बाघों की संख्या बढ़ाने वाले यूनिक प्रयोग वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व को कर रहा समृद्ध, जानिए क्या है ग्रासलैंड मैनेजमेंट

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बाघों की संख्या बढ़ाने वाले यूनिक प्रयोग वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व को कर रहा समृद्ध, जानिए क्या है ग्रासलैंड मैनेजमेंट

बाघों की संख्या बढ़ाने वाले यूनिक प्रयोग वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व को कर रहा समृद्ध, जानिए क्या है ग्रासलैंड मैनेजमेंट

गोपालगंज : वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व में जहां लगातार बाघों की संख्या बढ़ी है। वहीं पर्यटकों को लुभाने के लिए भी वाल्मिकी नगर टाइगर रिजर्व प्रशासन कड़ी मेहनत कर रहा है। पश्चिम चंपारण के नेपाल बॉर्डर पर स्थित वाल्मिकीनगर रिजर्व में ग्रास लैंड मैनेजमेंट से बाघ और अन्य मांसाहारी जानवरों की तादाद में बढ़ोतरी के लिए लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। और इसी प्रयोग की कड़ी में ग्रासलैंड मैनेजमेंट एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है। वाल्मिकीनगर रिजर्व क्षेत्र में घने जंगल में रहुई नदी के समीप करीब 15सौ हेक्टेयर में ग्रासलैंड मैनेजमेंट का काम चल रहा है। पहले यह दायरा करीब 13सौ हेक्टेयर का था। यानी इस साल अब 200 हेक्टेयर ज्यादा में ग्रास लैंड मैनेजमेंट का कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है।

क्या है ग्रासलैंड मैनेजमेंट

ग्रास लैंड मैनेजमेंट और एक प्रक्रिया है जिसके तहत घने जंगल में नदी और नालों के किनारे पुराने घास की छटाई होती है। घास की छटनी के बाद इस इलाके को पूरी तरह से साफ किया जाता है। ताकि यहां पर नए तरीके से नए घास उपज सकें। जब यह नए घास बाहर निकलते हैं। तब इन घासों को खाने के लिए बड़ी तादाद में शाकाहारी जानवर जैसे चीतल, हिरण, खरगोश और अन्य शाकाहारी जानवर यहां पहुंचते हैं। जब यह जानवर यहां पर घास को चरते हैं। उस वक्त बाघ, तेंदुआ या अन्य मांसाहारी जानवरों को बड़ी संख्या में शिकार करने का मिलने का मौका मिलता है।

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क्या है इसके फायदे

ग्रासलैंड मैनेजमेंट से बाघों की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। एक आंकड़े के मुताबिक अब यहां बाघ और उनके शावको की संख्या बढ़कर 40 के करीब हो गई है। ये बाघ और उनके शावको खाने के लिए शाकाहारी जानवरों पर निर्भर होते है। ग्रासलैंड मैंजमेंट से हिरण और दूसरे जानवरों की संख्या बढ़ी है। जिसके बाद बाघों की संख्या में सकारात्मक बढ़ोतरी हुई है।

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क्या कहते है वनकर्मी

वाल्मीकि नगर रिजर्व के वनकर्मी जुनैद आलम के मुताबिक पिछले एक माह से जंगल के घने इलाकों में घास छंटनी का कार्य चल रहा है। यहां पर करीब 50 मजदूर लगातार काम कर रहे हैं। यह काम अभी 3 महीना और चलेगा। वन कर्मी जुनैद आलम के मुताबिक पुराने घास की छटाई के साथ-साथ इस जंगल के झाड़ियों वाले इलाके को साफ किया जाता है। ताकि यहां पर नए घास निकले और नए घास के उगने के बाद यहां पर चीतल, हिरण जैसे जावर आते हैं और उन्हीं के शिकार में बाघ और तेंदुए आते हैं। शिकार और खाने के बाद जानवर नदी के पानी का इस्तेमाल करते हैं।

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क्या है वाटरहोल

नदी के समीप में ही वाटर होल का निर्माण कराया जाता है। ताकि गर्मी के दिनों में नदी नाले के सूखने के बाद जंगली जानवरों को इस वाटर हॉल से उनकी प्यास बुझाई जा सके। गर्मियों में इस वाटरहोल में टैंकर से पानी भरकर रखा जाता है। जिससे प्यासे जानवरों की प्यास बुझाई जा सके। बहरहाल, ग्रासलैंड मैनजमेंट से वीटीआर प्रशासन को उम्मीद है की बाघ जैसे जानवरों की संख्या के साथ शाकाहारी जानवरों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो।

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