बाढ़ के बाद अधिकारियों का भ्रष्टाचार झेलने को मजबूर हैं किसान, मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन | farmers facing corruption of lalitpur officials after flood people protest demanding compensation | Patrika News
तहसील महरौनी के अंतर्गत ग्राम दैलवारा की ग्रामीण एकजुट होकर कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे जहां पर उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जमकर धरना प्रदर्शन कर नारेबाजी की। ग्रामीणों का आरोप है कि 2011 में बनाये गए कचनोंदा बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामों के ग्रामीणों को विस्थापित कर दिया गया था और तसे लेकर अब तक अनुदान देने का लगातार आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन उन्हें अभी तक अनुदान और पुनर्वास नीति के तहत चिन्हित भूमि का वितरण नहीं किया गया है।
यह भी पढे: ताजमहल के बंद 22 कमरों का खुल गया सीक्रेट, ASI ने फोटो जारी करते हुए बताई गंभीर बातें वर्तमान समय में गांव में चारों ओर पानी भरा हुआ है जिस कारण उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अपने चहेते कुछ ऐसे ग्रामीणों को मुआवजा वितरण किया है जिन्होंने उन्हें सुविधा शुल्क दी है। इसके साथ ही कई लोगों से दिया हुआ मुआवजा वापस छीना जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि मुआवजा न मिलने के कारण वह पानी से डूबे मकानों में रहने को मजबूर हैं, जहां मकान जर्जर हालत में पहुंच गए हैं और कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है।
यह भी पढे: यूपी में बाढ़: 2 हजार नाविकों, मल्लाहों की रोजी रोटी पर संकट, काशी, प्रयागराज में गंगा यमुना के आगे सब बेबस इस प्रार्थना पत्र के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द पुनर्वास नीति का लाभ दिया जाए और उनका मुआबजा वितरित कराया जाए । यदि उनकी सुनवाई नहीं होगी तो वह आमरण अनशन के लिए बाध्य होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। दिए गए ज्ञापन पर लोचन सिंह रामचरण बद्री प्रसाद अर्जुन रोहित वेद प्रकाश तिवारी राम लाल अहिरवार प्रीतम सिंह मातादीन रामकिशन हरविंद्र सिंह श्यामलाल रामसहाय परशुराम सहित करीब एक सैकड़ा ग्रामीणों के हस्ताक्षर बने हुए हैं।
तहसील महरौनी के अंतर्गत ग्राम दैलवारा की ग्रामीण एकजुट होकर कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे जहां पर उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जमकर धरना प्रदर्शन कर नारेबाजी की। ग्रामीणों का आरोप है कि 2011 में बनाये गए कचनोंदा बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामों के ग्रामीणों को विस्थापित कर दिया गया था और तसे लेकर अब तक अनुदान देने का लगातार आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन उन्हें अभी तक अनुदान और पुनर्वास नीति के तहत चिन्हित भूमि का वितरण नहीं किया गया है।