बिहार का सियासी पारा बढ़ाने पहुंचे ओवैसी, महागठबंधन के लिए क्यों हैं खतरा?, जानिए AIMIM की सीमांचल प्लानिंग

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बिहार का सियासी पारा बढ़ाने पहुंचे ओवैसी, महागठबंधन के लिए क्यों हैं खतरा?, जानिए AIMIM की सीमांचल प्लानिंग

बिहार का सियासी पारा बढ़ाने पहुंचे ओवैसी, महागठबंधन के लिए क्यों हैं खतरा?, जानिए AIMIM की सीमांचल प्लानिंग


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AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के सीमांचल में पहुंचने के बाद से बिहार का सियासी पारा भी बढ़ने वाला है। ओवैसी दो दिन के दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरान वो किशनगंज और पूर्णिया में पदयात्रा और जनसभाओं को संबोधित करेंगे। ओवैसी के इस दौरे से अगर सबसे ज्यादा किसी को खतरा है तो वो है महागठबंधन। वहीं बीजेपी भले ही इस दौरे को लेकर कुछ न बोले कि सियासी तौर पर फायदा उसी का होने वाला है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ओवैसी के सीमांचल दौरे को  मिशन बिहार के आगाज के तौर पर देखा जा रहा है। आखिर क्यों सीमांचल को ही ओवैसी ने चुना इसके पीछे भी कई कारण है। 

आखिर क्यों खास है सीमांचल?

सीमांचल में इससे पहले महागठबंधन की महारैली हुई थी। जिसमें सभी 7 सहयोगी दल भी शामिल हुए थे। जिसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया था। वहीं बीजेपी की ओर से अमित शाह ने भी इस इलाके में जनसभाएं की थी। दरअसल सभी को यहां मुस्लिम वोट बैंक दिखता है। क्योंकि इस इलाके में मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी है। ऐसे में कोई भी इतने बड़े वोट बैंक को हाथ से जाने नहीं दे सकता है। शायद यही वजह कि हर सियासी दल सीमांचल को लेकर काफी गंभीर रहता है। और अब तो सीमांचल के सियासी रण में ओवैसी भी कूद गए हैं। 

सीमांचल दौरे को लेकर क्या है ओवैसी की तैयारी

ओवैसी के सीमांचल दौरे को लेकर एक अहम वजह खोई हुई सियासी जमीन भी है। क्योंकि साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM के 5 विधायकों ने जीत दर्ज की थी। लेकिन उनमें से 4 विधायक पाला बदलकर आरजेडी के साथ हो लिए थे। जिसके चलते ओवैसी ने एक बार फिर से सीमांचल के अपने मिशन के आगाज का मन बनाया है। दो दिन के दौरे के दौरान ओवैसी 18-19 मार्च को सीमांचल के  क्षेत्रों में सभाएं करेंगे।  पहले दिन पूर्णिया के बायसी और डगरुआ में कार्यकर्ता सम्मेलन करेंगे। अमौर प्रखंड के खाड़ी घाट में भी उनकी जनसभा होगी। शाम को कोचाधामन प्रखंड के भट्टा हाट में सभा करेंगे।

रविवार यानी 18 मार्च को ओवैसी बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र के अलग-अलग स्थानों पर कार्यकर्ता सम्मेलन करेंगे। पोठिया प्रखंड के भेड़भेरी से खरखड़ी घाट तक पद यात्रा भी करेंगे। वहीं स्थानीय मुद्दों को लेकर ओवैसी जनता के बीच जाएंगे। AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान का कहना है कि उनके विधायकों को आरजेडी ने अपने पाले में कर लिया। उसका हिसाब लोकसभा चुनाव में पार्टी जरूर लेगी। वहीं ओवैसी के इस दौरे से कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है। 

फिर महागठबंधन के लिए खतरा बनेंगे ओवैसी

ओवैसी हमेशा महागठबंधन के लिए किसी खतरे से कम नहीं रहे। फिर चाहे वो विधानसभा चुनाव हों या फिर हाल में संपन्न हुए उपचुनाव। ओवैसी के चलते ही कुढ़नी और गोपालगंज में महागठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा था। और वजह थी मुस्लिमों के वोट में सेंध मारी। क्योंकि इन दोनों सीटों पर AIMIM के उम्मीदवार मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी में कामयाब रहे थे। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला था और महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बिहार के रण में ओवैसी की एंट्री से बीजेपी जरुर खुश है। 

मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी

बिहार की सियासत में मुस्लिम-यादव फैक्टर हमेशा से अहम रहा है। कही आरजेडी का वोट बैंक रहा मुस्लिम यादव अब बंट गया है। मुस्लिम के वोटबैंक में पहले जेडीयू सेंधमारी में सफल रही और रही सही कसर AIMIM ने पूरी कर दी है। अब भले आरजेडीा और जदयू महागठबंधन का हिस्सा है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था। जब मुस्लिम आरजेडी के समर्थक हुआ करते थे।

लेकिन जब नीतीश के नेतृत्व में जब एनडीए की सरकार आई तो  मुस्लिमों का रुझान जेडीयू की तरफ हो गया। और नीतीश उन्हें  अपने पाले में करने में कामयाब भी रहे। पहले पिछड़े मुसलमानों की पसमांदा श्रेणी बना कर उन्होंने उनको अपनी ओर खींचा किया। और अब कई योजनाओं और अपने काम से मुस्लिमों का समर्थन हासिल किया। फिलहाल तो 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन मजबूती से मैदान में है। आरजेडी और जदयू साथ-साथ है। ऐसे में देखना होगा कि 2020 का बदला का लेने में AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी कितना सफल हो पाएंगे?

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