बदला ट्रेंड: अब पारंपरिक कोर्स नहीं करना चाहते युवा, 1317 कॉलेजों में यूजी पीजी में केवल 2.50 लाख सीटों पर ही प्रवेश | 6 lakh UG-PG seats vacant in MP colleges | Patrika News
उच्च शिक्षा विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। राज्य में सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी स्तर के 1317 कॉलेज हैं। इनमें स्नातक (यूजी) और स्नाकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों में 8 लाख 37 हजार 019 सीटें खाली हैं। सत्र 2022-23 के लिए मई से चल रही ऑनलाइन और कॉलेज लेवल काउंसिलिंग के तीसरे चरण तक यूजी-पीजी में केवल 2 लाख 54 हजार 937 सीटों पर छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिए हैं। इस हिसाब से 5 हजार 82 हजार 082 सीटें खाली हैं। इन आंकड़ों ने उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों की चिंता भी बढ़ा दी हैं।
इसलिए नहीं पढ़ना चाहते पारंपरिक कोर्स
: सामान्य पाठ्यक्रमों में यूजी-पीजी डिग्री लेने के बाद नौकरी की गारंटी नहीं। : शिक्षा नीति-2020 में कई सर्टिफिकेट व डिप्लोमा पाठ्यक्रम रोजगारमूलक हैं। : कॉलेजों में एडमिशन के बजाय इग्नू और भोज ओपन यूनिवर्सिटी से यूजी-पीजी करना समय और पैसे की बचत है।
: उच्च शिक्षा विभाग ने एडमिशन के लिए ई-प्रवेश की प्रक्रिया लागू की, लेकिन छात्रों को ये बहुत समझ में नहीं आई। : एमपी ऑनलाइन समेत अन्य कियोस्क सेंटर ने एडमिशन प्रक्रिया को अव्यावहारिक बना रखा है।
स्नातकोत्तर में स्थिति
: 1.56 लाख कुल पंजीयन : 1 लाख 46 हजार 517 सीट आवंटन : 77,175 आवंटन डाउनलोड- : 64,918 ने फीस जमा कर लिया प्रवेश : 2.11 लाख खाली सीटें
स्नातक में स्थिति
: 2,04,463 पंजीयन ई-प्रवेश पहले चरण में : 1,60,780 सीटें आवंटित : 1,79,591 का सत्यापन : 1.50 लाख को प्रथम वरीयता : 95996 विद्यार्थियों ने लिया प्रवेश इन्हें विकल्प नहीं
सूबे के 50 फीसदी कॉलेज जिला मुख्यालय पर हैं, बाकी आंचलिक क्षेत्रों में हैं। ट्रेंड ये भी दिख रहा है कि सरकार विकासखंड स्तर तक कॉलेज खोलकर वहां युवाओं को उच्च अध्ययन की सुविधा देना चाहती है, लेकिन वहां के विद्यार्थी शहरों में दाखिले ले रहे हैं। अधिकतर आंचलिक कॉलेजों में वही पढ़ रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं। हालांकि शहरी क्षेत्रों के युवा पारंपरिक पाठ्यक्रमों से ऊब चुके हैं।
ऐसे समझें पाठयक्रमों की स्थिति
यूजी में कुल सीटें 6 लाख 26 हजार 019 सीटें हैं। इनमें से अभी तक महज 1 लाख 90 हजार सीटें भर पाई हैं। इनमें से ई-प्रवेश के पहले चरण में 95 हजार 996 सीटें, फिर प्रथम सीएलसी चरण में 63 हजार, द्वितीय सीएलसी चरण की स्थिति में 32 हजार सीटों पर छात्र-छात्राओं ने फीस जमा कर शुल्क जमा किया। ऐसे में कुल 4 लाख 36 हजार सीटें खाली हैं। पीजी पाठ्यक्रमों की बात करें तो कुल 2.11 लाख सीटें हैं। इनमें नए सत्र के लिए 1.56 लाख पंजीयन हुए हैं।
इनमें से 1 लाख 46 हजार 517 सीटों काआवंटन हुआ, जबकि 77 हजार 175 आवंटन डाउनलोड किए। इनमें से भी महज 64,918 ने प्रवेश लिया। इसी तरह से एनसीटीई के बीएड समेत नौ कोर्स की स्थिति भी बेहतर नहीं है। वहां 70 हजार सीटों में से अभी तक 42 हजार सीटें ही भरी गई हैं। अभी 28 हजार सीटें खाली हैं, जबकि 35 हजार ने पंजीयन करवाए हैं।
अंतिम चरण बाकी, बढ़ेंगे दाखिले
विश्लेषण हो रहा है। संभव है पारंपारिक पाठ्यक्रमों के प्रति छात्रों का रुझान कम हो रहा हो। अभी कॉलेज लेवल काउंसिलिंग का अंतिम चरण बाकी है। अब 11 से 16 जुलाई के बीच प्रवेश दिया जाएगा। जो सीटें एससी-एसटी वर्ग की खाली रहेंगी, उन्हें बाद में ओपन करेंगे।
