बिहार की मिट्टी गंवा रही उर्वरा शक्ति, किसानों के लिए चिंताजनक खबर; वैज्ञानिकों ने चेताया

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बिहार की मिट्टी गंवा रही उर्वरा शक्ति, किसानों के लिए चिंताजनक खबर; वैज्ञानिकों ने चेताया

बिहार की मिट्टी गंवा रही उर्वरा शक्ति, किसानों के लिए चिंताजनक खबर; वैज्ञानिकों ने चेताया

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बिहार के किसानों के लिए चिंताजनक खबर है। राज्य की मिट्टी की उर्वरकता तेजी से घटती जा रही है। फसलों के लिए जरूरी नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंग जैसे पोषक तत्वों की भारी कमी है। कृषि जानकारों की मानें तो रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बेतरतीब और जरूरत से अधिक उपयोग की वजह से मिट्टी की सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों की तरह ही हमारे खेतों की भी हालत हो जाएगी। खेती की जमीन बंजर या कम पैदावार देने वाली हो जाएगी।


बिहार सरकार ने कृषि के समग्र विकास के लिए कृषि रोडमैप बनाकर बड़ी पहल की। तीसरा रोडमैप जारी है, चौथे को लाने की कवायद चल रही है। इसके सार्थक परिणाम भी सामने आए हैं। राज्य में खाद्यान्न समेत फलों और सब्जियों की प्रति वर्ष रिकॉर्ड उपज हो रही है। मगर मिट्टी (मृदा) की गुणवत्ता को बरकरार रखने की नई चुनौती सामने आई है। 

राज्य की मिट्टी में बहुमूल्य पोषक तत्वों में प्रमुख नाइट्रोजन की मात्रा में 60 फीसदी, फास्फोरस में 45 फीसदी, पोटाश में 28 फीसदी, जिंक में 42 फीसदी, बोरोन में 18 और सल्फर में 24 फीसदी की कमी हो गई है। वैसे यह स्थिति लगभग पूरे देश में है। इसका खुलासा हाल में केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी मृदा की सेहत से संबंधित रिपोर्ट में भी की गई है। बिहार की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी ज्यादा पायी गई है। करीब 90 फीसदी क्षेत्रों की मिट्टी में इसकी कमी है। मिट्टी की आत्मा मानी जाने वाली जैविक कार्बन की तो 40 फीसदी तक कमी हो गई है। इसका सीधा असर सभी तरह के फसलों की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है।

इन जिलों में खेती पर ज्यादा असर

पूरे बिहार की मिट्टी में पोषक तत्वों का क्षरण सामान्य रूप से है। मगर मुजफ्फरपुर और पश्चिम चंपारण समेत कुछ अन्य स्थानों पर मिट्टी अत्याधिक क्षारीय या अमलीय हो गई है। इससे किसी चीज की खेती करना संभव नहीं हो रहा है। हालांकि विभाग के स्तर पर इसका तेजी से उपचार किया जा रहा है। संभावना है कि कुछ समय बाद यह ठीक हो जाएगी। अगर मिट्टी की सेहत को लेकर अभी से सचेत नहीं हुए, तो कई जिलों में ऐसी ही स्थिति हो जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 15 फीसदी मृदा की सेहत बेहद खराब हो गई है।

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सबौर कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार का कहना है कि मिट्टी में 17 से ज्यादा पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों के समुचित विकास के लिए जरूरी हैं। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश समेत छह बेहद प्रमुख पोषक तत्वों की उचित मात्रा मिट्टी में बनाए रखने की जरूरत है। इनकी कमी से बिहार में मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।

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