ढाई करोड़ की रिकवरी हुई। 

पश्चिम बंगाल से लाते हैं सिम कार्ड

साइबर ठग ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए जिस सिम कार्ड का प्रयोग करते हैं, उसे वे पश्चिम बंगाल से लाते हैं। यहां के मालदा, 56 परगना, दिनाजपुर, कोलकाता के कुछ बाहरी इलाकों से बांग्लादेशी नागरिक आते हैं। वे अपने पते पर सिम कार्ड खरीदकर कुछ दिन उसका उपयोग करते हैं। इसके बाद उसे स्थानीय दुकानदारों को बेचकर वापस चले जाते हैं। ये सिम कार्ड उनके नाम-पते पर ही होते हैं। आसानी से पकड़े न जाएं, इसलिए ये साइबर ठग इन सिम कार्ड को खरीदकर इसका उपयोग ठगी में करते हैं। इसके अलावा एक फर्जी आईडी पर दो या तीन सिम निकालकर भी ऐसे कारनामों को अंजाम देते हैं।

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13 महीने में 44.82 करोड़ की ठगी, रिकवरी महज ढाई करोड़

बिहार में अगस्त, 2021 से सितंबर 2022 तक लोगों से 44 करोड़ 82 लाख से अधिक रुपये की ठगी की गई। इसमें पुलिस की साइबर विंग सिर्फ दो करोड़ 56 लाख 92 हजार रुपये ही वापस करा पाई है। लोगों की शेष राशि अटकी हुई है। ये ठगी एटीएम कार्ड जालसाजी से लेकर ऑनलाइन फर्जीवाड़ा, फर्जी लेनदेन समेत अन्य तरीकों से की गई है। इससे संबंधित 8 हजार 962 शिकायतें दर्ज करायी गई हैं। पिछले पांच साल में साइबर फ्रॉड से जुड़ीं 35 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। वर्ष 2013-14 के बाद से साइबर ठगी के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। वहीं, बड़ी संख्या में ऐसे मामले थानों में दर्ज भी नहीं हो पाते हैं।

यह है जामताड़ा मॉडल

झारखंड में जामताड़ा एक छोटा-सा स्थान है, लेकिन यह साइबर अपराधियों का हब है। खासकर बैंकिंग फ्रॉड या विभिन्न तरकीबों को आजमाकर ऑनलाइन पैसे की ठगी करने का यह मुख्य केंद्र रहा है। यहां से मुख्यत फोनकर या फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर लोगों से उनके बैंक के अलावा क्रेडिट या डेबिट कार्ड का विवरण लेकर ठगी की जाती है। एटीएम कार्ड की क्लोनिंग, एटीएम मशीन में छेड़छाड़ करके पैसे की निकासी करने का तरीका यहीं का ईजाद किया हुआ है। यहां इस तरह के दर्जनों गिरोह हैं, जो चौबीस घंटे इसी काम में लगे रहते हैं। लोगों को कमीशन के आधार पर इस काम के लिए बहाल किया जाता है। बैंकिंग और एटीएम ठगी के इसी मॉडल को बाद में कतरीसराय समेत अन्य स्थानों के ठगों ने अपनाया। जामताड़ा में जब पुलिस की दबिश काफी बढ़ी तो यहां के कई गिरोह कतरीसराय और नवादा के कुछ स्थानों की तरफ शिफ्ट हो गया। यहीं से इसने अपना धंधा शुरू कर दिया।

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कतरीसराय के मायापुर गांव से हुई शुरुआत

गया के कतरीसराय के मायापुर गांव से साइबर ठगी की शुरुआत मानी जाती है। पहले यहां पोस्टकार्ड के जरिये लोगों को सफेद दाग, सेक्सवर्द्धक दवाओं के नुक्से भेजकर ठगी की जाती थी। इसके बाद चेहरा पहचाने-इनाम पाएं, फर्जी केबीसी गेम, फोन पर पासवर्ड पूछने जैसे कई हथकंडों के जरिये ठगी हुई। समय के साथ इसका स्वरूप बदलता गया और पिछले 8 से 9 वर्षों के दौरान अब यह आधुनिक तरीकों से लैस साइबर अपराध में तब्दील हो गया है।

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