बिहार के राजनीतिक दलों का प्रेम और ‘आनंद ही आनंद’, प्यारे ‘मोहन’ के लिए ये प्यार क्या कहलाता है?

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बिहार के राजनीतिक दलों का प्रेम और ‘आनंद ही आनंद’, प्यारे ‘मोहन’ के लिए ये प्यार क्या कहलाता है?

बिहार के राजनीतिक दलों का प्रेम और ‘आनंद ही आनंद’, प्यारे ‘मोहन’ के लिए ये प्यार क्या कहलाता है?

नील कमल, पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ( Lalu Yadav ) के कभी बेहद करीबी माने जाने वाले बाहुबली नेता आनंद मोहन ( Anand Mohan ) शिवहर से सांसद भी रहे हैं। पैरोल पर जेल से बाहर आए आनंद मोहन ने इन 15 दिनों में अपनी बीमार मां को देखने के अलावा बेटी की सगाई के साथ बेटे का जन्मदिन मनाते हुए घर में ही समय बिताया। उनकी पैरोल 20 नवंबर को खत्म हो गई, लिहाजा उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया। आनंद मोहन के जेल जाने की खबर सुन हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ( HAM ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi ) ने ट्वीट कर कहा कि उन्हें आनंद मोहन के वापस जेल जाने का काफी दुख है। बता दें कि आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद ( Chetan Anand ) आरजेडी विधायक हैं।

जीतन राम मांझी का मन बहुत दुखी है
पूर्व सांसद आनंद मोहन 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद रविवार को वापस जेल भेज दिया गया। इस खबर को सुनकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा के आनंद मोहन के फिर से जेल जाने की खबर से उनका मन दुखी है। इतना ही नहीं, जीतन राम मांझी ने यह भी कहा कि लगता है अब उनके साथ अन्याय हो रहा है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने यह भी कहा कि वह और उनकी पार्टी पूरी तरह से आनंद मोहन और उनके परिवार वालों के साथ खड़ी है। जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग किया कि आनंद मोहन को जेल से रिहा किया जाए।

पशुपति पारस के पार्टी भी आनंद मोहन की रिहाई के पक्ष में
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन सरकार से पूर्व सांसद और सजायाफ्ता आनंद मोहन की जेल से रिहाई करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि नीतीश कुमार के समता पार्टी के काल में जिस कांड में आनंद मोहन को सजा सुनाई गई थी। खुद नीतीश कुमार भी आनंद मोहन को निर्दोष मानते हुए आंदोलन करने की बात करते थे। यहां तक कि उस कांड में आनंद मोहन के जेल जाने पर नीतीश कुमार के द्वारा उनके पक्ष में धरना भी दिया था।

नीतीश कुमार ने नहीं निभाया अपना वादा : RLJP
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानी परिवार से आने वाले आनंद मोहन जेल में 14 वर्ष से भी ज्यादा सजा की अवधि काट चुके हैं। नीतीश कुमार ने भी आनंद मोहन को जेपी आंदोलन के समय का पुराना साथी बताया था। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार ने महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर पटना के मिलर स्कूल के मैदान में जनसभा में आनंद मोहन की रिहाई की बात कही थी। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि नीतीश कुमार ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि जितनी चिंता आनंद मोहन की आपलोगों को है, उससे कहीं ज्यादा चिंता मुझे है। उस वक्त नीतीश कुमार ने यह वादा भी किया था कि वे आनंद मोहन की रिहाई के लिए लगे हुए हैं, लेकिन नीतीश कुमार के कहे अनुसार आज तक आनंद मोहन की रिहाई का नतीजा निकल कर सामने नहीं आया। श्रवण अग्रवाल ने कहा कि बिहार को RJD के जंगलराज से मुक्त कराने के लिए रामविलास पासवान के साथ आनंद मोहन ने भी काफी संघर्ष किया था।

DM जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में सजायाफ्ता हैं आनंद मोहन सिंह
1994 में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की मुजफ्फरपुर में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस की इंक्वायरी में आनंद मोहन समेत कई लोगों पर भीड़ को उकसाने और गोपालगंज के डीएम की हत्या का आरोप लगाया गया था। सिविल कोर्ट ने इस मामले में आनंद मोहन समेत कई लोगों को इस केस में दोषी पाया और आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद आनंद मोहन के समर्थकों द्वारा निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

जब पटना के SP कुंदन कृष्णन से भी भीड़ गए थे आनंद मोहन
यह मामला सन 2006 का है। जब सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन एक केस के मामले में देहरादून की अदालत में पेश किया गया था। देहरादून की अदालत में पेश होने के बाद पटना पहुंचे आनंद मोहन को पटना रेलवे स्टेशन से सीधे सहरसा जेल रवाना होना था, लेकिन उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास ही स्थित एक होटल में रूकने की कोशिश की थी। जब पटना के तत्कालीन एसपी कुंदन कृष्णन को इस बात की जानकारी मिली तो वह पुलिस बल के साथ आनंद मोहन को गिरफ्तार करने रेलवे स्टेशन पहुंचे। इस दौरान आनंद मोहन के समर्थक पटना एसपी कुंदन कृष्णन से भिड़ गए। यहां तक कि खुद आनंद मोहन ने भी तत्कालीन पटना के एसपी कुंदन कृष्णन पर हाथ उठाने की कोशिश की थी। पटना जंक्शन पर हुए दोनों के बीच इस तरह के हाथापाई का वीडियो भी न्यूज चैनलों में भी खूब दिखाया गया था।

अचानक क्यों जाग रहा है आनंद मोहन के प्रति राजनीतिक दलों का प्रेम
डीएम हत्याकांड मामले में आजीवन जेल की सजा काट रहे आनंद मोहन को लेकर अचानक राजनीतिक दलों द्वारा उनकी रिहाई की मांग की जाने लगी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति जैसी पार्टी द्वारा आनंद मोहन को जेल से रिहा करने की मांग कोई नई नहीं है। इसके पहले भी राज्य सरकार से आनंद मोहन को जेल से रिहा करने की मांग कई राजनीतिक दल कर चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आनंद मोहन की रिहाई की मांग कर राजनीतिक दल 5 दिसंबर को होने वाले कुढ़नी उपचुनाव में भी फायदा उठाना चाहते हैं।

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