बिहार पॉलिटिक्सः PK का नया खुलासा, नीतीश कुमार मार्च 2022 में ही BJP को छोड़ने वाले थे, कारण भी बताया

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बिहार पॉलिटिक्सः PK का नया खुलासा, नीतीश कुमार मार्च 2022 में ही BJP को छोड़ने वाले थे, कारण भी बताया

बिहार पॉलिटिक्सः PK का नया खुलासा, नीतीश कुमार मार्च 2022 में ही BJP को छोड़ने वाले थे, कारण भी बताया


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बिहार की सियासत इन दिनों नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के सियासी दंगल से गर्म है। एक प्रकार से उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के लिए नई मुसीबत बन गए हैं  कुशवाहा पार्टी में अपना हिस्सा मांग रहे हैं। इस बीच नीतीश कुमार के पुराने करीबी रहे प्रशांत किशोर ने एक नया खुलासा कर उनकी टेंशन बढ़ा दी है। प्रशांत किशोर ने कहा है के नीतीश कुमार मार्च 2022 में ही एनडीए से गठबंधन तोड़ कर महागठबंधन बनाने की तैयारी कर ली थी  मार्च से लेकर अगस्त महीने तक बीजेपी को अंधेरे में रखा गया।

जनसुराज पदयात्रा के दौरान गोपालगंज में  प्रशांत किशोर ने कहा कि मार्च 2022 में ही दिल्ली में नीतीश कुमार  मिले थे। उन्होंने बताया था कि राजद के साथ मिलकर महागठबंधन बनाने जा रहे हैं। नीतीश कुमार यह मानते थे कि  भाजपा के साथ रहते हैं तो 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले भाजपा उन्हें सीएम पद से हटा देगी। कहा जाएगा कि बड़ी पार्टी होने के नाते अब हमारी पार्टी का मुख्यमंत्री होगा। इसलिए नीतीश कुमार ने 2025 तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सुरक्षित रहने के लिए आखिरकार अगस्त 2022 में बीजेपी से अलग हो गए और महागठबंधन के साथ चले गए। 

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प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने उन्हें भी महागठबंधन में आमंत्रित किया था।  2024 में दिल्ली में भाजपा की सरकार बन जाती तो बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा अपनी दावेदारी ठोक देती। इसका इल्म नीतीश कुमार को पहले से हो गया था। नीतीश कुमार ने सोचा किस प्रकार से 2025 तक उनकी सीएम की कुर्सी सुरक्षित हो जाए। इसलिए बीजेपी से किनारा कर लिया और राजद के साथ हो गए। 

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पीके ने कहा कि मैं नीतीश कुमार के घर में रहा हूं और उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूं। वह कभी सीधी चाल नहीं चलते उनके हर एक कदम के पीछे सोची समझी रणनीति रहती है। पीके ने दावा किया कि लालू और नीतीश कभी एक साथ बैठकर बात नहीं करते। सार्वजनिक  रूप से भले ही वह साथ दिखते हो लेकिन मन से साथ नहीं हैं।  उन्होंने यह भी दावा किया महागठबंधन में 7 दल हैं और  उनमें एक भी नेता ऐसा नहीं है जो सातों दल को एक साथ बैठा कर नेतृत्व दे सके। नीतीश कुमार में यह काबिलियत कभी नहीं रही। इस वजह से महागठबंधन का राष्ट्रीय राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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