बिहार : ‘क्या केवल विपक्षी पार्टियां ही भ्रष्ट हैं? बीजेपी नेताओं के खिलाफ बुलडोजर चलवाए नीतीश सरकार’
पटना : बिहार की महागठबंधन सरकार प्रदेश में भाजपा नेताओं के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल करे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने पटना में ये बातें कही। पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंजान ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। अंजान ने कहा, ‘क्या केवल विपक्षी पार्टियां ही भ्रष्ट हैं। भाजपा का कोई आदमी बेईमान नहीं है। सभी दूध के धुले हैं। मेरी मांग है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एसआईटी का गठन कर भाजपा नेताओं की अवैध संपत्ति के बारे में एक श्वेत पत्र जारी करें।’
बीजेपी नेताओं की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की अपील
अतुल कुमार अंजान ने कहा कि ‘प्रदेश की महागठबंधन सरकार भाजपा नेताओं के जो भी अवैध निर्माण और संपत्तियां हैं, उनपर बुलडोजर चलवाए। ये बुलडोजर सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही थोड़े ही चलेगा और राज्यों में भी चलना चाहिए ताकि लोगों के बीच विश्वास पैदा हो।’ अगर नीतीश और तेजस्वी बुलडोजर नहीं चलवाते हैं तो इसका मतलब होगा कि उनके अंदर नैतिक साहस की कमी है।
सरकार में शामिल होने से परहेज नहीं- अतुल कुमार अंजान
यह पूछे जाने पर कि नवगठित महागठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाकपा इस सरकार में शामिल होगी, अंजान ने कहा, ‘हमारी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी ने ये फैसला किया है कि अगर कोई सम्मानजनक स्थिति होगी तो हमें उसमें (सरकार में शामिल होने में) कोई परहेज नहीं है।’ साथ ही उन्होंने जोड़ा, ‘लेकिन इसके कारण उनकी एकता (महागठबंधन सरकार में शामिल अन्य दल राजद, जदयू और कांग्रेस) में कोई कमी आ रही हो तो वैसे में हम उनके लिए घातक नहीं बनना चाहते।’
‘दूसरे वाम दलों के रुख से हमारा कोई लेना-देना नहीं है’
वामदलों में सबसे अधिक संख्या 12 विधायकों वाले भाकपा (माले) के सरकार में शामिल नहीं होने के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर अंजान ने कहा, ‘बिहार में अन्य वाम दलों के रुख से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘भाकपा देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी है और बिहार विधान परिषद और राज्यसभा में हमारा प्रतिनिधित्व नहीं है। विधानसभा में भाकपा के दो विधायक हैं और बिहार विधान परिषद में भी दो सदस्य हैं।’ उन्होंने कहा, ‘नीतीश और तेजस्वी को सभी दलों से बात करके अगर उनमें से कोई सरकार में आना चाहते हैं तो उन्हें अपने साथ लेना चाहिए क्योंकि दूसरे दलों से आने वालों से सरकार अनुभव से लैस होगी।’
‘बिहार की घटना ने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदल दी है’
बिहार के मुख्यमंत्री ने 16 अगस्त को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। बिहार कैबिनेट में कुल 31 मंत्रियों को शामिल किया गया था। राजद को 16 मंत्री पद मिले, जदयू के 11 और कांग्रेस से दो मंत्री बनाए गए। बिहार मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 36 मंत्री हो सकते हैं। राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन का स्वागत करते हुए भाकपा नेता अंजान ने कहा , ‘इस राजनीतिक घटना ने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदल दी है। ये अत्यंत आवश्यक था। भाजपा जिस तरह से राज्य सरकारों को तोड़ती जा रही थी, उससे हमारे जनतंत्र पर खतरा बढ़ता जा रहा है।’
नीतीश के पीएम उम्मीदवार पर सवाल टाल गए अंजान