– डॉ. धीरेंद्र शुक्ला, ओएसडी, अकादमिक, उच्च शिक्षा विभाग
उच्च शिक्षा विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। राज्य में सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी स्तर के 1317 कॉलेज हैं। इनमें स्नातक (यूजी) और स्नाकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों में 8 लाख 37 हजार 019 सीटें खाली हैं। सत्र 2022-23 के लिए मई से चल रही ऑनलाइन और कॉलेज लेवल काउंसिलिंग के तीसरे चरण तक यूजी-पीजी में केवल 2 लाख 54 हजार 937 सीटों पर छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिए हैं। इस हिसाब से 5 हजार 82 हजार 082 सीटें खाली हैं। इन आंकड़ों ने उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों की चिंता भी बढ़ा दी हैं।
इसलिए नहीं पढ़ना चाहते पारंपरिक कोर्स
: सामान्य पाठ्यक्रमों में यूजी-पीजी डिग्री लेने के बाद नौकरी की गारंटी नहीं। : शिक्षा नीति-2020 में कई सर्टिफिकेट व डिप्लोमा पाठ्यक्रम रोजगारमूलक हैं। : कॉलेजों में एडमिशन के बजाय इग्नू और भोज ओपन यूनिवर्सिटी से यूजी-पीजी करना समय और पैसे की बचत है।
: उच्च शिक्षा विभाग ने एडमिशन के लिए ई-प्रवेश की प्रक्रिया लागू की, लेकिन छात्रों को ये बहुत समझ में नहीं आई। : एमपी ऑनलाइन समेत अन्य कियोस्क सेंटर ने एडमिशन प्रक्रिया को अव्यावहारिक बना रखा है।
स्नातकोत्तर में स्थिति
: 1.56 लाख कुल पंजीयन : 1 लाख 46 हजार 517 सीट आवंटन : 77,175 आवंटन डाउनलोड- : 64,918 ने फीस जमा कर लिया प्रवेश : 2.11 लाख खाली सीटें
स्नातक में स्थिति
: 2,04,463 पंजीयन ई-प्रवेश पहले चरण में : 1,60,780 सीटें आवंटित : 1,79,591 का सत्यापन : 1.50 लाख को प्रथम वरीयता : 95996 विद्यार्थियों ने लिया प्रवेश इन्हें विकल्प नहीं
सूबे के 50 फीसदी कॉलेज जिला मुख्यालय पर हैं, बाकी आंचलिक क्षेत्रों में हैं। ट्रेंड ये भी दिख रहा है कि सरकार विकासखंड स्तर तक कॉलेज खोलकर वहां युवाओं को उच्च अध्ययन की सुविधा देना चाहती है, लेकिन वहां के विद्यार्थी शहरों में दाखिले ले रहे हैं। अधिकतर आंचलिक कॉलेजों में वही पढ़ रहे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं। हालांकि शहरी क्षेत्रों के युवा पारंपरिक पाठ्यक्रमों से ऊब चुके हैं।
ऐसे समझें पाठयक्रमों की स्थिति
यूजी में कुल सीटें 6 लाख 26 हजार 019 सीटें हैं। इनमें से अभी तक महज 1 लाख 90 हजार सीटें भर पाई हैं। इनमें से ई-प्रवेश के पहले चरण में 95 हजार 996 सीटें, फिर प्रथम सीएलसी चरण में 63 हजार, द्वितीय सीएलसी चरण की स्थिति में 32 हजार सीटों पर छात्र-छात्राओं ने फीस जमा कर शुल्क जमा किया। ऐसे में कुल 4 लाख 36 हजार सीटें खाली हैं। पीजी पाठ्यक्रमों की बात करें तो कुल 2.11 लाख सीटें हैं। इनमें नए सत्र के लिए 1.56 लाख पंजीयन हुए हैं।
इनमें से 1 लाख 46 हजार 517 सीटों काआवंटन हुआ, जबकि 77 हजार 175 आवंटन डाउनलोड किए। इनमें से भी महज 64,918 ने प्रवेश लिया। इसी तरह से एनसीटीई के बीएड समेत नौ कोर्स की स्थिति भी बेहतर नहीं है। वहां 70 हजार सीटों में से अभी तक 42 हजार सीटें ही भरी गई हैं। अभी 28 हजार सीटें खाली हैं, जबकि 35 हजार ने पंजीयन करवाए हैं।
अंतिम चरण बाकी, बढ़ेंगे दाखिले
विश्लेषण हो रहा है। संभव है पारंपारिक पाठ्यक्रमों के प्रति छात्रों का रुझान कम हो रहा हो। अभी कॉलेज लेवल काउंसिलिंग का अंतिम चरण बाकी है। अब 11 से 16 जुलाई के बीच प्रवेश दिया जाएगा। जो सीटें एससी-एसटी वर्ग की खाली रहेंगी, उन्हें बाद में ओपन करेंगे।
– डॉ. धीरेंद्र शुक्ला, ओएसडी, अकादमिक, उच्च शिक्षा विभाग