बाबा बागेश्वर को अचानक क्यों रोकनी पड़ी हनुमंत कथा? पंडाल में बेहोश होने लगे श्रद्धालु, जानिए क्या है वजह

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बाबा बागेश्वर को अचानक क्यों रोकनी पड़ी हनुमंत कथा? पंडाल में बेहोश होने लगे श्रद्धालु, जानिए क्या है वजह

बाबा बागेश्वर को अचानक क्यों रोकनी पड़ी हनुमंत कथा? पंडाल में बेहोश होने लगे श्रद्धालु, जानिए क्या है वजह

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ज्यादा भीड़ और गर्मी के कारण पटना के तरेत में चल रही बाबा बागेश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की हनुमंत कथा में रविवार को अफरातफरी मच गई। पंडाल में क्षमता से ज्यादा लोगों के भर जाने के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। दर्जनों लोग बेहोश हो गए। लोगों को एंबुलेंस से इलाज के लिए भेजा जाने लगा। लोगों की हालत खराब होते देख बाबा ने कथा विराम की घोषणा कर दी। अब सोमवार को दिव्य दरबार में सामूहिक अर्जी लगेगी। आयोजन समिति से जुड़े पूर्व पुलिस पदाधिकारी अरविन्द ठाकुर ने रविवार देर रात कही।

भीषण गर्मी से पंडाल में बेहोश हुए महिलाएं-बच्चे                                                                      सांस लेने के लिए कथा स्थल पर बैठे कई लोग एक-दूसरे को ठेलते हुए गेट से बाहर निकलने की जद्दोजहद करते दिखे। बेहोश होने वालों में ज्यादातर महिलाएं व छोटे बच्चे रहे। कथा पंडाल पर व्यवस्था में लगे तरेत के युवक रामकुमार ने बताया कि कथा समाप्ति की घोषणा होते ही लोगों के भीड़ बाहर निकलने की होड़ करने लगी। मौजूद लोग तत्काल बाहर निकल जाना चाहते थे। इसमें वहां भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। अफरा-तफरी के इस माहौल में कई जगहों पर मौजूद बैरिकेडिंग व अन्य चीजों से टकराकर कई लोगों के हाथ टूट गए और कई लोगों को पैर व शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आयी हैं। आयोजन समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी को गंभीर चोट नहीं लगी है। भीड़ के कारण हल्की-फुल्की चोटे हैं।

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दूसरे दिन हुई विभीषण-हनुमान मुलाकात

हनुमत कथा के दूसरे दिन की शुरुआत हनुमान जी की आरती के साथ हुई। तीसरे दिन बाबा बागेश्वर ने लंकिणी व विभीषण से हनुमान की मुलाकात से जुड़ी कथा सुना रहे थे। बाबा ने कहा कि लंका में प्रवेश करते समय लंकिणी ने कौशलपुर राजा का ध्यान करके जाने की बात हनुमान से कही थी जिसे हनुमान जी ने मान लिया था। बाबा बागेश्वर लंका में हनुमान और विभिषण की मुलाकात की कथा सुना ही रहे थे कि लोगों की बढ़ती भीड़ के कारण कथा स्थगित करनी पड़ी। बाद में हनुमान जी आरती के साथ ही दूसरे दिन की कथा को विराम दिया गया। आयोजन स्थल पर पहुंचने के तुरंत बाद बाबा बागेश्वर तरेत पाली मठ के महंत सुदर्शनाचार्य महाराज ऊर्फ सुमिरन बाबा से मुलाकात की। शनिवार को बाबा व महंत से मुलाकात नहीं हो सकी थी। हनुमत कथा के लिए तरेत पाली मठ की तीन सौ एकड़ जमीन आयोजन समिति को मुफ्त में दी गई है।

घंटों जाम से जूझते रहे लोग

तरेत पाली मठ में रविवार को बड़ी संख्या में लोग अपने वाहनों के साथ पहुंचे थे। इसके कारण मठ तक पहुंचने वाले सभी रास्तों पर लंबी जाम लग गई। लोगों की मानें तो दस हजार से ज्यादा गाड़ियों रविवार को आयोजन स्थल पर पहुंची। कथा विराम के बाद घर लौटने के लिए लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ा। तरेत से पटना के बीच 25 किलोमीटर तीन-साढ़े तीन घंटे में तय हुई। जिन्हें सवारी नहीं मिली वे अपने परिवार के साथ पैदल ही सड़क पर चलते दिखे।

बाबा ने बिहार की तारीफ की

कथा में बिहार की तारीफ करते हुए बाबा बागेश्वर ने कहा कि बिहार के लोग अपनी भाषा, संस्कृति और तुलसी का पौधा नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि परमात्मा चित्र में नही बसते बल्कि चरित्र में बसते है। हमारा चित्र चाहे जैसा आए लेकिन चरित्र अच्छा होना चाहिए। भगवान के दर पर चित्र नही चरित्र देखा जाता है।

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