बिहार निकाय चुनाव: हाई कोर्ट के बहाने JDU और BJP नेता मार रहे एक दूसरे को ‘ताने’, आखिर अब जनता किसकी बात माने?

99
बिहार निकाय चुनाव: हाई कोर्ट के बहाने JDU और BJP नेता मार रहे एक दूसरे को ‘ताने’, आखिर अब जनता किसकी बात माने?

बिहार निकाय चुनाव: हाई कोर्ट के बहाने JDU और BJP नेता मार रहे एक दूसरे को ‘ताने’, आखिर अब जनता किसकी बात माने?

नीलकमल, पटना: पटना हाई कोर्ट में इसी महीने 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ लाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव में OBC आरक्षण पर रोक लगा दी है। पटना उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि OBC के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएंगे। इसके अलावा पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस कुमार की बेंच ने अपने फैसले में यह भी कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग मतदान की तारीख को आगे बढ़ाना चाहे तो वह बढ़ा सकता है।


याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह माना कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के EBC को आरक्षण दे दिया। पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार, तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण का अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित तीन जांच को पूरी नहीं कर लेती।

पटना हाई कोर्ट का फैसला BJP की साजिश का परिणाम : उपेंद्र कुशवाहा
पटना हाईकोर्ट की ओर से नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाए जाने के बाद जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने हाईकोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा निर्णय केंद्र सरकार और भाजपा की गहरी साजिश का परिणाम है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगर केंद्र के नरेंद्र मोदी की सरकार ने समय पर जातीय जनगणना करा लिया होता और आवश्यक संवैधानिक औपचारिकताएं पूरी कर ली होती तो आज यह नौबत नहीं आती।

‘पिछड़े और अति पिछड़ों के आंखों में धूल झोंक रही है बीजेपी’
उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि पटना हाई कोर्ट का नगर निकाय में ओबीसी के आरक्षण पर रोक लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन बीजेपी गलत बयानी कर फिर से पिछड़े और अति पिछड़ों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कोर्ट कह रहा है कि आयोग बना कर पिछड़ापन का आंकड़ा बताइए और उसका अनुपात बताइए। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि इसके लिए तो जातीय जनगणना की जरूरत है और संविधान के हिसाब से यह काम केंद्र सरकार ही करा सकती है, राज्य सरकार नहीं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राज्य सरकार जो जनगणना कराती है या करवा रही है, उसका उपयोग सिर्फ सरकारी योजनाओं को बताने में ही हो सकता है। संवैधानिक मामले में अगर सरकार इसका इस्तेमाल करती है तो कल फिर कोई कोर्ट चला जाएगा और न्यायालय की ओर से यह कहा जाएगा कि यह संवैधानिक नहीं है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वहां भी तो कॉलेजियम सिस्टम ही है।

आरक्षण के सवाल पर बीजेपी के खिलाफ आंदोलन
जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण पर केंद्र सरकार और बीजेपी के साजिश के खिलाफ उनकी पार्टी आंदोलन करेगी। उपेंद्र कुशवाहा ने सुशील कुमार मोदी के बयान को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कथित डेडीकेटेड कमीशन के पास जातीय जनगणना के बिना डाटा कहां से आता है या आएगा। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सरकार के पास 1931 वाला ही आंकड़ा है, जिसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कई बार मानने से इनकार कर चुका हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने सुशील कुमार मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि आप अपने आलाकमान से कहिए इधर उधर की बात नहीं कर जातीय जनगणना जल्द से जल्द कराएं।

नीतीश कुमार हैं दोषी : सुशील मोदी
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि यह नीतीश कुमार की ज़िद का ही परिणाम है कि पटना हाई कोर्ट को नगर निकाय चुनावों में ओबीसी और EBC आरक्षण रोकने का आदेश देना पड़ा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट के निर्देश को नीतीश कुमार ने नकार दिया था। सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार से तत्काल चुनाव रोकने की मांग भी की है। सुशील मोदी ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना का नगर निकाय चुनाव से कोई सम्बन्ध नहीं है। कोर्ट का कहना था कि एक डेडिकेटेड कमीशन बना कर उसकी अनुशंसा पर आरक्षण दें। लेकिन नीतीश कुमार अपनी जिद पर अड़े रहे।

तारकिशोर प्रसाद बना रहे थे रोस्टर
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बेतिया सांसद डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि नगर निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, वह यह बताता है कि आज तक बिहार में जितने भी पिछड़े और अतिपिछड़ों को आरक्षण मिला है, वह सब भारतीय जनता पार्टी के बदौलत था। डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि एनडीए की सरकार रहते हमारे उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद इसके लिए रोस्टर बना रहे थे। लेकिन साजिश के तहत नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने एक दिन बाद ही निकाय चुनाव का नोटिफिकेशन निकाल दिया। उसी का नतीजा है कि हाईकोर्ट में आज बिहार सरकार और बिहार की जनता की भारी फजीहत हुई है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News