बच्चों के लिए जानलेवा बीमारी बनी डीएमडी, जयपुर कलक्ट्रेट पर किया बच्चों और परिजनों ने प्रदर्शन | DMD became a fatal disease for children | Patrika News

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बच्चों के लिए जानलेवा बीमारी बनी डीएमडी, जयपुर कलक्ट्रेट पर किया बच्चों और परिजनों ने प्रदर्शन | DMD became a fatal disease for children | Patrika News

बच्चों के लिए जानलेवा बीमारी बनी डीएमडी, जयपुर कलक्ट्रेट पर किया बच्चों और परिजनों ने प्रदर्शन | DMD became a fatal disease for children | News 4 Social


बच्चों के लिए डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) जानलेवा बीमारी बन गई है।

बच्चों के लिए जानलेवा बीमारी बनी डीएमडी, जयपुर कलक्ट्रेट पर किया बच्चों और परिजनों ने प्रदर्शन

बच्चों के लिए जानलेवा बीमारी बनी डीएमडी, जयपुर कलक्ट्रेट पर किया बच्चों और परिजनों ने प्रदर्शन

जयपुर। बच्चों के लिए डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) जानलेवा बीमारी बन गई है। जिसमें बच्चों की औसत उम्र 20—22 साल तक होती है। इस जानलेवा बीमारी से ग्रसित बच्चों ने अपने परिजनों के साथ जयपुर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपने इलाज के लिए गुहार लगाई। इस रोग का इलाज महंगा होने के कारण परिजन बच्चों का इलाज कराने में असमर्थ है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कोर कमेटी ऑफ इंडिया के बैनर तले कलक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया।

यह बच्चे लंबे समय से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी रोग से पीड़ित है। इस संबंध में कई बार केंद्र और राज्य सरकार से मदद भी मांगी गई लेकिन अभी तक इन बच्चों को कोई मदद नहीं मिल पाई । डीएमडी कोर कमेटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक रामगोपाल शर्मा ने बताया कि हमारी यही मांग है कि डीएमडी रोग से पीड़ित हमारे बच्चों का इलाज किया जाए और उनके दिए लिए दवाई मुहैया करवाई जाए। हम लोग 10 साल से इस रोग के इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन अभी तक हमें कोई मदद नहीं मिल पाई। इससे पहले हमने राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और चिकित्सा मंत्री को कई बार पत्र भी लिखा और यहां तक चेतावनी भी दे दी कि यदि आप इलाज नहीं कर सकते हैं तो हमें आत्महत्या करने की अनुमति दी जाए इसके बावजूद भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही। शर्मा ने बताया कि डीएमडी रोग से पीड़ित बच्चों की औसत उम्र 20 से 22 साल होती है और रोग के 10 साल बाद बच्चा व्हील चेयर पर आ जाता है।

ज्ञापन के जरिए बताया कि राजस्थान में से 3000 बच्चे इस रोग से पीड़ित है, सर्वे कराने पर यह आंकड़ा बढ़ सकता है। उन्होंने मांग की कि रेयर डिजीज के बच्चों और दिव्यांग बच्चों को अलग-अलग श्रेणी में रखा जाए। डीएमडी से पीड़ित बच्चा अपनी दिनचर्या के कार्यों के लिए परिजनों पर ही आश्रित रहता है 15 साल की उम्र में अपने हाथ से मच्छर भी नहीं उड़ा सकता। आंध्र प्रदेश में सरकार 5 हजार रुपये प्रतिमाह बच्चों को पेंशन दी जा रही है इसी तरह की पेंशन राजस्थान में भी दी जाए ।बिहार सरकार ने भी प्रति बच्चे के परिवार को 6 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। शर्मा ने मांग की कि इसी तरह की सहायता राजस्थान में भी डीएमडी पीड़ित बच्चे के परिजनों को दी जाए। पीडित बच्चों के लिए पावर व्हीलचेयर उपलब्ध कराने की भी मांग ज्ञापन के जरिए की गई है ताकि वे सुगमता से अपना काम कर सकें। प्रदर्शन में शामिल हुए पीड़ित बच्चों के परिजनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सरकार की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। इसके लिए वे कई जगह गुहार भी लगा चुके हैं।

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