बड़ों का साथ… अखिलेश के ट्वीट पर शिवपाल की मुहर- जिस बाग को सींचा नेता जी ने, उसे सीचेंगे खून पसीने से

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बड़ों का साथ… अखिलेश के ट्वीट पर शिवपाल की मुहर- जिस बाग को सींचा नेता जी ने, उसे सीचेंगे खून पसीने से

बड़ों का साथ… अखिलेश के ट्वीट पर शिवपाल की मुहर- जिस बाग को सींचा नेता जी ने, उसे सीचेंगे खून पसीने से

लखनऊ: मैनपुरी उपचुनाव से पहले अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव ने एक तस्‍वीर अपने-अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की। अखिलेश ने फोटो के साथ लिखा, नेताजी और घर के बड़ों के साथ-साथ मैनपुरी की जनता का भी आशीर्वाद साथ है। यही तस्‍वीर कुछ घंटों बाद शिवपाल यादव के अकांउट से शेयर हुई। इसके साथ लिखा था, जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने, उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से। कुछ दिन पहले अखिलेश और शिवपाल एक दूसरे को बर्दाश्‍त तक करने की हालत में नहीं थे लेकिन मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल की उम्‍मीदवारी के ऐलान के बाद दोनों के रुख में आया बदलाव इस ट्वीट से देखा जा सकता है।

इस ट्वीट के जरिए दोनों ही पक्षों ने दुनिया के सामने, खासकर मैनपुरी की जनता के सामने यह बात रखने की कोशिश की है कि यादव परिवार इस चुनाव में एकजुट है। वैसे भी मैनपुरी मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत का प्रतीक बन गई है। ऐसे में डिंपल मैनपुरी से हारें यह न शिवपाल चाहेंगे और न ऐसा अखिलेश होने देंगे।

डिंपल की उम्‍मीदवारी के बाद बीजेपी ने शिवपाल के करीबी, मुलायम सिंह यादव को अपना गुरु कहने वाले, एक समय के सपाई रघुराज शाक्‍य को मैनपुरी से टिकट दिया है। डिंपल के नामांकन के समय न तो शिवपाल मौजूद रहे न उनके बेटे आदित्‍य यादव। बल्कि जब पत्रकारों ने शिवपाल से उन्‍नाव में पूछा कि क्‍या वह डिंपल के प्रचार में जाएंगे तो शिवपाल ने लगभग झल्‍लाते हुए कहा, यह सवाल मुझसे क्‍यों पूछ रहे हैं, मुझे तो अभी मीडिया से जानकारी मिली है।’ वहीं शिवपाल की गैरमौजूदगी को ज्‍यादा तूल न देते हुए अखिलेश यादव और उनके दूसरे चाचा प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा था कि डिंपल के नाम पर शिवपाल की भी सहमति थी। वह नामाकंन के लिए भले ही न आएं लेकिन चुनाव प्रचार जरूर करेंगे।

कुल मिलाकर अखिलेश की ओर से लाइन यह थी कि पूरा परिवार एकजुट है। इसके बाद सपा की ओर से मैनपुरी में स्‍टार प्रचारकों की लिस्‍ट में शिवपाल सिंह यादव का नाम प्रमुखता से रखा गया। बाद में अखिलेश डिंपल के साथ चाचा शिवपाल से मिलने गए। उसके बाद यह फोटो सामने आया।

मैनपुरी में शाक्‍य वोटों की अहमियत है। इसी कारण चुनाव से पहले अखिलेश ने मैनपुरी का जिलाध्‍यक्ष बदला। उन्‍होंने देवेंद्र सिंह यादव को हटाकर पूर्व विधायक व सपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे आलोक शाक्‍य को जिला अध्‍यक्ष बनाया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रेम सिंह शाक्‍य ने मुलायम सिंह यादव को कड़ी टक्‍कर दी थी। तब शिवपाल यादव का जसवंतनगर इलाका मुलायम के लिए राहत साबित हुआ। शिवपाल का गढ़ कहे जाने वाले जसवंतनगर से मुलायम को 1.57 लाख वोट मिले।
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अब मुलायम सिंह नहीं हैं। मैनपुरी उनकी राजनीतिक व‍िरासत का प्रतीक है। जो जीतेगा वह मुलायम की विरासत का वारिस कहलाएगा। इस लड़ाई में खुद को मुलायम का शिष्‍य कहने वाले रघुराज सिंह शाक्‍य डिंपल के मुकाब‍िल हैं। वह कह चुके हैं कि राजनीति में बेटे नहीं बल्कि श‍िष्‍य वारिस होते हैं। यह सब देखते हुए अखिलेश कोई जोख‍िम नहीं लेना चाहते थे, क्‍योंकि अगर मैनपुरी सीट चली जाती तो खुद को मुलायम का वारिस साबित करने का मौका वह चूक जाते।

वहीं अगर शिवपाल इस मामले में उदासीन रहते और डिंपल चुनाव हार जातीं तो सैफई परिवार के हाथों से से मुलायम की विरासत निकल जाने का दाग उनके दामन पर लग जाता जो शायद वह कभी नहीं चाहेंगे। उनकी निष्‍ठा जीवन भर मुलायम सिंह यादव के साथ रही इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं है। वह कई बार इसे साबित कर चुके हैं। इस मौके पर अखिलेश और डिंपल के साथ खडे़ होकर भी उन्‍होंने यही साबित करने की कोशिश की है। तभी उनके ट्वीट में लिखा है, जिस बाग को सींचा हो खुद नेता जी ने, उस बाग को अब हम सीचेंगे अपने खून पसीने से।

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