बहुमत के बाद भी कांग्रेस की करारी हार… 4 सदस्यों ने कर रखा था भाजपा से समझौता | Congress’s crushing defeat even after majority, BJP won | Patrika News

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बहुमत के बाद भी कांग्रेस की करारी हार… 4 सदस्यों ने कर रखा था भाजपा से समझौता | Congress’s crushing defeat even after majority, BJP won | Patrika News

बहुमत के बाद भी कांग्रेस की करारी हार… 4 सदस्यों ने कर रखा था भाजपा से समझौता | Congress’s crushing defeat even after majority, BJP won | Patrika News

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस जीत का ढोल पीट रही थी। बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे कि पंचायतों पर उनका कब्जा हो गया है, लेकिन ढोल की पोल इंदौर जनपद के चुनाव में खुल गई। कांग्रेस दंभ भर रही थी कि 25 में से 13 सदस्य उसके हैं, लेकिन कल जब अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो जमीन खिसक गई। भाजपा के प्रत्याशी विश्वजीतसिंह सिसोदिया उर्फ कान्हा पटेल को 14 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी सरला मंडलोई को मात्र 11 वोट मिले।

तीन वोट से कान्हा अध्यक्ष बन गए। ये जरूर हुआ कि उपाध्यक्ष के चुनाव में रामस्वरूप गेहलोद को कांग्रेस के सुभाष चौधरी ने हरा दिया। दोनों ही पार्टी को अपने वास्तविक वोट मिले। इस तख्ता पलट के पीछे की कहानी कुछ और ही है। भाजपा जीत के बाद खुश है, लेकिन अंदरखाने चिंतित भी है। उसके पीछे की वजह ये है कि पार्टी के संपर्क में चार कांग्रेस के सदस्य थे। उनसे कई दौरों के बीत हो चुकी थी।

कल जब मतगणना का परिणाम सामने आया तो चार में से दो ही सदस्यों ने उनकी मदद की। मजेदार बात ये है कि कांग्रेस के मित्रों का संदेश है कि उन्होंने पूरी ईमानदारी से मदद की है। अब पार्टी को आशंका है कि अपने ही दो सदस्यों ने कहीं कलाकारी तो नहीं कर दी, क्योंकि कुछ के रिश्तेदारों के कांग्रेस नेताओं से संपर्क की जानकारी भी आ रही थी। हालांकि पार्टी ने उन सभी कवायदों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन परिणाम के बाद उसको लेकर मंथन जरूर किया जाएगा।

नेताओं की प्रतिष्ठा का था सवाल
इंदौर जनपद पर कŽब्जा भाजपा के नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल था। इसके चलते हर काम ठोक बजाकर किया गया। मंगलवार को जिला भाजपा की कोर कमेटी दोपहर 3 बजे बैठी जिसमें पर्यवेक्षक सुरेश आर्य, मंत्री तुलसीराम सिलावट, कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त सावन सोनकर, प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती, जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर, मनोज पटेल और रवि रावलिया प्रमुख रूप से मौजूद थे। कान्हा और रामस्वरूप में से एक को अध्यक्ष बनाए जाने के लिए मंथन हुआ जिसके आखिर में सभी नेताओं ने एक सुर में कान्हा के नाम पर सहमति दे दी। गौरतलब है कि कान्हा लंबे समय से सावन से जुड़ा हुए हैं। बैठक में उन्होंने दमदारी से नाम रखा।

ठगाए रामस्वरूप
भाजपा के वरिष्ठ नेता रामस्वरूप गेहलोद अध्यक्ष के प्रबल दावेदार थे। कुछ समीकरणों के चलते उन्हें उपाध्यक्ष पद के लिए राजी किया गया। आखिर में भारी मन से वे राजी हुए, लेकिन उसमें भी उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ गया। उस हिसाब से देखा जाए तो वे बहुत बुरी तरह से ठगा गए। उनके सामने का युवा अध्यक्ष बनकर आ गया।



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