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘बिहार के इस राजनीतिक परिवर्तन का राष्ट्रव्यापी संदेश गया है। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार हमारे संविधान, लोकतंत्र, देश की गंगा-जमुनी संस्कृति पर लगातार हमला कर रही है। भाजपा देश के आमलोगों, श्रमिकों के अधिकारों को छिनती जा रही है। इस प्रकार तानाशाही थोपने की कोशिश कर रही है।’ नीतीश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर उभरने के बारे में पूछे गए प्रश्नों को हालांकि अंजान ने ये कहते हुए टाल दिया कि ‘आप पुल तब पार करते हैं, जब उस तक पहुंचते हैं। बच्चे के जन्म से पहले ही नामांकरण की बात नहीं करनी चाहिए।’
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अतुल कुमार अंजान ने कहा कि ‘प्रदेश की महागठबंधन सरकार भाजपा नेताओं के जो भी अवैध निर्माण और संपत्तियां हैं, उनपर बुलडोजर चलवाए। ये बुलडोजर सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही थोड़े ही चलेगा और राज्यों में भी चलना चाहिए ताकि लोगों के बीच विश्वास पैदा हो।’ अगर नीतीश और तेजस्वी बुलडोजर नहीं चलवाते हैं तो इसका मतलब होगा कि उनके अंदर नैतिक साहस की कमी है।
सरकार में शामिल होने से परहेज नहीं- अतुल कुमार अंजान
यह पूछे जाने पर कि नवगठित महागठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाकपा इस सरकार में शामिल होगी, अंजान ने कहा, ‘हमारी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी ने ये फैसला किया है कि अगर कोई सम्मानजनक स्थिति होगी तो हमें उसमें (सरकार में शामिल होने में) कोई परहेज नहीं है।’ साथ ही उन्होंने जोड़ा, ‘लेकिन इसके कारण उनकी एकता (महागठबंधन सरकार में शामिल अन्य दल राजद, जदयू और कांग्रेस) में कोई कमी आ रही हो तो वैसे में हम उनके लिए घातक नहीं बनना चाहते।’
‘दूसरे वाम दलों के रुख से हमारा कोई लेना-देना नहीं है’
वामदलों में सबसे अधिक संख्या 12 विधायकों वाले भाकपा (माले) के सरकार में शामिल नहीं होने के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर अंजान ने कहा, ‘बिहार में अन्य वाम दलों के रुख से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘भाकपा देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी है और बिहार विधान परिषद और राज्यसभा में हमारा प्रतिनिधित्व नहीं है। विधानसभा में भाकपा के दो विधायक हैं और बिहार विधान परिषद में भी दो सदस्य हैं।’ उन्होंने कहा, ‘नीतीश और तेजस्वी को सभी दलों से बात करके अगर उनमें से कोई सरकार में आना चाहते हैं तो उन्हें अपने साथ लेना चाहिए क्योंकि दूसरे दलों से आने वालों से सरकार अनुभव से लैस होगी।’
‘बिहार की घटना ने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदल दी है’
बिहार के मुख्यमंत्री ने 16 अगस्त को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। बिहार कैबिनेट में कुल 31 मंत्रियों को शामिल किया गया था। राजद को 16 मंत्री पद मिले, जदयू के 11 और कांग्रेस से दो मंत्री बनाए गए। बिहार मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 36 मंत्री हो सकते हैं। राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन का स्वागत करते हुए भाकपा नेता अंजान ने कहा , ‘इस राजनीतिक घटना ने राष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदल दी है। ये अत्यंत आवश्यक था। भाजपा जिस तरह से राज्य सरकारों को तोड़ती जा रही थी, उससे हमारे जनतंत्र पर खतरा बढ़ता जा रहा है।’
नीतीश के पीएम उम्मीदवार पर सवाल टाल गए अंजान
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘बिहार के इस राजनीतिक परिवर्तन का राष्ट्रव्यापी संदेश गया है। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार हमारे संविधान, लोकतंत्र, देश की गंगा-जमुनी संस्कृति पर लगातार हमला कर रही है। भाजपा देश के आमलोगों, श्रमिकों के अधिकारों को छिनती जा रही है। इस प्रकार तानाशाही थोपने की कोशिश कर रही है।’ नीतीश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर उभरने के बारे में पूछे गए प्रश्नों को हालांकि अंजान ने ये कहते हुए टाल दिया कि ‘आप पुल तब पार करते हैं, जब उस तक पहुंचते हैं। बच्चे के जन्म से पहले ही नामांकरण की बात नहीं करनी चाहिए।’