बिहार, बालू और वर्चस्व की लड़ाई का ‘गुट’बाजी कनेक्शन !

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बिहार, बालू और वर्चस्व की लड़ाई का ‘गुट’बाजी कनेक्शन !

बिहार, बालू और वर्चस्व की लड़ाई का ‘गुट’बाजी कनेक्शन !

पटना : नदी के गर्भ में ‘पीला सोना’ यानि बालू। नदी के चारों ओर बालू के रूप में पसरी सुनहरी चादर। चादर पर कब्जे के लिए स्थानीय बालू माफिया में चलने वाली वर्चस्व की लड़ाई। खूनी गुटबाजी। खुद को सुपर साबित करने की होड़। जी हां, ये पटना से सटे पालीगंज के लिए आम बात है। जहां आए दिन बात-बात पर दो गुट हथियार लेकर आमने-सामने होते हैं। उसके बाद किसी की गोद सुनी होती है। किसी का सुहाग उजड़ता है। बाकी रह जाती है बालू की भूख। जो कभी दोनों गुटों को शांत नहीं रहने देती।

बालू के अवैध खनन की अंतहीन कहानी
बालू के अवैध खनन के खेल में आधिपत्य की जंग प्रमुख होती है। एक तरफ सरकार की ओर से बालू के खनन और उठाव पर रोक है। माफिया ऐसा नहीं मानते। उनके लिए बालू पर कब्जा स्टेट्स सिंबल की तरह है। जिसके लिए दोनों गुट मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। पालीगंज में ऐसे ही दो गुट हैं। श्रीराय और सिपाही राय गुट। बिहटा और मनेर में बिखरे अवैध सोने पर इन दोनों गुटों का कब्जा है। एक मुट्ठी बालू भी बिना इनकी इजाजत नहीं उठ पाता है।

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वर्चस्व के संघर्ष में जाती है मजदूरों की जान

दोनों गुट बालू पर वर्चस्व कायम करने के लिए मजदूरों की जिंदगी से भी खेलते हैं। इन दोनों गुटों में आए दिन गोलीबारी की घटना आम बात है। इलाके में गोली की आवाज सुनने के बाद कोई बच्चा चौंकता नहीं है। लोग अपनी दिनचर्या में लगे रहते हैं। उनके लिए गोली चलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। ये स्थिति तब है, जब पूरी सरकार इस इलाके के बगल में विराजती है। हाल के दिनों में मनेर के सुवरमरवा और बिहटा का अमनाबाद बालू घाट चर्चा के केंद्र में रहा। इन दोनों घाटों पर आए दिन गोलीबारी होती रहती है।

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बालू में दबा दिये जाते हैं मजदूरों के शव
सिपाही गुट की ओर से हाल में वर्चस्व को लेकर गोलीबारी हुई थी। जिसमें कई लोग मरे थे। स्थानीय लोग नाम नहीं बताने की शर्त पर कहते हैं। गोलीबारी में लोग मरते हैं। उनके शवों को दोनों गुट गायब कर देता है। बालू में गाड़ देता है। ग्रामीण मानते हैं कि प्रशासन सिर्फ बालू की खुदाई करे, तो नरकंकाल के ढेर लग जाएंगे। गोलीबारी के बाद मरने वालों के शव को सावधानी से ठिकाने लगाया जाता है। स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती। भनक लगने के बाद भी पुलिस का मुंह बंद कर दिया जाता है।

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वर्षों से जारी है वर्चस्व की लड़ाई
स्थानीय लोग डंके की चोट पर कहते हैं। बिहटा और मनेर इलाके में अवैध खनन को लेकर पुलिस बिल्कुल गंभीर नहीं है। पुलिस की नाक के नीचे धंधेबाज बालू लदे ट्रक और ट्रैक्टर निकाल ले जाते हैं। पुलिस देखती रह जाती है। पुलिस के नजरअंदाज करने के पीछे भी कई बातें हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बालू माफिया से डर और उनलोगों की पैरवी के आगे पुलिस नतमस्तक हो जाती है। गुरुवार को बिहटा थाना क्षेत्र के अमनाबाद से खबर आई कि श्रीराय गुट और सिपाही राय का गुट एक तीसरे गुट से टकरा गया। ये तीसरा गुट था। सूरज नारायण राय, शत्रुघ्न राय, मनोहर गोप और मुकेश सिंह गुट। तीनों गुटों में जमकर गोलीबारी हुई। इसी गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई।

मुहल्ले में दबंगई दिखाने के लिए मार दी गोली : मोतिहारी के मुहल्ले में दबंगई दिखाने के लिए एक लड़के ने गोलीबारी कर दी। इसमें दो युवकों को गोली लगी है। जिसमें एक का इलाज मोतिहारी के सदर अस्पताल में किया जा रहा, जबकि दूसरा निजी अस्पताल में भर्ती है। दोनों युवकों को गोली पैर में लगी है। घटना मोतिहारी नगर के गौरीशंकर मिडिल स्कूल के बगल में ठाकुरबाड़ी मुहल्ले की है। घटना की पूरी तस्वीर सीसीटीवी में कैद हो गई है। नगर थाने की पुलिस ने युवक को नशे की हालत में घर से गिरफ्तार किया। लाइसेंसी रिवॉल्वर को बरामद किया गया। बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों से राजन नाम का युवक पड़ोसियों पर दबंगई दिखाने के लिए मारपीट और गोली मारने की धमकी दे रहा था। जिसके खिलाफ पीडित व्यवसायी परिवार ने 18 सितंबर को नगर थाना पुलिस को आवेदन दिया था। नगर निगम चुनाव में व्यस्तता बताते हुए पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

पुलिस का होता है रटा-रटाया जवाब
ग्रामीणों ने NBT को बताया कि ये कोई नई बात नहीं है। गुरुवार को तड़के दो गुट पहले आपस में टकरा गए। इस गोलीबारी में मरने वाले सभी मजदूर हैं। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस सिर्फ बड़ी घटना होने के बाद इलाके में आती है। जब मरने वालों की संख्या एक से ज्यादा हो। वहीं स्थानीय थानाध्यक्ष के सिंह ने का रटा-रटाया जवाब रहा। उन्होंने कहा कि गोलीबारी में मजदूरों के मरने की सूचना मिली है। जांच की जा रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक अमनाबाद बालू घाट पर सिपाही राय गुट और सूरज नारायण गुट एक दूसरे से कम नहीं हैं। दोनों गुट कभी पीछे नहीं हटते हैं। चाहें कितनी भी लाशें गिर जाए।

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